निहारने उमड़ पड़ा श्रद्धा और भक्ति का सैलाब।
ललिताम्बा महायज्ञ की पूर्णाहुति।
108 दीपों से हुई महाआरती।
9 दिवसीय वार्षिकोत्सव का समापन।
इंदौर : विमानतल मार्ग स्थित श्री विद्याधाम पर रविवार शाम विद्वानों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार की मंगलध्वनि के बीच मां ललिता महात्रिपुर सुंदरी को तेरह किस्म के सात क्विंटल फूलों से श्रृंगारित पुष्प बंगले में निहारने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।
मंदिर के सामने महिलाओं द्वारा भजनों की प्रस्तुतियों के बीच सुर-ताल पर थिरकते श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों का उत्साह देखने लायक था। समूचे आश्रम में भक्तिभाव के समंदर की हिलौरे उमड़ रही थी। रंग-बिरंगे इन फूलों से मन को महकाने वाली खुशबू और स्वर्ण मुकूट सहित विभिन्न आभूषणों से अलंकृत मां पराम्बा भगवती के दर्शनार्थ भक्तों में होड़ सी मची रही। इस दौरान बार-बार मां के जयघोष से विद्याधाम परिसर गुंजायमान बना रहा।
108 दीपों से महाआरती के साथ इस पुष्प बंगले के दर्शन प्रारंभ हुए जो मध्य रात्रि तक होते रहे। श्री विद्याधाम के वार्षिक प्रकाशोत्सव के मुख्य दिवस पर रविवार को भक्तों का अटूट सैलाब बना रहा। आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के पावन सान्निध्य में सुबह स्वामी गिरिजानंद सरस्वती वेद-वेदांग विद्यापीठ के 151 भूदेवों ने वैदिक संध्या, शोडषोपचार पूजन-अभिषेक, श्रृंगार आरती, दुर्गा सप्तशती पाठ जैसे अनुष्ठान संपादित किए वहीं दोपहर में आचार्य पं. राजेश शर्मा सहित 31 विद्वानों द्वारा यज्ञशाला में चल रहे महायज्ञ में सवा लाख के लक्ष्य के मुकाबले दो लाख आहुतियां पूर्ण होने पर यज्ञ देवता के जयघोष से समूचा परिसर गूंज उठा। आश्रम परिवार के सुरेश शाहरा, पं. दिनेश शर्मा, यदुनंदन माहेश्वरी, राजेन्द्र महाजन, चंदन तिवारी, रमेश पसारी, रमेशचंद्र राठौर, संजय पंडित, श्रीमती रेणु गुप्ता सहित अनेक श्रद्धालु दिनभर विभिन्न अनुष्ठानों की व्यवस्थाएं संभाले रहे। आश्रम परिवार के ट्रस्टी वासुदेव गर्ग (दिल्ली) और रवि बूबना (मुंबई) भी प्रकाशोत्सव में शामिल होने विशेष रूप से इंदौर पहुंचे।
संध्या को पुष्प बंगले के दर्शनों के लिए बेताब भक्तों का आगमन अपरान्ह 4 बजे से ही शुरू हो गया था। शाम 6 बजे आश्रम के 11 आचार्यों ने महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सान्निध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच 108 दीपों से महाआरती के बाद जैसे ही मंदिर के पट खोले गए, मां के नयनाभिराम पुष्प बंगले के दर्शनों के लिए प्रवेश द्वार से मंदिर तक भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी गिरिजानंद सरस्वती ‘भगवन’ को भी पुष्प बंगले में विराजित किया गया था।
देशी-विदेशी फूलों से महका पुष्प बंगला।
रंगकर्मी दीपक कुसुमाकर और वृंदावन से आए दस कलाकारों द्वारा पिछले एक सप्ताह से सजाए जा रहे पुष्प बंगले में 13 किस्म के 10 हजार किलो फूलों से निर्मित मां पराम्बा भगवती एवं आश्रम स्थित सभी देवालयों के पुष्प श्रृंगार पूरे समय भक्तों के आकर्षण के केन्द्र बने रहे। इन फूलों में कुंद,गुलाब,बिजली, आर्केड,गेंदा,डच गुलाब एवं थाईलैंड से बैंगलुरू के रास्ते इंदौर आए कार्नेशियन प्रजाति के फूलों का प्रयोग किया गया। आश्रम परिवार की ओर से भक्तों के लिए कतारबद्ध होकर श्रृंगार दर्शन की विशेष व्यवस्थाएं किए जाने से यह क्रम पूरे समय निर्बाध चलता रहा, लेकिन मां का श्रृंगार ही इतना मनोहारी, दिव्य और अनुपम था कि जो भी देखता, वहीं थम जाता और इस मनोहारी दृश्य को अपने मोबाइल कैमरो में कैद करने में मशगुल हो जाता।
आश्रम ट्रस्ट के पं. दिनेश शर्मा के अनुसार शाम से देर रात तक 15 हजार से अधिक भक्तों ने इस प्रकाशोत्सव में भागीदार बनकर पुण्य लाभ उठाया। यह क्रम मध्य रात्रि तक चलता रहा। अनेक विशिष्टजनों ने भी कतार में लगकर पुष्प बंगले के दर्शन किए।पुष्प बंगले के साथ ही आश्रम के प्रकाशोत्सव का समापन हुआ।