शांतिकुंज से मिली प्रेरणा के बाद 13 सालों से असहाय और दिव्यांगों के करा रहा है सामूहिक विवाह।
♦️कीर्ति राणा इंदौर। ♦️
पुलिस विभाग (डीआरपी लाइन) में पदस्थ हेड कॉंस्टेबल किशन सिंह चौहान (शेरू) के काम की जानकारी विभाग के स्थानीय वरिष्ठतम अधिकारियों को भी नहीं है। फिर मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी तक को भी कैसे पता होगा कि एक छोटा सा पुलिसकर्मी कैसे मिसाल बना हुआ है खाकी वर्दी का। ये अदना सा पुलिसकर्मी 13 वर्षों से जनसहयोग से अपने बलबूते पर 700 जोड़ों का सामूहिक विवाह करा चुका है।पहले साल 10 गरीब असहाय कन्याओं का विवाह कराया था। अब तक 700 जोड़ों के धर्म पिता बन चुके शेरु और उनकी पत्नी कांता चौहान हरिद्वार में शांतिकुंज गये थे।गायत्री परिवार से जुड़े चौहान दंपत्ति ने वहां निशुल्क विवाह समारोह देखा और संकल्प लिया कि वे इंदौर में भी शुरुआत करेंगे। तब से यह सिलसिला चल रहा है।
🔹हर साल कम से कम 15 लाख का खर्च।
हर साल सामूहिक विवाह के आयोजन पर कम से कम 15 लाख रु खर्च होते हैं।शेरू के इस काम पर दानदाताओं को इतना भरोसा है कि कई दानदाता तो फोन कर के पूछ लेते हैं इस बार क्या सहयोग करना है।शेरु उनसे नकद राशि लेने की अपेक्षा बता देते हैं कि साड़ियों, बर्तन, गहने आदि की जरूरत है। दानदाताओं को सामग्री का बजट बता देते हैं और सीधे दुकानदार को ही पेमेंट करने का अनुरोध करते हैं।
एक जोड़े के विवाह पर कम से कम 51 हजार का खर्चा आता है।कन्याओं का ब्यूटी पार्लर से मेकअप, लहंगा, गृहस्थी का सामान, हर जोड़े के साथ 25-25 पारिवारिक सदस्यों के भोजन की व्यवस्था की जाती है।इस वर्ष 31 जोड़ों का विवाह रविवार की दोपहर माणिक बाग सत्यम सिनेमा के समीप कम्युनिटी हॉल में आयोजित किया गया।
🔹कश्मीर में पदस्थ दिव्यांग जोड़े का विवाह भी।
इन 31 जोड़ों में कुछ दिव्यांग जोड़े हैं उनमें एक जोड़ा कश्मीर में नौकरी करता है। दृष्टिबाधित लड़की मनावर की और लड़का मूल रूप से विदिशा का है। दोनों कश्मीर से आए हैं।एक लड़की जबलपुर की, लड़का इंदौर का।एक लड़की रतलाम की, उज्जैन का लड़का है। एक जोड़ा पटना बिहार का है।
🔹विवाद भी सुलझाते हैं।
इन 13 वर्षों में जितने जोड़ों के विवाह कराये हैं इनमें से जब किसी जोड़े में पारिवारिक तनाव की स्थिति बनती है तो इनके परिजन धर्म पिता किशन सिंह चौहान और कांता चौहान से संपर्क करते हैं। ये दोनों ऐसे जोड़ों की कॉउंसलिंग भी करते हैं और निरंतर संपर्क में भी रहते हैं ताकि टूटन की स्थिति ना बनें।
🔹जोड़ों और परिवार का रिकॉर्ड भी देखते हैं।
जिन जोड़ों के परिजनों के सामूहिक विवाह के लिये आवेदन मिलते हैं, शेरु उन परिवारों का और लड़के-लड़की का रिकॉर्ड भी चेक करते हैं। इसके साथ ही दानदाताओं को भी हर जोड़े के संबंध में जानकारी और दिये जाने वाले गृहस्थी-दहेज के सामान की जानकारी भी देते हैं।