इंदौर : जिस उम्र में आम युवा घूमने- फिरने, पब में जाने और मनोरंजन के अन्य साधनों में अपना समय व्यतीत करते हैं, उसी उम्र में कई युवा ऐसे भी हैं, जो देशसेवा का जज्बा मन में संजोए सैन्य बलों का हिस्सा बनने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। अथक शारीरिक और मानसिक परिश्रम के बूते वे अपना सपना पूरा करने में सफल भी होते हैं। ऐसे ही एक युवा हैं गौतम राठौर, जिनका चयन एनडीए के लिए हुआ है। वे फरवरी में नेशनल डिफेंस एकेडमी खडकवासला- पुणे में जॉइन करेंगे।
शाजापुर के निवासी हैं गौतम।
एनडीए के लिए चयनित गौतम राठौर ने बताया कि मेरा सपना था मैं एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर बनूँ। शाजापुर जैसे छोटे स्थान पर रहते हुए यह संभव नहीं था अतः पिता महेश राठौर ने उसे पढ़ने के लिए इंदौर भेजा। गौतम ने बताया कि उसने स्कूली पढ़ाई के साथ मां ट्यूटोरियल्स में कोचिंग लेते हुए पीएससी के जरिए एनडीए में जाने की तैयारी शुरू कर दी। मां ट्यूटोरियल्स में उन्हें एकेडमिक और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के साथ एक सैन्य अधिकारी की दिनचर्या जिसतरह की होती है, उसमें ढलने का मौका मिला। गौतम ने बताया कि पहले दो प्रयासों में उन्हें सफलता नहीं मिली लेकिन तीसरे प्रयास में उन्होंने लिखित परीक्षा और एसएसबी क्लियर कर ली। देशभर में उनकी 152 वी रैंक आई। मेडिकल फिटनेस में पास होने के बाद अब वे एनडीए का हिस्सा बनने जा रहे हैं।
बेटे का सपना पूरा होते देख खुश हूं।
गौतम राठौर के पिता महेश राठौर ने बताया कि उन्हें खुशी है कि बेटे गौतम का एनडीए में जाकर एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर बनने का सपना साकार होने जा रहा है। इस बात का गर्व भी है कि शाजापुर जैसे छोटे शहर में गौतम पहला युवक है, जिसे वायुसेना में जाकर देशसेवा करने का अवसर मिल रहा है।
मां ट्यूटोरियल्स ने युवाओं को सेना में जाने के लिए किया प्रेरित।
मां ट्यूटोरियल्स के निदेशक पंकज भट्ट ने बताया कि 21 वर्ष पहले जब उन्होंने यह कोचिंग इंस्टीट्यूट शुरू किया था, तब मप्र के युवाओं में रक्षा सेनाओं का हिस्सा बनने की रुचि बेहद कम थी। एनडीए में जाने के इच्छुक युवाओं की संख्या नहीं के बराबर थी। पर अब उनके संस्थान के माध्यम से हर साल मप्र के कई युवाओं का चयन एनडीए के लिए होने लगा है। प्रदेश के युवाओं में रक्षा सेनाओं में भर्ती होकर देशसेवा करने का जज्बा बढा है। श्री भट्ट ने बताया कि एकेडमिक तैयारी के साथ युवाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत करने पर भी वे ध्यान देते हैं। एनडीए में तीन साल की ट्रेनिंग के दौरान सरकार प्रत्येक छात्र पर करीब 12 करोड़ रुपए खर्च करती है। ट्रेनिंग के साथ छात्र ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी कर सकते हैं। तीन साल एनडीए में गुजारने के बाद छात्र को एक साल की बेसिक सैन्य ट्रेनिंग दी जाती है। उसके बाद वे थलसेना, वायुसेना या नौसेना में अधिकारी के बतौर पदस्थ किए जाते है।
कड़ी प्रतिस्पर्धा से गुजरना पड़ता है युवाओं को।
मां ट्यूटोरियल्स में एसएसबी इंटरव्यू के ट्रेनिंग के हेड कोच कर्नल एनके माथुर ने बताया कि एनडीए के लिए प्रतिवर्ष लाखों युवा प्रयास करते हैं। उनमें से सर्वश्रेष्ठ 325 युवाओं का ही चयन किया जाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रतिस्पर्धा कितनी कठिन होती है। उन्होंने बताया कि एसएसबी इंटरव्यू पांच दिन तक चलने वाली चयन परीक्षा है जिसमें प्रतिभागी के समूचे व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है।इसमें साइकोलॉजिकल टेस्ट, ग्रुप टेस्ट और पर्सनल इंटरव्यू शामिल है। 5 दिनों में प्रतिभागी की करीब 15 तरह की ऑफिसर लाइफ क्वालिटी तलाशी जाती है। जो प्रतिभागी इन मापदंडों पर मानसिक, शारीरिक और मेडिकली फिट पाए जाते हैं, उन्हें एनडीए में प्रवेश मिल पाता है। कर्नल माथुर ने बताया कि वे चाहते हैं मप्र के अधिक से अधिक युवा थलसेना,नौसेना और वायुसेना में भर्ती होकर देश की सेवा के लिए आगे आए। पहले जरूर मप्र के युवाओं का प्रतिनिधित्व रक्षा सेनाओं में कम था, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। बड़ी संख्या में रक्षा सेनाओं का हिस्सा बनने आगे आ रहे हैं। ये अच्छा संकेत है।