सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर दिए जा रहे 10 फीसदी आरक्षण का लाभ हिंदुओं के साथ मुस्लिम, ईसाई और अन्य सभी धर्मों के गरीबों को मिल सकेगा।
केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण को लेकर 124 वे संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस आरक्षण का आधार सामाजिक या जातिगत नहीं बल्कि आर्थिक है।
विधेयक पर बहस के दौरान विपक्ष ने साकार का ध्यान सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई 50 फीसदी आरक्षण की लिमिट की ओर दिलाया। इसपर जवाब देते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो लिमिट तय की है वो जातिगत आरक्षण को लेकर है। आरक्षित और अनारक्षित वर्ग में संतुलन बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने यह सीमा तय की थी।
वामपंथियों पर कसा तंज
जेटली ने आर्थिक आधार पर आरक्षण का विरोध कर रहे वामपंथी सांसदों को लताड़ लगाते हुए कहा कि ये पहली बार है जब गरीबों को आरक्षण देने का वामपंथी विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस को भी याद दिलाया कि 2014 के घोषणापत्र में उसने सभी को आरक्षण का लाभ देने की बात कही थी।
निजी क्षेत्र में भी मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण
आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण निजी क्षेत्र के संस्थानों पर भी लागू होगा। प्राप्त जानकारी के मुताबिक सरकारी सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों पर यह लागू होगा। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को इस आरक्षण से मुक्त रखा गया है।