हिंदी गौरव अलंकरण – 2024 से अलंकृत किए गए मनोज श्रीवास्तव और करुणाशंकर उपाध्याय

  
Last Updated:  February 28, 2024 " 08:19 pm"

देश के विभिन्न प्रान्तों से आए पाँच कवि काव्य गौरव अलंकरण से अलंकृत।

भाषाएँ और माताएँ अपने पुत्रों से सम्मानित होती हैं – प्रो. द्विवेदी।

हिंदी विश्व की तकनीकि मित्र भाषा है : डॉ. विकास दवे।

इंदौर : हिन्दी भाषा के विस्तार और प्रसार की कड़ी में ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’ द्वारा एसजीएसआईटीएस के गोल्डन जुबली हॉल, इन्दौर में आयोजित समारोह में रिटायर्ड आईएएस, वरिष्ठ साहित्यिक संपादक मनोज श्रीवास्तव और वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय को हिन्दी गौरव अलंकरण से विभूषित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि सांसद शंकर लालवानी थे। अध्यक्षता साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन के निदेशक डॉ. विकास दवे ने की। विशिष्ट अतिथि के बतौर भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी और फ़िल्म अभिनेता अक्षय राजशाही मौजूद रहे।

समारोह में काव्य साधकों ऋषभदेव से नरेन्द्र पाल जैन, लखनऊ से मनुव्रत वाजपेयी, सूरत से कवयित्री सोनल जैन और इंदौर से एकाग्र शर्मा व धीरज चौहान को काव्य गौरव अलंकरण प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में अतिथि स्वागत कीर्ति राणा, प्रदीप जोशी, डॉ. नीना जोशी, योगेश चन्देल, रमेश शर्मा, जयसिंह रघुवंशी,अंकित तिवारी ने किया। स्वागत उद्बोधन मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने दिया। समारोह का संचालन श्रुति अग्रवाल ने किया। आभार कवि गौरव साक्षी ने माना। अलंकरण पत्र का वाचन अखिलेश राव व संध्या रॉय चौधरी ने किया।

भाषाएं और माताएं अपने पुत्रों से सम्मानित होती हैं।

प्रो. द्विवेदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ‘क्यों एक देश अपनी ज़ुबान में नहीं बोल सकता। आज भारतीयता की ओर भारत लौट रहा है। यह विचारों की घर वापसी है। हम अपनी संस्कृति, भाषा को सम्मानित होते देख रहे हैं। यह सत्य है कि भाषाएँ और माताएँ अपने पुत्रों से सम्मानित होती हैं।’

हिंदी विश्व की तकनीकि मित्र भाषा है।

डॉ. दवे ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि ‘भाषा को लेकर लाखों उपसर्ग तैयार हुए, परंतु इन सबसे पार होते हुए हिंदी अब विश्व भाषा बन गई है। यहाँ तक की हिंदी विश्व की तकनीकि मित्र भाषा है।’

हिंदी भारत की पहचान है।

अपने सम्मान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि ’यह सम्मान मेरे लिए वन्दनीय है। भारत की पहचान हिंदी है।’

इस तरह सम्मान मूर्ति प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय ने कहा कि ‘इंदिरा घाटी से इंदिरा पॉइंट तक हिंदी मौजूद है। यह हिंदी का विस्तार है।’

इस मौके पर सूर्यकान्त नागर, डॉ. पद्मा सिंह, राकेश शर्मा, अश्विनी दुबे, श्वेतकेतु वैदिक, मार्टिन गुड्डू, सहित सैंकड़ो हिंदी प्रेमी मौजूद रहे।

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