इंदौर : देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ऑडिटोरियम में बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, नवीन शिक्षा प्रणाली में कला प्रावधान विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। संस्कार भारती, जिला प्रशासन और जिला शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यशाला के उदघाटन सत्र में डॉ. मोहन यादव उच्च शिक्षा मंत्री मध्यप्रदेश मुख्य अतिथि के बतौर मौजूद रहे। अध्यक्षता सांसद शंकर लालवानी ने की।
उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने इस मौके पर द्वापर युग में बाल कृष्ण के शिष्य से लेकर जगत गुरु बनने तक की बातों का उल्लेख किया। सांसद लालवानी ने भी अपनी बात रखी।
जयपुर से पधारे वक्ता सोमकांत शर्मा ने नवीन शिक्षा नीति और उसके प्रचार-प्रसार में भारतीय संस्कृति की महत्ता को रेखांकित किया।
वरिष्ठ समाजसेवी शोभा ताई पैठणकर ने शिक्षा विभाग की योजनाओं को विस्तार से अपने उद्बोधन में प्रस्तुत किया।
भोपाल से पधारे डॉ. रवींद्र कान्हेरे ने वैज्ञानिक आधार एवं उसका कला से संबंध पर सउदाहरण अपनी बात रखी।
कार्यशाला के पहले सत्र का समापन पर्यटन व संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के पारंपरिक और विश्वव्यापी समृद्ध व सुखी होने की संकल्पना पर सारगर्भित उद्बोधन से हुआ।
द्वितीय सत्र में संगीतज्ञ शोभा ताई चौधरी, डॉक्टर शशिकांत तांबे, नाट्य विधा प्रमुख राजेंद्र देशमुख ,चित्रकला प्रमुख शुभा ताई वैद्य और नृत्य गुरु पद्मश्री डॉ. पूरु दाधीच ने शहर के शासकीय- अशासकीय स्कूलों के कार्यशाला में शामिल कला शिक्षकों को मार्गदर्शन प्रदान किया।
अपर कलेक्टर अभय बेडेकर ने मानवीय मूल्यों के उत्थान में शिक्षा के महत्व को बताया।
मंजूषा जोहरी ने शैक्षणिक तंत्र के प्रचार में समायोजित प्रावधान पर आत्मविश्वास व अनुशासन से शिक्षा को कैसे मजबूत किया जाए इस विषय पर अपने विचार रखे।
जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास ने व्यवहारिक शिक्षा पर विचार रखे।
पूजा सक्सेना ने साहित्य और संस्कृति के समावेश पर अपना काव्य उद्बोधन प्रस्तुत किया।
कार्यशाला का संचालन अभय मानके एवं भावना सालकाड़े ने किया। अतिथि स्वागत संस्कार भारती के अध्यक्ष संजय तरानेकर, महामंत्री सुधीर सूभेदार एवं संगीत विधा से सारंग लासूरकर ने किया !आभार प्रदर्शन संस्कार भारती प्रांत की अध्यक्षा कल्पना झोकरकर ने किया।
इस अवसर पर नाट्य विधा प्रमुख श्रीपाद जोशी, अध्यक्ष पिपलोनिया मंत्री संजय शर्मा एवं क्षेत्र प्रमुख संजय जोशी उपस्थित थे। उक्त जानकारी संस्कार भारती के अविनाश मोतीवाले ने दी।