शिकायतकर्ताओं का दावा, जांच में आरोप सिद्ध होने पर भी सहकारिता विभाग दोषी संचालकों के खिलाफ नहीं कर रहा कार्रवाई।
हाईकोर्ट के आदेश की भी की जा रही अवहेलना।
इंदौर : शिवविलास पैलेस स्थित सहकारी साख संस्था सहकारी समर्थ मंडल में करोड़ों रुपए का घोटाला जांच में सिद्ध होने और हाईकोर्ट द्वारा घोटाले के जिम्मेदार पदाधिकारियों के खिलाफ दो माह में कार्रवाई करने व ईओडब्ल्यू को मामला सौंपे जाने का आदेश देने के बावजूद सहकारिता विभाग ने आज तक दोषी संचालकों के विरुद्ध कोई एक्शन नहीं लिया है।
ये आरोप संस्था के किशोर धायगुडे, संजय धामोरे और सुनील वालेकर ने प्रेस वार्ता कर लगाए। उनका कहना है कि सहकारी समर्थ मंडल में 2017 से 2022 तक 14 करोड़ 28 लाख रुपए का गोलमाल हुआ है। इसकी शिकायत सहकारिता उपायुक्त, संयुक्त आयुक्त और आयुक्त सहकारिता भोपाल को की गई थी। आयुक्त सहकारिता भोपाल द्वारा दल गठित कर संस्था के लेनदेन व कार्यों की जांच करवाई गई। जांच में गंभीर आर्थिक अनियमितताओं का खुलासा होने पर आयुक्त सहकारिता भोपाल ने संयुक्त आयुक्त, उपायुक्त सहकारिता को 1 मई 2017 को पत्र जारी कर संबंधित संचालकों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई करने और संस्था को हुई आर्थिक हानि की वसूली करने के निर्देश दिए गए थे। इन निर्देशों का पालन नहीं होने पर सहकारिता विभाग और संस्था संचालकों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 4 जुलाई 2023 को आदेश पारित कर आयुक्त सहकारिता को उनके 01 मई 2017 को जारी पत्र के अनुपालन में संस्था के संबंधित संचालकों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने और मामला ईओडब्ल्यू को सौंपे जाने को कहा। बावजूद इसके 06 माह बीतने के बाद भी आयुक्त सहकारिता द्वारा विभाग के अधिकारियों और संस्था के दोषी संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसा करके हाईकोर्ट के आदेश की भी घोर अवमानना की जा रही है।
ये लगाए गए आरोप।
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि कंप्यूटर खरीदी के बावजूद संस्था का कामकाज मेनुअली किया जा रहा है।
लोन मनमाने ढंग से बिना संपत्ति गिरवी रखे बांटे जा रहे हैं।
संस्था के निचले स्तर के कर्मचारियों को नियम विरुद्ध लाखों रुपए अग्रिम राशि का भुगतान कैश में किया गया जबकि यह राशि चेक से दी जाना थी।आज भी संस्था में सारा लेनदेन कैश में किया जाकर रिजर्व बैंक के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
संस्था की कुल 14 करोड़ 28 लाख 80 हजार रुपए की राशि म्यूचुअल फंड, गुजरात मर्केंटाइल, मित्र मंडल सहकारी बैंक में निवेश की गई थी, डूब गई। इसके अलावा भवन रिपेयरिंग के नाम पर भी संस्था को 94 लाख 70 हजार से अधिक का चूना लगाया गया।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि वे सहकारिता विभाग के रुख से हैरान हैं और हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना का केस फाइल करने जा रहे हैं।