वैंकटेश देवस्थान छत्रीबाग में मनाया गया वैकुंठ एकादशी का उत्सव

  
Last Updated:  January 2, 2023 " 08:41 pm"

मोक्ष की कामना के साथ भक्तो ने किया वैकुंठ द्वार में प्रवेश।

कड़कड़ाती ठंड पर धर्म की आस्था भारी।

अलसुबह निकली भगवान वैकुंठनाथ की सवारी,भक्तों ने अतिशबाजी कर किया प्रभु का स्वागत।

ठंड से बचाव के लिए लगाए गए हीटर।

अलसुबह साढ़े चार बजे यजमान मालू परिवार के साथ 500 भक्त बजरंग नगर से पैदल यात्रा कर गाजे बाजे के साथ नाचते गाते पहुंचे देवस्थान ।

स्वीडन से वैकुण्ठ एकादशी का उत्सव दर्शन करने आया श्रद्धालु परिवार।

इंदौर : सोमवार अलसुबह कड़कड़ाती ठंड में दीपों की रौशनी से सजा प्रभु का दरबार, चारों ओर चन्दन पावडर,गूगल,इत्र के गुबार ऐसे लग रहे थे मानो बादल में से वेंकटेश्वर विमान से प्रभु धरातल पर उतर रहे हैं कड़कड़ाती ठण्ड में भी तालियों की गूंज के साथ नाचते हुए प्रभु की मस्ती में मस्त वेंकटरमना गोविंदा श्री निवासा गोविंदा का महा जयघोष करते और परिक्रमा करते भक्तों का समूह अलौकिक दृश्य उत्पन्न कर रहा था।

अवसर था वैकुंठ एकादशी पर पावन सिद्ध धाम श्री लक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग में अनंत श्रीविभूषित श्रीमदजगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीविष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज के मंगलशासन में प्रभु वैकुंठनाथ की सवारी के साथ वैकुण्ठ द्वार का पूजन व प्रवेश कर प्रभु वैकुंठनाथ के दिव्य दर्शन का लाभ लेते हुए मोक्ष की कामना का।

पावन सिद्ध धाम श्री लक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग में दिनांक 02 जनवरी को वैकुंठ एकादशी पर दिव्य उत्सव मनाया गया। प्रातः काल की प्रथम बेला में सुबह 5.30 बजे प्रभु वेंकटेश गरुड़ वाहन पर सवार होकर हजारों भक्तों के साथ वैंकटरमणा गोविंदा श्री निवासा गोविंदा की धुन के साथ परिक्रमा पर निकलें। श्री वेणुगोपाल संस्कृत पाठ्शाला के विद्यार्थी स्तोत्र पाठ गुरु परम्परा,वेंकटेश स्तोत्र का पाठ कर रहे थे। महिला मंडल द्वारा भजनों की प्रस्तुति के साथ ही अर्चक बिहारी काका मुकुंद रामानुजदास, सत्तू काका, कैलाश जी व मनोहर जी शास्त्री द्वारा
शास्त्रोक्त पद्धति से विधि विधान से वैकुण्ठ द्वारा का पूजन यजमान मालू परिवार द्वारा करवाया गया। तत्पश्चात नागोरिया पीठाधिपती स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज ने दिव्य वैकुण्ठ द्वार को खोलकर सभी भक्तो को साथ प्रभु को अंदर प्रवेश कराया।

द्वार के अंदर की ओर से श्री रामानुज स्वामी के श्री विग्रह को पुजारी ने सामने लेकर ठाकुर जी की अगवानी की।

प्रभु के अंदर पधारते ही गर्भ गृह के पट खोले गए।भक्तों द्वारा गोविंदा गोविंदा का जयघोष किया जाने लगा। घंटे घड़ियाल गूंजने लगे। चंदन और धूप के गुबार में प्रभु ने वैकुंठनाथ स्वरूप में दर्शन दिए। प्रभु रंगनाथ की जय बोलने के साथ साधू लक्ष्मण बाला की महाआरती हुई।

श्रीवेणुगोपाल संस्कृत पाठशाला के विद्यार्थियों द्वारा श्री सूक्त, पुरुष सूक्त,आलवन्दार स्तोत्र,गुरु परंपरा, वेंकटश स्तोत्र भी दक्षिण भाषा के पाठ किये गए।
प्रभु की ॐ केशवाय नमः ॐ नारायणाय नमः के साथ ही 1008 नामो के स्वर्ण पुष्पो से प्रभु वैकुंठनाथ की अर्चना की गयी। प्रभु वेंकटेश ने गरूड़ पर विराजमान होकर भक्तो को दर्शन दिये। मोक्ष की कामना के साथ भक्तों ने वैकुण्ठ द्वार में प्रवेश कर प्रभु की तुलसी अर्चना कराकर अपने जीवन को धन्य किया।

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जो मनुष्य भगवतगीता का पाठ करता है और उसकी शिक्षा दूसरों को देता है, उसके लिए वैकुंठ के दुवार खुल जाते हैं। जब कोई व्यक्ति ज्ञान, भक्ति और कर्म योग में लीन हो जाता है तो उसके लिए वैकुण्ड के दुवार अपने आप खुल जाते हैं।

इस वर्ष स्वीडन से विशेष रूप से इस उत्सव के लिए अखिलेश मंडोवरा सपरिवार इंदौर आए। उन्होंने बताया कि वे onlien इस उत्सव का दर्शन करते थे।इस बार मन बना लिया था कि उत्सव में इस वर्ष शामिल होना है।इसलिए वे परिवार सहित यहां पधारे। साथ ही जयपुर से पधारे परिवार ने भी उत्सव में शामिल होने की खुशी मनाई।

बजरंग नगर से मालू परिवार के सदस्य कड़कड़ाती ठंड में भी 500 भक्तो को लेकर गाजे बाजे के साथ पैदल नाचते हुए गोविन्दा गोविंदा का जयघोष करते हुए वैंकटेश देवस्थान पहुंचे।

समापन अवसर पर सभी भक्तों को केशरिया दूध ,फ़रियाली खिचड़ी,ओर मोरधन खीरा का प्रसाद वितरित किया गया। यह
जानकारी प्रचार प्रमुख पंकज तोतला ने दी।
इस अवसर पर राजेंद्र सोनी,महेंद्र पलोड़ रमेश चितलांगया,अशोक डागा, सुरेश राठी पवन व्यास,शरद चिचानी, सुशील राठी, नंदा काका आदि मौजूद थे।

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