इंदौर : तर्पण में श्रद्धा के साथ अर्पण और समर्पण का भाव भी होना चाहिए। भारतीय संस्कृति सात जन्मों तक पुनर्जन्म में विश्वास रखती है। हमारे कर्मों के आधार पर ही मोक्ष की मंजिल तय होगी। भविष्य को संवारने के लिए वर्तमान में अपने प्रत्येक कर्म में अर्पण और समर्पण का भाव रखें, यही सबसे बड़ा तर्पण होगा। प्रसन्नता और शांति बाजार में नहीं मिलते। तर्पण हमारी श्रद्धा को व्यक्त करने का शास्त्रोक्त उपाय है जो हमें भी मोक्ष की मंजिल तक ले जाता है।
ये प्रेरक विचार आचार्य पं. पवन तिवारी ने व्यक्त किए। वे बड़ा गणपति, पीलियाखाल स्थित हंसदास मठ पर श्रद्धासुमन सेवा समिति के तत्वावधान में चल रहे तर्पण अनुष्ठान में बोल रहे थे। बुधवार को सर्वपितृ अमावस्या होने से 1200 से अधिक साधकों ने शामिल हो कर दिवंगत परिजनों के लिए शास्त्रोक्त विधि से तर्पण किया। हालत यह थी कि निर्धारित स्थल के अलावा हंसदास मठ के प्रवेश द्वार के सामने भी 500 से अधिक परिजन मौजूद थे। अ.भा. दिगम्बर व अखाड़ा पंचवटी नासिक के महंत रामकिशोरदास शास्त्री के मुख्य आतिथ्य में विधायक रमेश मेंदोला ने हंसपीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सान्निध्य और परशुराम महासभा के पं. पवनदास शर्मा के विशेष आतिथ्य में तर्पण अनुष्ठान की आरती में भाग लिया। उन्होंने सभी संत विद्वानों को सम्मानित भी किया। इसी तरह महंत रामकिशोर शास्त्री ने समिति के वयोवृद्ध संस्थापक मोहनलाल सोनी को भी इस अनूठे सेवा प्रकल्प के लिए सम्मानित किया। इस अवसर पर श्रद्धासुमन सेवा समिति की ओर से मोहनलाल सोनी, हरि अग्रवाल, राजेंद्र गर्ग, शंकरलाल वर्मा, सीताराम सोनी, राजेंद्र सोनी, आशीष जैन, आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। आयोजन समिति की ओर से आचार्य पं. पवन तिवारी का आत्मीय सम्मान भी किया गया। महंत रामकिशोरदास शास्त्री ने कहा कि यह एक शास्त्र सम्मत प्रक्रिया है, जिसका सभी सनातन धर्मियों को पालन करना चाहिए। संचालन राजेंद्र सोनी ने किया और आभार कमल गुप्ता ने माना।
सर्वपितृ अमावस्या पर 12 सौ से अधिक साधकों ने किया दिवंगत परिजनों का तर्पण
Last Updated: October 7, 2021 " 01:01 am"
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