सालों से नहीं हुआ लीज का नवीनीकरण पर धड़ल्ले से हो गए अवैध निर्माण

  
Last Updated:  December 1, 2024 " 04:23 pm"

इंदौर : राजगढ़ कोठी, रतलाम कोठी जैसे क्षेत्रों में सालों पहले लीज पर ली गई सरकारी जमीन का उपयोग कर रहे लोगों ने आज तक लीज का नवीनीकरण ही नहीं कराया है। बावजूद इसके, कई जमीनों का उपयोग मद ही बदलकर अनुमति के विपरीत अवैध निर्माण कर लिया गया है। ऐसे प्रकरणों में कई बड़े नाम सामने आ रहे हैं। जिला प्रशासन की जांच में हकीकत सामने आने के बाद अब इन जमीनों को सरकारी मद में दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी।

रेसीडेंसी कोठी, रेसीडेंसी उद्यान, सरकारी बंगले, रेडियो कॉलोनी, रतलाम कोठी, एबी रोड स्थित रुक्मणी मोटर्स परिसर, सिटी बस कार्यालय परिसर, एमवाय अस्पताल क्षेत्र, चिडिय़ाघर, मुसाखेड़ी, आजाद नगर और शुक्ल नगर का हिस्सा रेसीडेंसी क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिसके अधिकार के लिए जिला प्रशासन जल्द ही आरओआर की एंट्री पूरी करने के बाद दावे-आपत्तियां बुलाने की कार्रवाई करेगा।

नक्शे में एंट्री पूरी होते ही दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी। इसके पहले प्रशासन के अधिकारियों के पास कई चौंकाने वाली जानकारियां भी सामने आई हैं।

क्षेत्र की जमीनों का लीज नवीनीकरण सालों से हुआ ही नहीं है, फिर भी कई जमीनों का उपयोग ही बदल दिया गया है। कुछ जमीनों पर अवैध निर्माण भी मिले हैं, जिसे देखते हुए नगर निगम ने मप्र भूमि विकास नियम 2012 और मप्र नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 के तहत नोटिस जारी किए हैं। भूमि के स्वामित्व की अंतिम अधिसूचना जारी होना बाकी है, जिसके बाद नए रिकॉर्ड में सभी खाताधारकों के नाम, उनके शेयर, जिम्मेदारियां और सुखभोग अधिकार दर्ज होंगे।

तीन सेक्टरों में एंट्री शुरू।

रेसीडेंसी क्षेत्र को तीन सेक्टरों में बांटा गया है, जिसमें सेक्टर एक में दो और तीन में क्रमश: 219, 102 और 279 भूखंड मौजूद हैं। यहां निजी और लीज के मिश्रित कुल 600 से ज्यादा सर्वे शामिल हैं। इनमें आरओआर की एंट्री सेक्टर एक में 131, दो में 95 और तीन में 104 को मिलाकर 330 एंट्री पूर्ण की जा चुकी है, वहीं सेक्टर एक में 88, दो में 7 और तीन में 175 सहित 270 की एंट्री होना शेष है।

भूखंडधारियों के पास कागजात ही नहीं।

सर्वे कार्य में भूखंडधारियों के दस्तावेजों के मिलान के दौरान कई निजी संपति के लिंक दस्तावेज उपलब्ध कराए जा चुके हैं तो कुछ के पास संपूर्ण कागजात मौजूद नहीं हैं, वहीं जिन्हें लीज पर भूमि दी गई थी, उसमें से कुछ का उद्देश्य के विपरीत उपयोग किया जा रहा है और अनेक जमीनों की लीज की समय अवधि समाप्त हुए सालों बीत गए हैं।

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