🔹स्मृति शेष/कल्याण जैन🔹
(शशिकांत गुप्ते): समाजवादी गंगा प्रसाद तिवारी दद्दू के संपर्क आए और कल्याण जैन (जन्म 1924) समाजवादी आंदोलन में सक्रिय हो गए।लोहियाजी के विचारों से प्रभावित कल्याण दादा जीवन के अंतिम समय तक समाजवादी विचारों के झंडाबरदार रहे।उनका जाना इंदौर ही नहीं देश से समाजवाद का एक स्तंभ ढह जाने के समान ही है।
उन्होंने युवावस्था में पर्वतारोहण भी किया। बाद में नगर निगम के पार्षद रहे। विधायक भी निर्वाचित हुए। विधान सभा में राज्यपाल का अभिभाषण अंग्रेजी भाषा में लिखा होने से विरोध में उसकी प्रति को सदन में जला दिया। सभापति ने छः दिनों के लिए सदन से निष्कासित कर दिया था। कई जनांदोलन में तो जेल गए ही, आपातकाल के दौरान 19 माह भी जेल में रहे।इंदिरा गांधी का पतन और जनता पार्टी के गठन के बाद सन 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कल्याण दादा को इंदौर से जनता पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया गया और उनकी जीत शानदार रही।
समाजवादी विचारधारा का ही असर रहा कि दादा दबे-कुचले तबकों की लड़ाई लड़ते रहे। उन्होंने खेरची व्यापारियों के सम्मान के लिए संघ बनाया। वे खेरची व्यापारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे।ठेला फुटपाथ यूनियन, नमकीन की दुकानों पर सेव बनाने वाले कारीगरों की भी यूनियन बनाई।जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भी रहे। वो समाज के अंतिम सोपान पर खड़े लोगों के लिए तो संघर्षरत रहे ही सांप्रदायिक सदभाव के पक्षधर भी थे।
इंदौर में हुए अंग्रेजी हटाओ राष्ट्रीय आंदोलन में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही। केंद में वित्तमंत्री कोई भी रहा हो, हर आम बजट से पहले कल्याण दादा बजट में प्रस्तावित सुधार लागू करने संबंधी अपनी रिपोर्ट भेजना नहीं भूलते थे।देश के पूर्व रक्षामंत्री-सपा के संयोजक मुलायम सिंह यादव परिवार से तो उनके घनिष्ठ संबंध थे ही पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, पूर्व रेलमंत्री लालू यादव से भी मधुर संबंध रहे।
हर चार-आठ दिन में उनसे फोन पर जब भी उनके स्वास्थ्य को लेकर मेरी चर्चा होती वो यही दोहराते थे देख लेना मेरी मौत भी निमोनिया से ही होगी। मेरे पिताजी,दादाजी भी निमोनिया में ही गए हैं। निमोनिया का शिकार होने के बाद कल्याण दादा एक बार तो स्वस्थ होकर आ गए थे लेकिन निमोनिया पलट जाने के बाद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता ही गया। उनकी स्मृति को सादर नमन।