इंदौर : ख्यात टीवी, फ़िल्म और रंगमंच कलाकार अखिलेन्द्र मिश्रा का कहना है कि ‘कश्मीर फाइल्स’ यथार्थवादी फ़िल्म है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। कुछ लोगों द्वारा फ़िल्म के विरोध को लेकर उनका कहना था कि विरोध तो अच्छी हो या बुरी हर बात का होता है, यह मानवीय प्रवृत्ति है। मनोरंजन के अन्य माध्यमों से सिनेमा पर असर नहीं पड़ता, उंसका वजूद हमेशा बना रहेगा। हाल ही में प्रेस्टीज फ़िल्म महोत्सव में भाग लेने इंदौर आए अखिलेन्द्र मिश्रा ने अवर लाइव इंडिया से चर्चा में यह बात कही।
विषय वस्तु ही महत्वपूर्ण होती है।
अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सिनेमा में विषय वस्तु ही महत्वपूर्ण होती है। उसी से फ़िल्म चलती है। कुछ निर्माताओं ने फिल्मों को पैसा कमाने का जरिया बना लिया है, इसलिए वे स्टार अभिनेताओं के पीछे भागते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि विषय वस्तु से बड़ा कोई स्टार नहीं होता।
सिनेमा को कोई खतरा नहीं।
अखिलेन्द्र ने कहा कि मनोरंजन के नए- नए माध्यमों के बावजूद सिनेमा को कोई खतरा नहीं है। सिनेमाघरों में फ़िल्म देखने का अपना अलग मजा है, जिसकी जगह कोई नहीं ले सकता।
ओटीटी के आने से बढ़े हैं अवसर।
अखिलेन्द्र ने माना कि ओटीटी जैसे प्लेटफार्म के आने से युवा प्रतिभाओं को आगे आने के अवसर मिले हैं। लघु फिल्मों और वेब सीरीज के जरिए युवा कलाकार अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं।
हिंदी नाटकों के लिए अच्छे दिन।
थिएटर से भी लंबे समय तक जुड़े रहे अखिलेन्द्र मिश्रा ने कहा कि पहले हिंदी नाटकों का दर्शक वर्ग नहीं था, पर अब हालात बदलें हैं। हिंदी नाटक भी बहुतायत में होने लगे हैं। छोटे- छोटे शहरों में भी नाट्य महोत्सव आयोजित होने लगे हैं।
हर तरह की भूमिकाएं की हैं।
चंद्रकांता के क्रूर सिंह अखिलेन्द्र के अनुसार टीवी और फिल्मों में उन्होंने हरतरह की भूमिकाएं निभाई हैं। लगान, गंगाजल, अंतर्द्वंद, वीरगति, वीरजारा, सहित कई फिल्मों में उन्होंने सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के किरदार अभिनीत किए हैं।
सिनेमा और थिएटर के लिए अलग मंत्रालय बनें।
अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा के अनुसार थिएटर को भी जीविका का साधन बनाया जा सकता है अगर सरकार सिनेमा और थियेटर के लिए अलग मंत्रालय बनाकर उसे प्रोत्साहन दें। थिएटर, समाज की उन्नति, सोच और विकास की दिशा तय करता है।