•••तत्कालीन एसपी संजीव शमी द्वारा शांति मार्च निकालने से भाजपा कार्यकर्ताओं को रोकने पर हुआ था प्रदर्शन
♦️कीर्ति राणा।♦️
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक संजीव शमी द्वारा 2008 में परदेशीपुरा थाने में 265 लोगों के खिलाफ बलवा,शासकीय कार्य में बाधा और आचार संहिता के उल्लंघन का मामला थाना परदेशीपुरा पर दर्ज किया गया था, जिसमें प्रशासन अभियोजन दोष सिद्ध नहीं कर पाया। परिणामस्वरूप जिला न्यायाधीश राहुल डोंगरे की कोर्ट ने 16 साल बाद इनमें से 72 आरोपियों को बरी कर दिया है।बरी किए गए लोगों में से कई उस दौरान भाजपा के पार्षद थे।
विधानसभा चुनाव 2008 के दौरान क्षेत्र क्रमांक दो से पुलिस-प्रशासन की कथित मनमानी के खिलाफ शांति मार्च का आह्वान किया गया था, जिसमें भाजपा के तत्कालीन पार्षदों सहित कार्यकर्ता भी शामिल थे।तत्कालीन एसपी संजीव शमी ने बिना अनुमति निकाले इस शांति मार्च को रोकने के आदेश दिए।कार्यकर्ताओं ने एसपी के खिलाफ नारेबाजी की, पुलिस ने लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया था।बाद में इसे आचार संहिता का उल्लंघन मामला बताया गया था लेकिन 265 लोगों के विरुद्ध बलवा,शासकीय कार्य में बाधा और आचार संहिता के उलंघन का मामला थाना परदेशीपुरा पर दर्ज किया गया था।
🔹265 में से इसलिये हुए 72 बरी
इस मामले में बनाए गए 272 में से सिर्फ 72 आरोपी ही क्यों बरी हुए? इसकी मुख्य वजह यह कि 2008 से कोर्ट में चल रहे प्रकरण में ये 72 लोग ऐसे थे जो बिना नागा कोर्ट की हर तारीख-ट्रायल पर हाजिर हो रहे थे।बाकी में कई ऐसे रहे जिन्होंने हाजरी माफी का आवेदन लगाया या किसी तारीख पर हाजिर नहीं हुए।तब से अब तक यह लाठीचार्ज इंदौर के राजनीतिक जगत में और कोर्ट में भी चर्चित था।आज फैसले के दौरान भाजपा नेताओं-समर्थकों की भीड़ रही।आरोपियों की तरफ से पैरवी करने वाले एडवोकेट श्रीराम भदोरिया ने बताया शेष 193 आरोपियों की तरफ से कोर्ट में आवश्यक दस्तावेज पेश करेंगे, उस मुताबिक न्यायालय निर्णय लेगा।
🔹अब विदेश जा सकेंगे ।
बरी किए गए भाजपा नेताओं में एमआयसी मेंबर राजेंद्र राठौर, पूर्व पार्षद कल्याण देवांग, कोर्ट केस में फैसला नहीं होने से विदेश नहीं जा पा रहे थे। अब वीजा आदि की समस्या में राहत मिल गई है। इन दोनों के साथ बरी किये गए अन्य प्रमुख नेताओं में चंदू शिंदे, हरिशंकर पटेल, मांगीलाल रेडवाल, हरिनारायण यादव, सूरज कैरो, राजकपूर सुनहरे,पूजा पाटीदार, कविता खोवाल, सुधा चौधरी, सुमन यादव हैं।इस मामले में आरोपियों की ओर से पहले एडवोकेट जगदीश राय पैरवी कर रहे थे तब नामजद आरोपी नहीं होने से 11 के नाम एफआईआर से हटाने के निर्देश कोर्ट ने दिये थे। उनके निधन के बाद एडवोकेट सन्दीप चौधरी, उमेश यादव सीनियर,राजेन्दर शर्मा, श्रीरामसिंह भदौरिया एडवोकेट पैरवी कर रहे थे।
🔹आरोपियों में कुछ गमी में जा रहे थे ।
एडवोकेट श्रीराम भदौरिया के मुताबिक 265 आरोपियों में से कुछ तो अन्य शहरों के थे जो मैयत में शामिल होने के लिए जा रहे थे।थोक में गिरफ्तारी में उन्हें भी आरोपी बना दिया था।तब हुए इस लाठीचार्ज के प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मांगीलाल रेडवाल को इतना मारा कि वह बेहोश हो गए थे।एक अन्य शैलेंद्र सोनवणे सहित तीन-चार को गंभीर चोंट आई थी।
🔹संजीव शमी का बहुत खौफ था ।
संजीव शमी (93 बैच के आईपीएस) वर्तमान में पुलिस मुख्यालय में एडीजी चयन के पद पर पदस्थ हैं।कम बात करने वाले संजीव शमी के व्यवहार को लेकर उनके मातहत अफसर और कर्मचारी भले ही खुश नहीं रहते हों लेकिन जब वे इंदौर के पुलिस अधीक्षक थे तब नेता हो या आम जनता उनकी कड़क मिजाजी से घबराते थे।मालवा मिल चौराहे पर हुआ लाठीचार्ज और तत्कालीन कलेक्टर विवेक अग्रवाल के आदेश पर हुआ एक अन्य लाठीचार्ज भी भाजपा के कई नेताओं को याद है।