निजी चिकित्सालयों द्वारा स्तनपान काउंसलिंग में बरती जा रही लापरवाही पर लगाम कसने के लिए गठित होगी कमेटी।
राष्ट्रीय पोषण माह संबंधी बैठक संपन्न।
इंदौर : देशभर में 1 से 30 सितंबर 2022 तक 5वां राष्ट्रीय पोषण माह आयोजित किया जा रहा है। पोषण माह के उद्देश्यों की शत-प्रतिशत पूर्ति के लिए कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में सांसद शंकर लालवानी की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। बैठक में कलेक्टर मनीष सिंह, अपर कलेक्टर डॉ अभय बेडेकर, जिला पंचायत सीईओ वंदना शर्मा, अनिल भंडारी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी रामनिवास बुधौलिया सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
स्तनपान काउंसलिंग हो अनिवार्य।
बैठक में बताए गए आंकड़ों के अनुसार पाया गया कि निजी चिकित्सालयों द्वारा शिशु के पैदा होने के एक घंटे बाद तक अनिवार्य रूप से कराए जाने वाले स्तनपान के कार्य में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। यूनिसेफ द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार शिशु के पैदा होने के शुरुआती एक घंटे के अंदर ही स्तनपान शुरू करा देना चाहिए। इस गंभीर लापरवाही को दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर ने सीएमएचओ को निर्देश दिए कि निजी चिकित्सालय में स्तनपान काउंसलिंग अनिवार्य की जाए। इसके लिए सभी मैटरनिटी चिकित्सालय के संचालकों से चर्चा की जाए और चिकित्सालय के स्टाफ को इस संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाए।
बैठक में कलेक्टर श्री सिंह द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर सांसद शंकर लालवानी ने मंजूरी देते हुए कहा कि सभी निजी चिकित्सालयों में ब्रेस्टफीडिंग काउंसलिंग तथा स्टाफ सही ढंग से प्रशिक्षित है या नहीं इसकी नियमित जांच हेतु एक कमेटी भी गठित की जाएगी।
आनेवाली पीढ़ी शिक्षित के साथ पोषित भी हो।
बैठक में निर्देश दिए गए कि सीवियर एक्यूट मालनूट्रिशन (SAM) से पीड़ित बच्चों की संख्या कम से कम करना शासन-प्रशासन का लक्ष्य है।इसके लिए एनीमिया पीड़ित बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार और फोलिक एसिड की दवाइयां अनिवार्य रूप से वितरित की जाए। परियोजना अधिकारियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जन जागृति की जाए।
सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर संपूर्ण देश में सितंबर माह राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पोषण माह में जनभागीदारी के साथ इसके उद्देश्यों की पूर्ति करने के निर्देश दिए हैं। सांसद लालवानी ने कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा इस अभियान का नेतृत्व करते हुए विभिन्न नवाचारों के साथ जिले में कुपोषण खत्म करने के लक्ष्य को प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि जिस तरह इंदौर हर क्षेत्र में आगे है उसी तरह इंदौर को पोषण के क्षेत्र में भी आगे रहना है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि आगे आने वाली पीढ़ी ना केवल शिक्षित हो बल्कि पोषित भी हो।
कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि कुपोषण को दूर करने के लिए जरूरी है कि स्कूल में छात्र छात्राओं को पोषण माह और पोषण अभियान के संबंध में जरूरी जानकारी दी जाए। इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाए। उन्होंने कहा कि पोषण माह के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नगर पार्षदों की उपस्थिति में वार्ड वार तथा जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत सदस्यों की उपस्थिति में पंचायत वार बैठक आयोजित की जाए।
जन्म के समय लिंगानुपात में इंदौर ने पार किया राष्ट्रीय औसत।
बैठक में महिला बाल विकास अधिकारी बुधौलिया ने बताया कि इंदौर, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना अंतर्गत निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति में देश में नंबर वन है। इसी तरह लाड़ली लक्ष्मी योजना का सफल क्रियान्वयन कर योजना के तहत निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति कर इंदौर प्रदेश में प्रथम स्थान पर है। सिर्फ यही नहीं नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक जन्म के समय लिंगानुपात का राष्ट्रीय औसत 987 की तुलना में इंदौर जिले का जन्म के समय लिंगानुपात 996 पाया गया है। इंदौर निरंतर मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के लक्ष्य की पूर्ति की ओर अग्रसर है।
बता दें कि इस माह चलने वाले पोषण अभियान में गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं, छह साल से कम उम्र के बच्चों और किशोरियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही उन्हें संवेदीकरण अभियान, आउटरीच कार्यक्रमों और शिविरों के माध्यम से पोषण के महत्व के बारे में जागरूक किया जाएगा। इस साल का लक्ष्य “पोषण पंचायत” के रूप में ग्राम पंचायतों के माध्यम से पोषण माह की शुरुआत करना है। इसके अलावा पोषण पंचायत समितियां, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम नर्सों के साथ मिलकर काम करेगी।