सानंद गोष्ट सांगा प्रतियोगिता का फाइनल संपन्न।
आधुनिकता और पुरानी कहानियों का मेल देखने को मिला।
कहानियों के जरिए अपनी संस्कृति को सहेजने का प्रयास।
इदौर। सानंद न्यास द्वारा प्रतिवर्ष गोष्ट सांगा प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। अब बच्चों को कहानियों के माध्यम से संस्कार देने की परंपरा कही लुप्त होती जा रही है। सानंद ने गोष्ट सांगा प्रतियोगिता के माध्यम से न केवल इंदौर शहर बल्कि आसपास के क्षेत्रों मे भी गत चार माह से छोटे स्तर पर आरभिक प्रतियोगिताएं आयोजित की। जाल सभागार में आयोजित फाईनल राउड मे 15 प्रतिभागियों ने भाग लिया और रोचक कहानियां सुनाई।प्रत्येक प्रतिभागी को एक मेंटर भी दिया गया था जो कला जगत से ही जुड़े थे। जिन्होने इन प्रतिभागियों की प्रतिभा को फायनल के लिए और निखारा था।
कार्यक्रम का शुभारंभ एवं पुरस्कार वितरण दवे मसाला प्रा लि के जितेन्द्र दवे ने किया। अतिथि स्वागत श्रीनिवास कुटुबळे,जयंत भिसे,आराध्य तागडे ने किया। संचालन स्पर्धा सयोजक रेणुका पिगळे ने किया और आभार जयंत भिसे ने माना।
ये रहे विजेता।
स्पर्धा का फाइनल राउंड समाप्त होने के बाद निर्णायकों ने विजेताओं के नाम घोषित किए। इसमें छाया पहुरकर प्रथम, प्रशांत इंदुरकर द्वितीय और मनीषा सूपेकर तृतीय स्थान पर रहे।
दिए गए आकर्षक पुरस्कार।
स्पर्धा में विजेता रही महिलाओं को साडी व पुरुषों को कुर्ता पायजामा के साथ ही वामन हरि पेठे ज्वेलर्स द्वारा सोने की नथ एवं पेडेन्ट तथा अच्युत पोतदार द्वारा प्रायोजित पुरस्कार एवं सम्मान पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। निर्णायक थे लक्ष्मण नवाथे, जयश्री केळापुरे और रश्मि मंडपे।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में दर्शक कहानियों को सुनने के लिए उपस्थित थे।