इंदौर : मध्य प्रदेश का इतिहास बड़ा गौरवशाली रहा है l मनुस्मृति में भी मध्यप्रदेश का उल्लेख है l सतयुग में ब्रह्माजी ने नरसिंहपुर के बर्मन घाट पर तपस्या की तो त्रेतायुग में भगवान श्रीराम आए l द्वापर युग में सांदीपनि ऋषि ने उज्जैन में श्रीकृष्ण और सुदामा को शिक्षा दी तथा कलयुग में आद्य शंकराचार्य ने ओंकारेश्वर में तप किया l मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी की सभ्यता सरस्वती घाटी और सिंधु घाटी से भी पुरानी है l
ये बात मध्य प्रदेश के पूर्व एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज श्रीवास्तव ने अभ्यास मंडल के मासिक व्याख्यान में मुख्य वक्ता बतौर कही। विषय था _ वर्तमान परिपेक्ष्य में भारत के ह्रदयस्थल मध्य प्रदेश में विकास की स्थिति l मध्य प्रदेश की स्थापना की पूर्व संध्या पर यह आयोजन मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति सभागृह में आयोजित किया गया। अध्यक्षता सांसद शंकर लालवानी ने की। संस्था अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता भी मंच पर विराजमान थे।
अपने एक घंटे के धाराप्रवाह भाषण में मध्य प्रदेश के प्रागैतिहासिक काल और पुरातत्व संपदा को रेखांकित करते हुए मनोज श्रीवास्तव ने आगे कहा कि प्रदेश के मंडला जिले में आज भी सीप और शंख मिलते हैं , जो इस बात का घोतक है कि यहां कभी समुद्र था l इस प्रदेश का संबंध गुरु सांदीपनि, जमदग्नि, जाबाल, कपिल ऋषि से रहा l यहां संत सिंगाजी, संत पीपा जैसे एक दो नहीं 230 संत हुए l 200 से ज्यादा प्राचीन गुफाएं और कई अद्भुत किले यहां हैं। इतने ऐतिहासिक और पुरातात्विक संपदा से संपन्न इस प्रदेश की विरासत को समझने और सहेजने की जरूरत है l इसका इस्तेमाल धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन उद्योग में किया जाए तो सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व भी मिलेगा और हमारी प्राचीन धरोहर को दुनिया में विशिष्ट पहचान मिलेगी l
मनोज श्रीवास्तव के मुताबिक 1956 में जब इस प्रदेश का गठन हुआ था तब कहा गया था कि यह महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, राजस्थान जैसे बचे हुए प्रदेशों का अवशेष है और इसकी अपनी कोई भाषा और वेशभूषा नही है। जबकि यह प्रदेश शेष होकर भी विशेष है l यह प्रदेश देश का ह्रदय स्थल इसलिए नहीं है कि भौगोलिक दृष्टि से मध्य में है, बल्कि इसलिए है कि यहां के लोगों में भावनात्मक हार्दिकता है और यही इसकी खासियत है ।
कई मामलों में विशिष्ट है मप्र।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि मध्य प्रदेश कई मामलों में विशिष्ट है। इसके इतिहास पर प्रदेशवासियों को गर्व होना चाहिए। यहां पर्यटन की अपार संभावनाए हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि स्वागत संस्था अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता, अशोक जायसवाल और रमेश गुप्ता ने किया। कार्यक्रम का संचालन अशोक कोठारी ने किया। आभार मालासिंह ठाकुर ने माना l कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के सदस्य डॉ भरत शर्मा, पूर्व कुलपति डॉ भरत छापरवाल,रामविलास राठी, प्रमोद डफ़रिया, अशोक जायसवाल, विजय मेहता, सुदेश वाजपेयी, नरेन्द सिंह बापना,बृजभूषण चतुर्वेदी, मनोज मारू, गौतम कोठारी राजेश अग्रवाल, जेठानंद रमनानी, अनिल त्रिवेदी,व्ही के जैन, अरविन्द ओझा, पर्यावरणविद डॉ. ओपी जोशी, सुहासिन कुलकर्णी, श्याम सुंदर यादव, आलोक खरे, , प्रवीण जोशी ,अरविंद पोरवाल, शफी शेख, हरेराम वाजपेई आरके जैन, पीसी शर्मा, , दीप्ति गौर, सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे l