हवा में घुमाने से बजने वाली बांसुरी लोकोत्सव में बनी आकर्षण का केंद्र

  
Last Updated:  December 26, 2022 " 07:31 pm"

कई नायाब शिल्पों से सजा है शिल्प बाजार।

सौजनी वर्क, पंछू साड़ी ,पश्मीना शॉल आई कश्मीर से।

वसावा जनजाति के नृत्य ने किया धमाल।

इंदौर : लालबाग में चल रहे लोकोत्सव के तहत देश भर से आए शिल्पकारों ने अपनी कलाकृतियों को प्रदर्शित किया है। छत्तीसगढ़ से आए मुन्नालाल लौह शिल्प, बांस शिल्प एवं गोंड पेंटिंग लेकर आए हैं।लौह शिल्प को रेती की भट्टी में गरम करके हथौड़े से आकार दिया जाता है। ये बिना वेल्डिंग किए हाथ से बनाए गए शिल्प हैं।

हवा में घुमाने से बजती है बांसुरी।

मुन्नालाल ऐसी बांसुरी भी लाए हैं जो हाथ घुमाने से हवा में अपने आप बजती है । उनका कहना है कि सुबह जोगिंग करने वाले जब इसे हाथ में घुमाकर कसरत करते हुए चलते हैं तो यह मधुर ध्वनि उत्पन्न करती है, जो मन को शांति प्रदान करती हैं।

लोक संस्कृति मंच के सचिव दीपक लंवगड़े एवं पवन शर्मा ने बताया कि श्रीनगर से आए शब्बीर अहमद कश्मीरी सौजनी वर्क की शॉल, स्टोल एवं सूट्स लेकर आए हैं। कश्मीर का प्रसिद्ध फेरेन ड्रेस, कप्तान, पंछू साड़ी एवं पश्मीना शॉल उन्होंने प्रदर्शित की है। मुरादाबाद से राष्ट्रपति पुरस्कार एवं शिल्प गुरु सम्मान प्राप्त ब्रास शिल्प भी यहां उपलब्ध कराया गया है। इसमें पूजा का सामान, गिलास अगरबत्ती स्टैंड, सहित कई अन्य आइटम शामिल हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में पाई जाने वाली सवाई घास से बनी चटाई, टेबल बेड , केप लेकर सुखदेव जी सामंथा मिदनापुर से आए हैं। रुड़की हरिद्वार से मोनू पवार लेडीज व जेंट्स ब्लेजर ,मफलर जो भेड़ के उन एवं हाथ से तैयार किए गए हैं। यह काफी गर्म होते हैं। इनके अलावा असम, दार्जिलिंग, हरियाणा, महाराष्ट्र ,उत्तर प्रदेश ,हिमाचल प्रदेश ,कर्नाटक, पश्चिम बंगाल ,छत्तीसगढ़ सहित देश के विभिन्न भागों से शिल्पकार इस लोकोत्सव में शिरकत कर रहे हैं।

वसावा जनजाति के नृत्य ने खूब जमाया रंग।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक व सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि सोमवार को सांस्कृतिक कार्यक्रम में गुजरात के बरौड़ा से आए कलाकारों द्वारा वसावा जनजाति का खूबसूरत नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें कलाकारों ने विभिन्न पिरामिड एवं आकृतियां बना कर अपने नृत्य से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शहनाई और ढोल की धुन पर यह नृत्य खूबसूरत बन पड़ा था। आंध्र प्रदेश सेआए कलाकारों द्वारा बंजारा जनजाति का नृत्य प्रस्तुत किया । धार अलीराजपुर से आए लोक कलाकारों ने भगोरिया नृत्य प्रस्तुत किया l ढोल एवं टीमकी की मधुर थाप पर हाथ में धनुष लेकर सिर पर बड़ा सा मटका लेकर सीटी बजाते हुए यह नृत्य पेश किया गया। गुजरात के डांग जिले से आए कलाकारों द्वारा डांगी नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसी के साथ स्थानीय कलाकारों की भी प्रस्तुतियां हुई।

विशाल गिद्वानी एवं रितेश पिपलिया ने बताया कि स्वास्थ्य शिविर में सैकड़ों लोगों ने अपनी स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त की एवं परीक्षण करवाया।

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