इंदौर : उपचुनाव से पहले मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के दो मंत्रियों सांवेर से भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। जल संसाधन मंत्री सिलावट ने अपना इस्तीफा एक दिन पहले ही मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री को भेज दिया था, वहीं राजपूत ने बुधवार को राज्यपाल को इस्तीफा भेज दिया। दरअसल, सिलावट और राजपूत ने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद 21 अप्रैल को भाजपा की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी। संवैधानिक नियम के अनुसार, गैर विधायक अधिकतम 6 माह तक ही मंत्री रह सकते हैं। ऐसे में दोनों को 21 अक्टूबर से पहले विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी था।
सिलावट बोले- त्याग और समर्पण मेरी भावना।
मंत्री पद छोड़ने के बाद सिलावट ने कहा कि ‘पद मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं है। मेरे लिए सेवा, मप्र का विकास और प्रगति महत्वपूर्ण है।’ मैंने पहले भी कांग्रेस छोड़ी, विधायक और मंत्री पद छोड़ा, अभी भी इस्तीफा दे दिया। त्याग-समर्पण मेरी भावना है। मेरा क्षेत्र पहले है, इसलिए कुर्बानी करना मेरे लिए जरूरी है। मेरे क्षेत्रवासियों की सेवा करना ज्यादा जरूरी है। मंत्री पद महत्वपूर्ण है, लेकिन सेवा बिना मंत्री पद के भी की जा सकती है।’
इस बार जीत का आंकड़ा आगे बढ़ेगा।
शिवराज सरकार में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने इस्तीफा देने के सवाल पर कहा कि ‘संवैधानिक प्रक्रिया है जिसके तहत 6 महीने के अंदर चुनाव लड़ना पड़ता है लेकिन कोरोना महामारी की वजह से चुनाव टल गए थे।बुधवार को मेरा कार्यकाल खत्म हो रहा था, इसलिए राज्यपाल को इस्तीफा भेज दिया। अब सुरखी की जनता के बीच उनके आशीर्वाद से फिर जीतूंगा, फिर मंत्री बनूंगा और क्षेत्र के विकास के लिए काम करूंगा। जब उनसे पूछा गया कि वह कितने वोटों से जीतेंगे तो उनका जवाब था कि जिताने वाली जनता है लेकिन पिछली बार से ज्यादा आंकड़े बढ़ेंगे।
ये है नियम…
नियमों के अनुसार ऐसा कोई भी व्यक्ति 6 माह से ज्यादा समय के लिए मंत्री नहीं रह सकता है, जो विधानसभा का सदस्य न हो। इस हिसाब से 21 अक्टूबर को दोनों मंत्रियों की यह समय-सीमा समाप्त हो गई थी । इस समय-सीमा में उपचुनाव की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है।। सिंधिया के समर्थन में 10 मार्च को 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके कारण कमलनाथ सरकार गिर गई थी और चौथी बार शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। शिवराज ने 28 दिन बाद 21 अप्रैल को मंत्रिमंडल का गठन किया था, इसमें सिंधिया खेमे के तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई थी।