14 सौ से अधिक कुएं – बावड़ियों का रिकॉर्ड ही निगम के पास मौजूद नहीं..!

  
Last Updated:  April 12, 2023 " 01:19 am"

सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने बावड़ी हादसे का दिखाया सच।

130 बगीचों पर बन चुकी है सार्वजनिक टंकिया।

86 बावड़ी और कुओं पर बने हैं धर्मस्थल।

भविष्य में किसी भी बावड़ी, कुओं पर निर्माण नही हो।

डेवलपमेंट फाउंडेशन ने प्रेस क्लब में किया आयोजन।

जांच अधिकारी के समक्ष आपदा के साक्ष्य और निदान प्रस्तुत करेगे कोडवानी।

इंदौर : पटेल नगर बावड़ी हादसे में 36 लोगों की जान जाने के बाद जिला प्रशासन और नगर निगम ने हड़बड़ी में कुएं – बावड़ियों को अतिक्रमण से मुक्त करने का अभियान शुरू किया है लेकिन उनके पास रिकॉर्ड ही मौजूद नहीं है कि सार्वजनिक रूप से शहर में कितने कुएं – बावड़ियां हैं जबकि 1985 में नगर निगम के सर्वे में ही ये बात सामने आई थी कि शहर में 1400 से अधिक कुएं – बावड़ियां हैं। शहर में करीब 1500 सार्वजनिक उद्यान थे। आज 900 भी नही हैं।130 बगीचों पर टंकिया बन गई है।86 कुएं – बावड़ियों पर धार्मिक स्थल बन गए हैं। कई कुएं – बावड़ियों पर बहुमंजिला इमारत तक बन गई हैं। नियमानुसार 10 फीसदी हरियाली होना चाहिए,लेकिन आज 2 फीसदी भी हरियाली नही है। शहर में अनियोजित विकास हुआ है जिसके लिए नेता,अफसर सभी जिम्मेदार हैं।

ये बात सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने सोमवार को डेवलपमेंट फाउंडेशन के मंच से इंदौर प्रेस क्लब सभागृह में कही।

आपदा प्रबंधन में फेल रहा प्रशासन और नगर निगम।

कोडवानी ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि बीते 5 वर्षो में शहर में कैसे- कैसे हादसे हुए और आपदा प्रबंधन में प्रशासन कैसे असफल सिद्ध हुआ।उन्होंने कहा कि प्रशासन ने पूर्व में हुए हादसों से कोई सबक नहीं लिया फिर चाहे सरवटे बस स्टैंड पर होटल का ढहना हो,छोटी ग्वाल टोली में सिवरेज की सफाई में निगमकर्मी की मौत हो या रानीपुरा में पटाखों की दुकान में हुआ अग्निकांड हो। हर मामले में लीपापोती कर दी गई।

रेस्क्यू ऑपरेशन में बरती गई ढिलाई।

कोडवानी ने कहा कि प्रशासन में बैठे लोग ही नियमों की अवहेलना कर रहे और आम नागरिकों से नियमों के पालन की अपेक्षा करते है।प्रशासन की लापरवाही से श्रीराम नवमी पर बावड़ी में हादसा हुआ। रेस्क्यू ऑपरेशन में भी ढिलाई बरती गई ।क्षेत्रीय नागरिकों ने ही पहले रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। एसडीआरएफ,एनडीआरएफ और सेना तो बाद में आई। हैरत की बात तो ये है कि प्रशासन ने बावड़ी को बंद कर हादसे के साक्ष्य ही मिटा दिए।बेहतर होता कि घटना स्थल को तीन शेड से ढंक दिया जाता ताकि सही तरीके से जांच हो पाती।

कोडवानी ने कहा कि मैंने पूरी घटना का बारीकी से अध्ययन किया और सारे बिंदु नोट किए हैं। उनके आधार पर विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट तैयार की है।अब यह रिपोर्ट वे प्रशासन की जांच समिति के सामने 12 अप्रैल की प्रस्तुत करेगे।

शेष जलस्रोतों का करें सरंक्षण।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि भविष्य में किसी भी सार्वजनिक कुएं,बावड़ियों और बगीचों पर टंकियों से लेकर धर्मस्थलों का निर्माण नही होना चाहिए। सभी लोग मिलकर शेष कुएं – बावड़ियों के सरंक्षण के लिए आगे आएं क्योंकि ये हमारे पारंपरिक जलस्रोत हैं।

विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी मुकुंद कुलकर्णी ने कहा कि एक जागरूक शहर में इतना बड़ा हादसा होना निंदनीय है। जो दोषी हैं, उनको सजा मिलनी चाहिए।

मीडिया प्रभारी प्रवीण जोशी ने बताया कि इस कार्यक्रम में शहर के प्रबुद्ध जनों ने भी सवाल – जवाब के जरिए हादसे पर दुःख जताते हुए स्थानीय सरकारी एजेंसियों की ढिलाई पर अपना आक्रोश व्यक्त किया। इनमें प्रोफेसर रंजना सहगल, पर्यावरणविद डॉ.ओ पी जोशी, मेघा बर्वे, प्रोफेसर रमेश मंगल, रुद्र पाल सिंह यादव ,शफी शेख,पंकज काबरा, रामेश्वर गुप्ता आदि शामिल थे। अतिथि स्वागत जगदीश डगांवकर, आलोक खरे ने किया। कार्यक्रम का संचालन श्याम पांडे ने किया। आभार आलोक खरे ने माना। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कुमार अष्ठाना, एनी पवार, हरि प्रकाश विसंत,मुरली खंडेलवाल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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