इंदौर : इंदौर जिले में किसानों को सही दाम पर गुणवत्तायुक्त एवं उचित मूल्य पर खाद, बीज उपलब्ध कराने के लिए प्रभावी कार्रवाई की जा रही है। इसी सिलसिले में कृषि विभाग द्वारा अवैध रूप से खाद और उर्वरक का निर्माण करने तथा नकली खाद बेचने पर पैरामाउंट, एग्री टेक्नोलॉजी के गोदाम को सील किया गया और कंपनी के मालिक प्रकाश सोनी के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई।
उप संचालक कृषि शिव सिंह राजपूत ने बताया कि कृषि मंत्री कमल पटेल के निर्देशों के तहत उक्त कार्रवाई की गई। उन्होंने बताया कि राज्य शासन के निर्देश है कि कृषकों को सही दाम पर गुणवत्तायुक्त एवं उचित मूल्य पर आदान (खाद/बीज/कीटनाशक) उपलब्ध हो, तथा कृषि आदान की कालाबाजारी/अवैध निर्माण/भण्डारण एवं विक्रय करने वालो पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
पिछले दो-तीन दिनों में संभाग के जिलों धार, बडवानी एवं खरगोन में पैरामाउंट एग्री टेक्नोलॉजी कंपनी द्वारा अवैध रूप से उर्वरकों का समितियों में भंडारण करवा कर विक्रय किया जाना पाया गया। संबंधीत जिलों में उपरोक्त कम्पनी के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करवाई गई।
इसी कड़ी में जिला स्तरीय गुण नियंत्रण दल इंदौर द्वारा 25 जून 2021 को पैरामाउंट एग्री टेक्नोलॉजी की विनिर्माण इकाई ग्राम सिमरोड पोस्ट कुडाना तहसील सांवेर का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान निर्माण इकाई के गोदाम मे और्गो बायो एन.पी.के. के 41 मेट्रिक टन खाद, गो-ग्रीन बायो एन.पी.के. के 652 बैग 50 किलोग्राम भर्ती, बोंड-90 खाद के 10 बैग, 25 किलोग्राम भर्ती तथा 500 खाली बैग, भीम खाद के 418 बैग 40 किलोग्राम भर्ती में बगैर लाइसेन्स के भण्डारण एवं निर्माण करना पाया गया। कंपनी गोदाम में बोरान 20 प्रतिशत (इफेक्ट) मैग्निशियम सल्फेट 9.6 प्रतिशत (इफेक्ट प्लस) एन.पी.के. 20:20:20 (इफेक्ट गोल्ड) के पैक पर उर्वरक लाइसेंस क्रमांक गलत पाया गया। अवतार बायो आर्गेनिक प्रोडक्ट के लगभग 4 हजार खाली बॉटल बाक्स जिस पर निर्माता ब्रुसेल्स एग्रो केमिकल्स कोलकाता अंकित है, पाया गया। बरदान सीडस/मिटटी उपचार, के.एच.एग्रो टेक प्रा.लि. साहद्रा दिल्ली के 150 किलोग्राम मात्रा भी अवैध रुप से पाई गई।
इस प्रकार कंपनी द्वारा अवैध रुप से खाद/उर्वरक का निर्माण कर खाद के स्थान पर अन्य ऐसे उत्पाद जो खाद नही है, खाद का नाम देकर बेचा जाना पाया गया। इस पर गोदाम को सील कर कंपनी के मालिक प्रकाश सोनी के विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 एवं उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985, के तहत थाना सांवेर में एफआईआर दर्ज कराई गई।