इंदौर : रामभक्त हनुमान का प्रकटोत्सव पूरे शहर में आस्था व उल्लास के साथ मनाया गया। मठ मंदिरों व आश्रमों में संकट मोचन हनुमान के जयकारे गूंजते रहे।अभिषेक,भजन- पूजन,हनुमान चालीसा के पाठ के साथ पवनपुत्र का प्रकटोत्सव मनाया गया और महाआरती की गई। मंदिरों ।इन दर्शन- पूजन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। जगह- जगह महाप्रसाद के आयोजन भी किए गए। हजारों लोगों ने महाप्रसाद ग्रहण कर पुण्यलाभ लिया। इस मौके पर मंदिरों के साथ हनुमान का भी आकर्षक श्रृंगार किया गया था।
बाल स्वरूप में नजर आए रणजीत हनुमान।
सुदामा नगर स्थित रणजीत हनुमान मंदिर में भगवान हनुमान का महाराष्ट्रीयन वेशभूषा में बाल रूप में श्रृंगार किया गया था। यहां दिनभर भक्तों का दर्शन- पूजन के लिए तांता लगा रहा।
हँसदास मठ में मनाया गया प्राकट्योत्सव।
बड़ा गणपति पीलियाखाल स्थित प्राचीन हंसदास मठ पर पंचमुखी चिंताहरण हनुमानजी का प्राकट्य महोत्सव महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सान्निध्य में धूमधाम से मनाया गया। जन्म आरती में भक्तों का मेला जुटा रहा। मठ के पं. पवनदास शर्मा ने बताया कि मठ स्थित संस्कृत पाठशाला के वेदपाठी बटुकों ने आचार्यों के साथ हनुमानजी का पूजन एवं पंचामृत से अभिषेक किया। इसके बाद महाआरती हुई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। अखंड रामायण पाठ के समापन के साथ शाम को भोग श्रृंगार दर्शन आरती हुई। संध्या को महाप्रसादी का दो हजार से अधिक भक्तों ने पुण्य लाभ लिया। इस मौके पर भक्तों को अभिमंत्रित चिंताहरण कवच का वितरण भी किया गया। इस कवच को घर पर हनुमानजी की तस्वीर के समक्ष लाल फूल अर्पित कर गुगल की धूप देकर धारण करने से सभी तरह की चिंताओं का हरण होता है। उल्लेखनीय है कि हंसदास मठ स्थित चिंताहरण हनुमानजी की यह प्रतिमा शालीग्राम शिला पर निर्मित है और यहां प्रत्येक मंगलवार को अखंड रामायण पाठ का सिलसिला कई वर्षों से चल रहा है। हनुमानजी के पांच मुंह हैं, जिनमें चार सीधे एवं एक मुंह ऊपर है। हनुमानजी के चरणों में शनिदेव भी विराजित हैं।
किष्किंधा धाम पर हनुमानजी का पुष्प बंगला।
राऊ-रंगवासा रोड स्थित किष्किंधा धाम पर हनुमान प्राकट्य महोत्सव में 11 विद्वानों ने आचार्य पं. राजाराम पाठक के निर्देशन एवं महंत गिरधारीलाल गर्ग के सान्निध्य में अभिषेक एवं श्रृंगार आरती में भाग लेकर हनुमानजी का पुष्प बंगला सजाया । संध्या को संगीतमय सुंदरकांड पाठ एवं 56 भोग समर्पित किए गए। इस अवसर पर महाप्रसाद का वितरण भी किया गया।
इसी के साथ शहर भर के हनुमान मंदिरों में भी अंजनिपुत्र के प्राकट्योत्सव की धूम रही।