वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. गरीबा परमालिया को 29वें पुण्य स्मरण पर दी गई श्रद्धांजलि।
इन्दौर : 1857 की प्रथम क्रांति के बाद 1942 के मुम्बई महाधिवेशन में महात्मा गांधी ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो, करो या मरो ‘ का नारा देकर जन आंदोलन की शुरुआत की थी। वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. गरीबा परमालिया अपना घर-परिवार छोडक़र बाल्यकाल में ही अंग्रेजों के खिलाफ इस आंदोलन में कूद पड़े और अंग्रेजों से लड़ते हुए राजस्थान से इन्दौर आ गए। बाद में यहीं के होकर रह गए। ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के 29वें पुण्य स्मरण के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अ.भा. कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल ने स्व. श्री परमालिया के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरले हैं, जिन्होंने मातृ भूमि के लिए अपने आप को झोंककर देश को आजाद कराने में अपना योगदान दिया। मैं स्व. परमालिया को नमन करता हूँ।
इस अवसर पर अ.भा. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मदन परमालिया, शिक्षाविद् देवेन्द्र दुबे, शहीद परिवार से अजीत कुमार जैन, विजय राठौर, सागर भूरिया, निखिल सिंह, संजय जयंत, गणेश वर्मा, सुभाष वरूण, जगमोहन सोन आदि ने भी स्व. परमालिया को श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।
इस अवसर पर उनके पुत्र मदन परमालिया ने पिताश्री के योगदान के लिए प्रतिवर्ष सेनानी परिवार में चयन कर स्व. गरीबा परमालिया के नाम से अवार्ड देने का निर्णय लिया।