दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सोया सम्मेलन के पहले दिन प्रतिनिधियों ने रखी मांग।
इंदौर : द सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के बैनर तले स्थानीय ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल सोया कॉन्क्लेव की शुरुआत शनिवार को हुई। सम्मेलन में सोया इंडस्ट्री से जुड़े देश – विदेश के सैकड़ों प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए परिवहन खर्च की भरपाई करे सरकार।
सम्मेलन के पहले दिन चर्चा सत्रों के दौरान सोया इंडस्ट्रीज से जुड़े विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि सरकार को सोयामील निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए शुल्क व परिवहन खर्च की भरपाई करना चाहिए, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के सोया उत्पाद प्रतिस्पर्धा में टिक सकें।
सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन सत्र रविवार को होगा। इसमें केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल शामिल होंगे। गडकरी ऑनलाइन कॉन्क्लेव में जुड़ेंगे।
निर्यात बढ़ने से 2 बिलियन डॉलर का मिल सकता है राजस्व।
सोया उद्योगों की और से वर्तमान की स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर बात रखते हुए सोपा के पदाधिकारियों ने कहा कि बीते दो वर्ष सोया उद्योगों के लिए कठिनाई भरे रहे हैं। देश में सोयाबीन की कीमतें उच्चतम स्तर पर जाने के चलते निर्यात रुक गया। जैन ने कहा कि विश्व व्यापार संग़ठन के नियमों के अनुसार सरकार सोयामील निर्यात पर इंसेंटिव नहीं दे सकती। लेकिन देश के निर्यातकों को देश के भीतर ही सोयामील परिवहन की लागत अंतरराष्ट्रीय फ्रेट भाड़े से ज्यादा पड़ती है। 9 से 10 प्रतिशत के अन्य घरेलू शुल्क व खर्च सोयामील की लागत में जुड़ रहे हैं। सरकार को फ्रेट शुल्क और आंतरिक टैक्स पर छूट देना चाहिए। यदि सरकार राहत देती है तो मौजूदा परिस्थिति में सोयामील का निर्यात 40 लाख टन तक हो सकता है। इससे 2 बिलियन डॉलर देश में आएंगे।
किसानों को अच्छे बीज उपलब्ध कराए सरकार।
सोपा के अनुसार देश में सोयाबीन का उत्पादन 120 से 125 लाख टन रहने की उम्मीद है। 2025 तक उत्पादन का आंकड़ा 160 लाख टन और 2030 तक 2 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। बशर्ते सरकार, सोयाबीन की खेती के लिए किसानों को, निर्यात के लिए उद्योगों को राहत दे। सोपा ने कहा कि देश में अब भी प्रति हेक्टेयर सोयाबीन उतपादन कम है। ऐसे में देश में किसानों को अच्छा बीज सरकार द्वारा उपलब्ध करवाने की जरूरत है।
खाद्य तेलों के आयात पर अंकुश जरूरी।
सम्मेलन में कहा गया कि किसानों को अच्छे दाम मिल सके इसलिए खाद्य तेल के निर्यात की मात्रा पर नियंत्रण की जरूरत है। सोपा ने सरकार द्वारा हाल की में देश में 0 प्रतिशत शुल्क पर आयात किए तीन तरह के खाद्य तेलों के आयात के निर्णय को उद्योगों और किसानों के लिए प्रतिकूल बताया। सोपा ने कहा कि सिर्फ भारत समेत कुछ ही देश है जो नॉन जीएम सोयाबीन उगाते हैं। इसमें भारत सबसे बड़ा उत्पादक है।
खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो भारत।
सोपा के चेयरमैन डॉ. डेविश जैन के मुताबिक भारत अपनी जरूरत का 70 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है। जरूरत आयात कम करके देश में खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ाने की है। सरकार सकारात्मक रवैया अपनाए तो इस क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किया जा सकता है।