मंडी टैक्स के कारण व्यापारी अन्य राज्यों में कर रहे पलायन।
प्रदीप जोशी
इंदौर: प्रदेश में उद्योग व्यापार को बढ़ाने के लिए एक तरफ प्रदेश सरकार इन्वेस्टर समिट जैसे आयोजन कर रही है। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडक्ट जैसे कार्यक्रमों के जरिए कृषि उपज को ज्यादा लाभकारी बनाने में जुटी है। इन सबके बावजूद प्रदेश का दाल उद्योग इन दिनों अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। कभी प्रदेश में सात सौ से ज्यादा दाल मिलें हुआ करती थी, वहीं आज घट कर महज पांच सौ के करीब रह गई हैं। खास बात यह है कि बीते डेढ़ साल में 130 दाल मिलें बंद हो गई। जो चल रही हैं, उनमें अधिकांश या तो बंद होने की कगार पर हैं या अन्य राज्यों में शिफ्ट होने की तैयारी में हैं। इसका कारण प्रदेश में लगने वाला मंडी टैक्स है, जिसके कारण प्रदेश के व्यापारी अन्य राज्यों से मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। गौरतलब है कि महाराष्ट्र, गुजरात, यूपी, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में मंडी टैक्स समाप्त कर दिया गया है। लिहाजा व्यापारी अब इन राज्यों की ओर रूख करने लगे हैं। दाल मिल उद्योग को अब उम्मीद केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री प्रहलाद पटेल से है। पटेल ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा करने और समस्या के स्थाई समाधान का आश्वासन दिया है।
तीन माह की दी गई थी टैक्स में छूट।
मध्यप्रदेश में भी इस टैक्स को समाप्त करने की मांग लंबे समय से की जा रही है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा नवंबर में मंडी शुल्क 1.50 रुपए प्रति सैकड़ा से घटाकर 50 पैसे प्रति सैकड़ा कर दिया गया था। पर यह छूट महज तीन माह के लिए ही थी। यानी फरवरी से फिर पुरानी दर से टैक्स वसूली व्यापारियों से होने लगेगी। इस संबंध में मंडी प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि 15 फरवरी से पुरानी दर लागू कर दी जाएगी।
व्यापारियों में बन रही भ्रम की स्थिति ।
छूट अवधि बढ़ाने की मांग को लेकर मप्र सकल अनाज-दलहन-तिलहन व्यापारी संघ ने कृषि मंत्री कमल पटेल व मंडी बोर्ड की एमडी प्रियंका दास को पिछले दिनों ज्ञापन भी सौंपा था। इस संबंध में अभी तक राज्य सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। व्यापारी संघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल का कहना है कि सरकार ने व्यापारियों को आश्वासन दिया है कि शुल्क नहीं बढ़ेगा मगर कोई लिखित आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया है। व्यापार की स्थिति पहले से कमजोर है, ऐसे में सरकार द्वारा अनिर्णय की स्थिति व्यापारियों के भ्रम में डाल रही है। सरकार को चाहिए कि दाल मिल उद्योग को बचाने का प्रयास करे ताकि उद्योग पलायन ना करे।
केंद्रीय मंत्री पटेल ने दिया समाधान का आश्वासन।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री प्रहलाद पटेल ने स्थिति पर चिंता जाहिर की। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा कर स्थाई समाधान का आश्वासन भी दिया। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई गई है। किसानों के उत्पादनों के बाय प्रोडेक्ट तैयार करवा कर ज्यादा लाभ मिले इसके लिए ही वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट जैसी योजना तैयार की गई है। प्रदेश की जिन उपज को चिन्हित किया गया है, उनमें दालें भी शामिल हैं। टैक्स संबंधी कोई विसंगति है तो चर्चा कर दूर कर ली जाएगी।