*प्रदीप जोशी*
स्वच्छता में देश का नंबर वन शहर इंदौर कोरोना संक्रमण और सांप्रदायिक तनाव के मामले में भी अव्वल है, यह बात किसी से छुपी नहीं है। बस सियासतदार और शहर का जिम्मेदार प्रशासन ही जान कर अनजान बना हुआ है। बीते एक सप्ताह में तीन मामलों में चार बार हजारों की भीड़ जुट गई जो बड़ी चिंता का विषय है। तीन दिन में जो अलग अलग प्रदर्शन हुए उसने शहर के खुफिया तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए। प्रदेश की आर्थिक राजधानी में कानून व्यवस्था की स्थिति पर चिंता होना लाजमी है। तीन दिनों के भीतर तीन बड़े प्रदर्शनों की जानकारी ना होना निश्चित तौर पर प्रशासन खास कर पुलिस के खुफिया तंत्र (intelligence) की विफलता माना जाएगा। अगर तंत्र यह कहे कि उसे जानकारी थी और किसी भी आपात स्थिति से निपटने की पुख्ता तैयारी की गई थी तब भी इसे तंत्र का नाकारा पन ही माना जाएगा। इन हालातों में शहर किसी भी वक्त तनावपूर्ण स्थिति में घिर सकता है।
कैसे जमा हो गई हजारों की भीड़
बाणगंगा क्षेत्र में एक चूड़ी बेचने वाले युवक की सामूहिक पिटाई का वीडियों वायरल होने के बाद देश भर में सियासत गरमाई हुई है। रविवार को इस घटना का वीडियों वायरल हुआ और इसी रात हजारों की तादाद में मुस्लिम समाज के लोगों ने थाना सेंट्रल कोतवाली का घेराव कर दिया। करीब दो घंटे तक थाना इस भीड़ का बंधक बना रहा। शुक्र था कि हालात बेकाबू होने से बच गए। मंगलवार को इसी जमावड़े का प्रतिकार करने के लिए हिन्दुवादी संगठनों ने डीआईजी आॅफिस का घेराव कर दिया। शहर के विभिन्न इलाकों से हाथों में तिरंगा और केसरिया ध्वज लिए हजारों लोग रीगल तिराहे पर जमा हो गए और पुलिस प्रशासन इसकी थाह भी न ले सका। बुधवार को कांग्रेसी हजारों की तादाद में सड़कों पर निकल आए, जिनसे निपटने के लिए प्रशासन और पुलिस को ताबड़तोड़ व्यवस्था करना पड़ी। लाठियां भांज कर भीड़ को नियंत्रित करना पड़ा।
यहां फैल हुआ खुफिया तंत्र
चूड़ी वाले की पिटाई का वीडियों वायरल हुआ उसके घंटों बाद तक पुलिस ऐसी किसी घटना के होने से ही इंकार करती रही। मामला हाथ से निकलते देख चूड़ीवाले युवक तस्लीम, मारपीट करने वाले तत्व और थाने का घेराव करने वाले कतिपय तत्वों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
इंदौर के तेजाजी नगर थाना क्षेत्र के पत्थर मुंडला कावेरी मल्टी में कुछ संगठनों द्वारा झंडा वंदन किया गया। इस दौरान नारेबाजी भी हुई, जिससे दुसरा पक्ष भड़क गया और जवाबी नारेबाजी होने लगी। दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए और जमकर पथराव हुआ।
जश्न ए आजादी की पूर्व संध्या पर राजबाड़ा पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मंच से एक युवती द्वारा धार्मिक नारे लगाए जाने के बाद कुछ युवकों ने विरोध स्वरूप दुसरे धर्म के नारे लगाना शुरू कर दिया। इस दौरान माहौल तनावपूर्ण हो गया।
ऐसी ही एक घटना मोहर्रम के दौरान घटी जब दो युवतियां घुमती हुई बम्बई बाजार क्षेत्र में पहुंच गई। इन युवतियों और इनके साथ आए लोगों को भीड़ ने घेर लिया। काफी देर बंधक बना कर रखा जैसे ही इसकी जानकारी युवतियों के समाजजनों को मिली भारी भीड़ वही पहुंच गई। दो पक्ष आमने सामने हो गए वह तो गनीमत थी कि स्थानीय लोगों ने बीच बचाव कर माहौल संभाल लिया।
नागरिकों को यह सवाल कर रहे चिंतित
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि पुलिस को इतनी तादाद में भीड़ जमा होने की सूचना क्यों नहीं मिली ? अगर सूचना थी तो भीड़ जमा होने से पहले रोकने के उपाय क्यों नहीं किए गए ?
सबसे अहम सवाल कि अगर शहर के हालात बिगड़ जाए तो उससे निपटने की क्या तैयारी है ? स्पष्ट है कि पुलिस का खुफिया तंत्र उपरोक्त तमाम घटनाओं के मामले में विफल रहा। अब भी समय है कि पुलिस अपने खुफिया तंत्र को सक्रिय करें, अन्यथा किसी दिन कोई बड़ी घटित हो सकती है।