इंदौर : कोरोना संक्रमण के मामले तो इंदौर में अब कम होते जा रहे हैं पर जितने सैम्पल लिए जा रहे हैं, उस अनुपात में टेस्टिंग नहीं होने से पेंडिंग सैम्पलों की तादाद बढ़ती जा रही है। इसका असर मरीजों के इलाज पर हो सकता है। प्रतिदिन 3 से 4 कोरोना पीड़ितों की मौत भी चिंता का सबब बनीं हुई है।
35 नए मरीज मिले, 471 सैम्पल पेंडिंग।
सीएमएचओ कार्यालय से जारी शुक्रवार 5 जून के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो कुल 1606 सैम्पल जांच हेतु भेजे गए थे, इनमें से 1135 की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई। 1048 सैम्पल निगेटिव पाए गए जबकि 35 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 48 सैम्पलों के बारे में कोई खुलासा नहीं किया गया है कि वे निगेटिव है, पॉजिटिव हैं या रिजेक्टेड हैं। इसके अलावा 471 सैम्पल ऐसे हैं जिनकी जांच होना शेष है। ये केवल शुक्रवार के पेंडिंग सैम्पल हैं। पीछे की ओर देखा जाए तो हालात और खराब हैं। बीते 2 जून को 540, 3 जून को 773 और 4 जून को 318 सैम्पल पेंडिंग थे। इनका टोटल किया जाए तो केवल बीते 4 दिनों में 21सौ से ज्यादा सैम्पल पेंडिंग हो गए हैं।
सैंपलिंग बढ़ाई, टेस्टिंग नहीं..?
स्वास्थ्य विभाग के अमले ने सैम्पलिंग तो बढा दी पर उस अनुपात में टेस्टिंग नहीं हो पा रही है। पिछले दिनों हालात की समीक्षा करने आए एसीएस स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान ने दावा किया था कि इंदौर में हमारे पास प्रतिदिन 14 सौ सैम्पलों की टेस्टिंग की क्षमता है पर पेंडिंग सैम्पलों की बढ़ती संख्या तो कुछ और ही हकीकत बयां कर रही है। प्रशासन ने दो निजी लैब के साथ भी अनुबंध किया है।अगर इतनी बड़ी तादाद में सैम्पल पेंडिंग हैं और प्रशासन की टेस्टिंग क्षमता कम पड़ रही है तो इन अनुबंधित लैब में भी पेंडिंग सैम्पलों की टेस्टिंग करवाई जा सकती है। ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है, ये समझ से परे है। अगर इसीतरह पेंडिंग सैम्पल्स की संख्या बढ़ती रही तो मरीजों के समुचित उपचार पर क्या इसका असर नहीं पड़ेगा ये एक बड़ा सवाल है ।