शासकीय अष्टांग आयुर्वेदिक कालेज में मनायी गई महर्षि सुश्रुत की जयंती l
इंदौर : शासकीय आष्टांग आयुर्वेदिक कॉलेज में मंगलवार को महात्मा सुश्रुत की जयंती मनाई गई l MGM मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविन्द घनघोरिया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
बता दें कि आचार्य सुश्रुत प्राचीन भारत के महान चिकित्सा शास्त्री एवं शल्य चिकित्सक थे। उनको शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है, इसीलिए पूरे विश्व मे 15 जुलाई को विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस मनाया जाता है।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजीत पाल सिंह चौहान ने स्वागत भाषण देते हुए बताया कि आज भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में उन्नत सर्जरी हो रही हैं। यह आचार्य सुश्रुत द्वारा बताए गए सिद्धांतों के जरिए ही संभव हो पाया है।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर अरविंद घनघोरिया, डीन एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने अपने विचार रखते हुए कहा कि प्राचीन सुश्रुत संहिता में 300 से अधिक सर्जरी एवं सभी प्रकार के आधुनिक यंत्रों का भी वर्णन है। प्राचीन शल्य सिद्धांतों पर ही आधुनिक सर्जरी का विकास हुआ है l सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है। शल्य क्रिया के लिए सुश्रुत 125 तरह के उपकरणों का प्रयोग करते थे। ये उपकरण शल्य क्रिया की जटिलता को देखते हुए खोजे गए थे। इन उपकरणों में विशेष प्रकार के चाकू, सुइयां, चिमटियां आदि शामिल हैं। सुश्रुत ने 300 प्रकार की ऑपरेशन प्रक्रियाओं की खोज की। उन्होंने कॉस्मेटिक सर्जरी में विशेष निपुणता हासिल कर ली थी। सुश्रुत नेत्र शल्य चिकित्सा भी करते थे। सुश्रुत संहिता में मोतियाबिंद के ओपरेशन करने की विधि को विस्तार से बताया गया है। उन्हें शल्य क्रिया द्वारा प्रसव कराने का भी ज्ञान था। सुश्रुत को टूटी हुई हड्डियों का पता लगाने और उनको जोडऩे में विशेषज्ञता प्राप्त थी। शल्य क्रिया के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए वे मद्यपान या विशेष औषधियां देते थे। मद्य संज्ञाहरण का कार्य करता था। इसलिए सुश्रुत को संज्ञाहरण का पितामह भी कहा जाता है l
कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्वेता वर्मा द्वारा किया गया। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एसके दास, डॉ. जगदीश पंचोली और मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉ. मनीष गोयल सहित बड़ी संख्या में आयुर्वेद के चिकित्सक, छात्र और प्रबुद्धजन इस दौरान उपस्थित रहे l