इंदौर : कलेक्टर मनीष सिंह ने दिव्यांगजनों की सहूलियत को देखते हुए प्रत्येक बुधवार का दिन दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के लिए निश्चित किया है। उन्होंने इस बारे में सभी संबंधित अधिकारियों को पूरी संवेदनशीलता के साथ काम करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि भारत सरकार द्वारा दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 के तहत 21 प्रकार की दिव्यांगताओं को शामिल किया गया है। उक्त दिव्यांगताओं से ग्रसित लोगों को दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी किए जाने का प्रावधान भी 2016 के अधिनियम में प्रदान किया गया है। अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन करते हुए तत्कालीन इंदौर कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने 21 प्रकार की दिव्यांगताओं को 3 भागों में क्रमश: ईएनटी/आई, आर्थोपेडिक/ब्लड/मल्टीपल और बौद्धिक/ मेंटली/न्यूरोलॉजिकल से संबंधित मेडिकल बोर्ड बनाकर, दिव्यांगता के आधार पर विशेषज्ञ चिकित्सकों को नामांकित किया था। लेकिन कोविड-19 के संक्रमण के कारण उक्त बोर्ड विधिवत रूप से क्रियाशील नहीं हो सका। इस बात को देखते हुए कलेक्टर मनीष सिंह ने सिविल सर्जन सह-अस्पताल अधीक्षक को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की गई 21 प्रकार की दिव्यांगताओं का शत प्रतिशत लाभ दिव्यांगजनों को प्राप्त हो सके, इसके लिये प्रत्येक बुधवार को जिले के दिव्यांगजनों का विशेषज्ञ चिकित्सको से परीक्षण कराने के उपरांत दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी किए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर सिंह ने सिविल सर्जन, सीएमएचओ तथा एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन को दिव्यांगता के आधार पर जिला चिकित्सालय में अपेक्षित चिकित्सक नहीं होने के कारण एमवाय चिकित्सालय से चिकित्सकों को नामांकित किए जाने के निर्देश भी दिए हैं।
14 नवम्बर 2019 को तत्कालीन कलेक्टर लोकेश जाटव द्वारा जारी किए गए आदेश के माध्यम से दिव्यांगता प्रमाण-पत्र हेतु गठित किए गए मेडिकल बोर्ड के चेयरमेन के रूप में सिविल सर्जन को नामांकित किया था। उक्त आदेश के तहत निर्धारित किया गया था कि प्रत्येक बुधवार को जिला चिकित्सालय में प्रात: 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक मेडिकल बोर्ड संचालित किया जाएगा। बुधवार के अंतिरिक्त प्रत्येक शनिवार (द्वितीय एवं तृतीय छोड़कर) न्यूरोलॉजिकल संबंधित दिव्यांगता हेतु मेडिकल बोर्ड नवीन प्रशासनिक संकुल में वृद्धजनों के लिये संचालित परामर्श केन्द्र में प्रात: साढ़े 10 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक संचालित होगा। जिन दिव्यांगता में मेडिकल प्रमाण-पत्र जारी करने के पूर्व परीक्षण की आवश्यकता होती है, उस दिव्यांगता के लिए साएकोलॉजिस्ट को नामांकित किया गया है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर चेयरमेन द्वारा संबंधित चिकित्सक के हस्ताक्षर के बाद मेडिकल प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा। सिविल सर्जन को मेडिकल प्रमाण-पत्र जारी करने के लिये अपेक्षित प्रमाण-पत्रों का प्रारूप निर्धारित करते हुए मुद्रित करवाने के लिए अधिकृत किया गया है। जारी होने वाले मेडिकल प्रमाण-पत्र के साथ यूनिक आईडी कार्ड भी जनरेट कराने का दायित्व सिविल सर्जन को दिया गया है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन/एमवायएच के अधीक्षक से समन्वय स्थापित करने के लिये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को कहा गया है। समय-समय पर मेडिकल प्रमाण-पत्र हेतु ब्लॉक स्तर पर शिविरों का आयोजन किया जायेगा। 21 प्रकार की दिव्यांगताओं में यदि किसी विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है, तो सिविल सर्जन, सीएमएचओ के माध्यम से एमवाय चिकित्सालय से पूर्ति की जाएगी। बोर्ड में आने वाले दिव्यांगों को असुविधा ना हो इस हेतु शासकीय/अशासकीय संस्थाओं से स्टॉफ की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग उक्त आदेश के क्रियान्वयन के लिए समन्वयक के रूप में कार्य करेंगे।
प्रत्येक बुधवार को जारी किए जाएंगे दिव्यांगता प्रमाण पत्र, कलेक्टर ने दिए निर्देश
Last Updated: February 16, 2021 " 11:35 am"
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