समाज में नैतिक गिरावट के लिए मीडिया को दोष देना गलत है। उदारीकरण के साथ मीडिया में भी बदलाव आया है। विलासिता के पीछे भागने के चक्कर में हमने अपने मूल्य, परम्परा और संस्कृति को पीछे छोड़ दिया। इन हालात में सुधार लाकर मूल्यों को प्रतिस्थापित करने की जिम्मेदारी हम सबकी है। मीडिया नकारात्मक खबरें जरूर दिखाएं पर उसके साथ सकारात्मक खबरें भी परोसें। ये विचार प्रबुद्ध वक्ताओं ने ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विवि, इंदौर के पलासिया स्थित ओम शांति भवन में आयोजित मीडिया परिसंवाद में कहे। परिसंवाद का विषय था ‘मीडिया- मूल्य एवम विकास’। ब्रह्माकुमार ओमप्रकाश भाईजी की 6ठी पुण्यतिथि के अवसर पर यह कार्यक्रम रखा गया था।
दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुरू हुए कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन नवभारत के समूह संपादक क्रांति चतुर्वेदी ने किया।
मीडिया वही परोसता है, जो समाज में घटित होता है।
बाद में पहली वक्ता के रूप में संदर्भित विषय पर बोलते हुए देवी अहिल्या विवि के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला की एचओडी सोनाली नरगुंदे ने कहा कि मूल्यों को सहेजने की अपेक्षा केवल मीडिया से करना बेमानी है। मीडिया समाज का दर्पण होता है। वह वही दिखाता, परोसता है, जो समाज में घटित होता है। उदारीकरण कारोबार के लिए था पर हम उसे अपने समाज और घर में ले आए। जिसका असर मीडिया में भी दिखाई दिया। नैतिक गिरावट के लिए मीडिया को दोषी ठहराना गलत है। अगर हम मूल्य निष्ठ मीडिया चाहते हैं तो हमें घर और समाज में मूल्यबोध जगाना होगा।
मूल्यों की स्थापना हम सबकी जिम्मेदारी।
भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी ने कहा कि आदमी से इंसान बनने की पूरी प्रक्रिया है। हमारे यहां आदमी तो करोड़ों हैं पर इंसान कम होते जा रहे हैं।ये हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम इस कमीं की भरपाई करें। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत बेहद समृद्ध और वैभवशाली था लोग हुनरमंद थे। उन्होंने विलासिता को भोगा पर अपनी परंपरा, संस्कृति और मूल्यों को नहीं छोड़ा। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि ये कलियुग है। समय चक्र घूमता रहता है। एक दिन सतयुग फिर लौटेगा। मीडिया का अपना दायित्व है पर अकेले मीडिया के भरोसे मूल्य, परंपरा, संस्कृति को सहेजा नहीं जा सकता। परिवार, समाज, आध्यत्मिक, सामाजिक संगठन, हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम इस दिशा में प्रयास करें।
पत्रकार रोज अग्निपरीक्षा से गुजरते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. केजी सुरेश ने कहा मीडिया का काम समाज का पिछलग्गू बनना नहीं है। उसका काम नेतृत्व प्रदान करना है। आज नेता और मीडिया सबसे ज्यादा निशाने पर रहते हैं। नेता पांच साल में एक बार जनता के बीच जाते हैं। अधिकारी एक बार परीक्षा पास करते हैं और जिंदगीभर सुविधा भोगते हैं। पत्रकार ही एक ऐसा व्यक्ति है जो रोज अग्निपरीक्षा से गुजरता है। उसकी एक गलती पिछली तमाम उपलब्धियों, खूबियों पर पानी फेर देती है। पत्रकार ही एक ऐसी बिरादरी है, जो आत्मचिंतन करती है। अपनी आलोचना को वह सहज भाव से लेती है। प्राचीन काल से ही पत्रकारिता का ध्येय वाक्य ‘लोक कल्याण’ रहा है। मूल्य आधारित पत्रकारिता हमारी परंपरा रही है।ये सही है कि बाजारवाद और बदलती टेक्नोलॉजी से मीडिया भी अछूता नहीं रहा है, बावजूद इसके कंटेंट की अहमियत बनी हुई है। लोग अच्छे कंटेंट को देखना- पढ़ना चाहते हैं। ये पत्रकारों का दायित्व है कि वे उन्हें अच्छे कंटेंट परोसे। हम बुराई को जरूर दिखाएं पर उसके साथ जो कुछ अच्छा हो रहा है, सकारात्मक है, उसे भी बताएं। अपराध को महिमामण्डित करने से समाज में गलत संदेश जाता है। ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाई जाने वाली वेब सीरीज़ में जिसतरह गालियां परोसी जाती हैं, वह किस समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं वह समझ से परे है। टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग नई पीढ़ी के मन मष्तिष्क को दूषित कर रहा है इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
निष्पक्ष और मूल्य आधारित पत्रकारिता मुफ्त नहीं मिलती।
प्रो. सुरेश ने कहा कि 40 रुपए का अखबार हम 4 रुपए में चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि मीडिया निष्पक्ष रहे, मूल्य आधारित रहे, ये नहीं हो सकता। निष्पक्ष, सकारात्मक और मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता के लिए दाम चुकाना पड़ेंगे। प्रो. सुरेश ने संतुलित, संयमित और सौहार्द्रपूर्ण कंटेंट पर जोर देते हुए मीडिया साक्षरता की जरूरत पर भी बल दिया। उनका कहना था कि मीडिया को देखने- सुनने और पढ़ने की ही नहीं समझने की भी जरूरत है।
परिसंवाद में इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी और न्यूयॉर्क से वर्चुअली जुड़ी ब्रह्माकुमारी मोहिनी दीदी ने भी अपने विचार रखे।
इस मौके पर ब्रह्माकुमारी रीना बहन ने योगानुभूति कराई। स्वागत भाषण क्षेत्रीय समन्वयक हेमलता दीदी ने दिया। आभार अनिता बहन ने माना। परिसंवाद में इंदौर के साथ आसपास के जिलों से आए मीडियाकर्मियों ने भी भाग लिया।