राजवाड़ा के गेट के सामने विधि विधान के साथ किया गया सरकारी होलिका दहन।
इंदौर : पुरातन काल से चली आ रही होलिका दहन की परंपरा इस बार भी आस्था, उमंग और उल्लास के साथ मनाई गई। जगह – जगह होली सजाई गई और विधि विधान के साथ पूजन कर उसका दहन किया गया। राजवाड़ा के सामने होलकर कालीन होलिका दहन की परंपरा निभाई गई जिसे अब सरकारी होली के नाम से जाना जाता है। यहां प्रिंस रिचर्ड होलकर और होलकर राजपरिवार के सदस्यों ने विधिविधान के साथ होली की पूजा की। राजपुरोहित ने पूजन प्रक्रिया संपन्न कराई। बाद में गोधूली बेला में होलिका दहन किया गया। महापौर पुष्यमित्र भार्गव और बड़ी तादाद में शहर के बाशिंदों ने भी होलिका दहन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस मौके पर लोगों को होली की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि होलकर कालीन होलिका दहन की परंपरा अब सरकारी होली के बतौर मनाई जाती है। यहां होलिका दहन के साथ ही समूचे शहर में होलीकोत्सव की शुरुआत हो जाती है। आपसी सौहार्द और भाईचारे का त्योहार है होली। महापौर भार्गव ने कहा कि होली आपसी सौहार्द, एकता और भाईचारे का त्योहार है। होली भी उल्लास के साथ मनें और जुमें की नमाज भी निर्विघ्न संपन्न हो,यही हमारी कोशिश होनी चाहिए। जिला और पुलिस प्रशासन पूरी तरह अलर्ट हैं। जो भी सद्भाव को बिगाड़ने का प्रयास करेगा, उससे सख्ती से निपटा जाएगा। 297 साल पुरानी है होलकर कालीन होलिका दहन की परंपरा। मिली जानकारी के अनुसार होलकारकालीन होलिका दहन की परंपरा बीते 297 साल से निभाई जा रही है। 1728 में इसकी शुरुआत हुई थी। पहले होलकर राज्य की राजधानी कंपेल में होलिका दहन होता था। राजवाड़ा का निर्माण होने के बाद इसके द्वार के सामने होलिका दहन किया जाने लगा। उस समय होलिका दहन के बाद तोपों की सलामी भी दी जाती थी। आजादी के बाद रियासत तो खत्म हो गई पर होलिका दहन की परंपरा बदस्तूर जारी है।भले ही इसे अब सरकारी होली कहा जाता है पर होलकर राजपरिवार के सदस्य ही होलिका दहन की परंपरा को निभाते हैं, जो इस बार भी निभाई गई।