इंदौर: मिनोति देसाई, इस नाम से आज की पीढ़ी परिचित नहीं है पर अस्सी- नब्बे के दशक में यह महिला क्रिकेट का जाना-माना नाम हुआ करता था। उस दौर में महिला क्रिकेट में न पैसा था और न ही ग्लैमर, बावजूद इसके इंदौर ने कई खिलाड़ी देश को दिए। संध्या अग्रवाल और मिनोति देसाई इनमें प्रमुख हैं। मिनोति भारतीय महिला टेस्ट और वन डे क्रिकेट टीम का हिस्सा रही हैं। वो ऑलराउंडर खिलाड़ी थीं। वामहस्त बल्लेबाज होने के साथ वो स्पिन गेंदबाजी में भी सिद्धहस्त थीं। असाधारण प्रतिभा की धनीं होने के बावजूद उन्हें केवल एक टेस्ट और एक वन डे में ही भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। 1986 में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने ये दोनों मैच खेले थे। मिनोति एकमात्र ऐसी खिलाड़ी रहीं हैं जिन्होंने 1988 में सीनियर नेशनल वुमेन्स क्रिकेट टूर्नमेंट में रेलवे की ओर से खेलते हुए कर्नाटक के खिलाफ 150 रनों की पारी खेली थी। ये रिकॉर्ड आज भी बरकरार है। 1992 में मप्र की ओर से खेलने के लिए उन्होंने रेलवे की नौकरी छोड़ दी थी। क्रिकेट की हर विधा में पारंगत होने और श्रेष्ठ प्रदर्शन के बावजूद उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया।कारण वही महिला क्रिकेट में छाई राजनीति और ऐसे समझौते करना जो मिनोति को गंवारा नहीं थे। अपनी उपेक्षा और कथित प्रताड़ना से निराश मिनोति ने महज 25 वर्ष की उम्र में क्रिकेट से सन्यास ले लिया।
‘शी द क्रिकेटर’ से आई चर्चा में।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर मिनोति बरसों बाद मिनोति एक बार फिर चर्चा में है। हालांकि इस बार वे एक लेखिका के रूप में सामने आई हैं। बीते रविवार को ब्रिलिएंट कन्वेंशन में mpca के पूर्व चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों मिनोति की इस पुस्तक का विमोचन किया गया था। मंगलवार को मिनोति ने मीडिया को आमंत्रित कर अपनी पुस्तक के बारे में जानकारी दी।
काल्पनिक चरित्र के सहारे मिनोति ने लिखी है आपबीती..!
होटल श्रीमाया में आयोजित कार्यक्रम में मिनोति देसाई की पुस्तक ‘शी द क्रिकेटर’ के बारे में वरिष्ठ पत्रकार संजीव आचार्य ने पत्रकारों को अवगत कराया। उन्होंने मिनोति के संघर्ष के साथ उनके साथ हुई नाइंसाफी का भी जिक्र किया, जिसके चलते मिनोति को असमय ही क्रिकेट से दूर हो जाना पड़ा।
मिनोति ने उपन्यास की तर्ज पर यह पुस्तक लिखी है। हिंदी में लिखी गई इस पुस्तक में सोनिया नाम का एक किरदार गढ़ा गया है जो खिलाड़ी है। उसका सपना होता है देश के लिए खेलना, लेकिन उसे आगे बढ़ने में कई दुश्वारियों, चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सोनिया नाम की इस किरदार पर अनचाहे समझौते के लिए दबाव बनाया जाता है, जिससे विवश होकर सोनिया क्रिकेट से सन्यास लेने का फैसला कर लेती है। मिनोति से जब पूछा गया कि क्या यह किताब उनकी अपनी आपबीती है, तो उन्होंने इससे इनकार किया और सोनिया को एक काल्पनिक किरदार बताया हालांकि मिनोति ने स्वीकार किया कि पुस्तक में सोनिया के जीवन में घटित कुछ घटनाएं उनकी जिंदगी से मेल खाती हैं। मिनोति ने यह भी माना कि श्रेष्ठ प्रदर्शन के बावजूद उन्हें भारतीय टीम से हटा देना और बाद में मौका न देना अंदर तक हिला गया था। इस नाइंसाफी के चलते वे डिप्रेशन में चली गई थीं। बड़ी कठिनाई से वे इस सबसे उबर पाई।
25 दिन में लिख दी किताब।
मिनोति ने बताया कि वे शुरू से जुनूनी रहीं हैं। इसी के चलते उन्होंने केवल 25 दिन में इस पुस्तक को लिख दिया। एक महिला खिलाड़ी को किन विषम परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। किसतरह के समझौते करने के लिए उनपर दबाव बनाया जाता है, इन सब बातों को सामने लाने का यह छोटा सा प्रयास है।
एमपीसीए महिला खिलाड़ियों को दे रहा भयमुक्त वातावरण।
कार्यक्रम में मौजूद एमपीसीए की सहसचिव सिद्धायनी पाटनी ने बताया कि महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने और खिलाड़ियों को खेलने के लिए सुरक्षित माहौल देने का हरसम्भव प्रयास एमपीसीए कर रहा है। उन्होंने मिनोति के साथ तत्कालीन समय में हुए बर्ताव को दु:खद बताया।
मिनोति के कोच रहे श्री कुलकर्णी ने भी इस मौके पर अपनी बात रखी।
पुस्तक का विधिवत लोकार्पण।
कार्यक्रम में ‘शी द क्रिकेटर’ का औपचारिक लोकार्पण भी एमपीसीए की सहसचिव सिद्धयानी पाटनी, वरिष्ठ पत्रकार संजीव आचार्य और स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने किया। अंत मे आभार मिनोति देसाई ने माना।