राजबाडा टू रेसीडेंसी
अरविंद तिवारी
बात यहां से शुरू करते हैं :-
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की परीक्षा की असली घड़ी अब आई है। अभी प्रदेश के जो हालात हैं उससे निपटना बहुत टेढ़ी खीर है। इस दौर से मध्य प्रदेश कैसे पार पाता है, इस पर सबकी नजरें है। भाजपा में अपनी वरिष्ठता और चौथी बार का मुख्यमंत्री होने के बावजूद कोरोना संक्रमण के इस दौर में शिवराज जी को केंद्र से कई राज्यों की तुलना में कम तवज्जो मिल रही है। पिछले 15 दिन में ऐसे अनेक मौके आए जब भाजपा शासित दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री उन पर भारी पड़ते दिखे। सरल,सहज और कोरोना से निपटने में रात दिन एक करने वाले शिवराज भी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है और उनकी तुलना में मध्यप्रदेश के कुछ और नेताओं को क्यों तवज्जो मिल रही है।
कैलाश विजयवर्गीय भले ही सरकार में कोई भूमिका में ना हो लेकिन उन की धमक बरकरार है। पिछले दिनों जब वे इंदौर में जनप्रतिनिधियों और अफसरों से रूबरू हुए तो उनके तेवर देखने लायक थे। ऐसे कई मुद्दे जिनको लेकर सब असमंजस में थे और तमाम कोशिशों के बावजूद भी निराकृत नहीं कर पा रहे थे उन्हें विजयवर्गीय ने कुछ ही मिनट में निपटा दिया। चाहे रिलायंस के युवा तुर्क अनंत अंबानी से इंदौर के लिए ऑक्सीजन गैस का मामला हो, चाहे स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान से सरकारी कोटे में रखे जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन का मामला हो, कैलाश जी ने 1-1 फोन में दोनों समस्याएं सुलझा ली।
अपने निजी स्टाफ में महिला मित्र की नियुक्ति कर मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया भारी परेशानी में आ गए थे। जैसे ही महिला मित्र ने दफ्तर में बैठना शुरू किया, मंत्री जी की पत्नी ने बगावत कर दी और ऐसे तेवर दिखाए कि सिसोदिया भी हक्का-बक्का रह गए। लेकिन मामला महिला मित्र का था इसलिए वह भी आसानी से नहीं माने। आखिर बात ऊपर तक गई और वहां से हुए हस्तक्षेप के बाद मंत्री जी को अपनी महिला मित्र को स्टाफ से विदाई देना पड़ी। बताया जा रहा है कि पहले मंत्री जी और महिला मित्र की मुलाकात भोपाल में एक ठिए पर हुआ करती थी पर बाद में मंत्री जी ने उसे स्टाफ में ही ले लिया।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का संसदीय क्षेत्र खजुराहो बहुत लंबा चौड़ा है। प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच शर्मा अपने संसदीय क्षेत्र की व्यवस्थाओं को खंगालने निकले। पन्ना में जब वे अफसरों से रूबरू हुए तो पता चला कि जिला मुख्यालय वाले इस शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल यानी जिला चिकित्सालय में सीटी स्कैन मशीन ही नहीं है। यहां के लोगों को सागर जाकर सिटी स्कैन करवाना पड़ता है। अध्यक्ष जी चौंक पडे। वह दौरा पूरा करके भोपाल पहुंचते इसके पहले ही उनका वह पत्र मुख्यमंत्री तक पहुंच गया जिसमें उन्होंने पन्ना में तत्काल सीटी स्कैन मशीन की व्यवस्था करने को कहा था। देखना यह है कि प्रदेश अध्यक्ष की चिंता को सरकार कितनी गंभीरता से लेती है।
राजनीतिक गलियारों में इन दिनों कमल पटेल की बड़ी चर्चा है। ऐसे समय में जब पूरा मंत्रिमंडल कोरोना से निपटने के लिए मैदान में है कमल पटेल आखिर कहां है ? प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ मंत्रियों को जो अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी है उसमें भी कहीं कमल पटेल का नाम नहीं है। उनके गृह जिले हरदा में भी उनकी ढूंढ मची हुई है। दरअसल सारे सूत्र अपने हाथ में लेकर काम करने की आदत और इस बार ऐसा संभव न होने के कारण यह स्थिति बनी है। यही कारण है कि इस कठिन दौर में भी पिछले 15 दिन से मंत्रीजी भोपाल में अपने घर में ही आराम फरमा रहे हैं।
इंदौर में कलेक्टर रह चुके आईएएस अफसर आकाश त्रिपाठी की स्वास्थ्य आयुक्त के रूप में पदस्थगी से प्रदेश की सेहत सुधरना तो तय है लेकिन इस विभाग के आला अफसर अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान की सेहत जरूर खराब हो सकती है। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव की संयुक्त पसंद के चलते त्रिपाठी इस विभाग में लाए गए हैं और उन्हें लाने का मकसद क्या है यह किसी से छुपा हुआ नहीं है। त्रिपाठी की गिनती प्रदेश के बहुत ही दक्ष और कार्य कुशल अफसरों में होती है। जहां भी वे पदस्थ रहे हैं, उस पद को उन्होंने नई ऊंचाई दी है। अभी प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की जो स्थिति है उसमें नई पदस्थापना त्रिपाठी के लिए भी कम चुनौती नहीं है।
इस दौर में जब पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पूरी ताकत झोंक दी गई हो, मंत्रालय की पांचवी मंजिल पर सबकी निगाहें आनंद शर्मा की ओर हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा के यह अधिकारी इस महीने के अंत में अपना सेवाकाल पूर्ण कर रहे हैं। कुछ महीने पहले जब उन्हें उज्जैन कमिश्नर से मुख्यमंत्री के सचिव के रूप भोपाल लाया गया था तब यह माना गया था कि सेवानिवृत्ति के बाद भी उनका मुकाम पांचवी मंजिल पर ही रहेगा और वह मुख्यमंत्री सचिवालय में ही नई भूमिका में रहेंगे। अब देखना यह है की शर्मा की नई भूमिका क्या होती है। फिलहाल तो वे मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में मुख्यमंत्री और सांसद-विधायकों के बीच सेतु की भूमिका में हैं।
कभी- कभी कोई अफसर अपने व्यक्तिगत संपर्कों का उपयोग करके कैसे सिस्टम को फायदा पहुंचाता है और अपनी प्रशासनिक दक्षता बढ़ाता है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है; गुना जिले के कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम।मध्यप्रदेश में रेमडिसिवर इंजेक्शन की भारी किल्लत के बीच उन्होंने गुना के लिये अलग से रेमडिसिवर बंगलौर से मंगवा लिये। मध्यप्रदेश सरकार भी रेमडिसिवर अपनी प्राथमिकता से जिलों को इस इंजेक्शन की सप्लाई कर रही है, वो मरीजों की संख्या और जरूरत के हिसाब से कम ही हैं। कुमार पुरषोत्तम की अपनी कार्यशैली, संपर्कों और उनकी प्रो-एक्टिव होकर काम करने की आदत ने उनके जिले के कोविड मरीजों को बड़ी राहत दी है।
चलते चलते
राजधानी भोपाल में बहुत अहम भूमिका में पदस्थ एक युवा आईएएस अफसर का महाकाल की नगरी से रिश्ता टूट नहीं रहा है। पहले इसी नगरी में पदस्थ रह चुके उक्त अफ़सर की यह दीवानगी किस कारण से है यह जरा पता तो करें। वैसे इसके तार गीत- संगीत से जोड़े जा रहे हैं।
पुछल्ला।
मुख्यमंत्री रहते हुए कमलनाथ के पीआरओ रहे मनोज पाठक भले ही इस दुनिया में नहीं रहे हो लेकिन उनकी बीमारी की सूचना मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने जिस तरह की सक्रियता दिखाई और पल-पल की जानकारी लेते रहे उसकी जनसंपर्क विभाग के अफसरों और राजधानी की मीडिया बिरादरी में बड़ी चर्चा है।
अब बात मीडिया की
पत्रकारिता करते करते जनसंपर्क विभाग की सेवा में आए मनोज पाठक के निधन पर सबसे ज्यादा दु:खी राजधानी के खबर नवीस नजर आए। कॉफी हाउस में रोज सजने वाली पाठक की महफिल खबरों का बड़ा माध्यम हुआ करती थी। प्रदेश के तीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, उमा भारती और कमलनाथ के पीआरओ रहे पाठक की कमी हमेशा महसूस होगी।
news24 ने जिस अंदाज में अपना रीजनल चैनल शुरू किया है और जो तेवर उनकी टीम ने अख्तियार किए हैं उसने कई रीजनल चैनल को अपनी शैली बदलने पर मजबूर कर दिया है।
पंकज मुकाती के नए प्रोजेक्ट साप्ताहिक पॉलिटिक्स वाला का पिछला अंक देश भर में चर्चा में रहा। खासकर राजधानी दिल्ली में इसकी बड़ी गूंज रही। जिस दमदारी से इस समय कुंभ के शाही स्नान के मुद्दे को उठाया गया उसे सभी ने सराहा।
पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद मिश्रा और ईटीवी भारत के संवाददाता अंशुल मुकाती कोरोना को शिकस्त देकर घर आ गए हैं। वरिष्ठ पत्रकार पंकज मुकाती और अनिल त्यागी भी इस गंभीर बीमारी को शिकस्त देने की कगार पर हैं। शहर के दो वरिष्ठ पत्रकार जीएस यादव और राजेश मिश्रा को हमें इस दौर में खोना पड़ा।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बराबर दखल रखने वाली वरिष्ठ पत्रकार नासिरा मंसूरी ने हैथवे बी टीवी चैनल को अलविदा कह दिया है।