जनजातीय नृत्य को समर्पित लोक उत्सव का धमाकेदार आगाज

  
Last Updated:  December 25, 2022 " 10:40 pm"

लंबार्डी, भील भगोरिया डांगी एवं सगाई चांदला नृत्य पेश किए गए।

शिल्प बाजार हुआ गुलजार। प्रतिदिन दोपहर 12:00 बजे से खुला रहेगा।

स्वास्थ्य शिविर लगेगा।

इंदौर। मध्य प्रदेश की पहचान बन चुका मालवा उत्सव के तहत आयोजित लोकोत्सव का रविवार को भव्य शुभारंभ हुआ। इस उत्सव को जनजाति नृत्यों को समर्पित किया गया है।नगर पालिका निगम एवं संस्कृति संचनालय मध्यप्रदेश के सहयोग से मनाए जा रहे इस उत्सव में पहले दिन बड़ी संख्या में कला प्रेमियों की उपस्थिति लालबाग परिसर में देखी गई।

जनजातीय परिवेश से सजे मंच पर दी गई मनोहारी नृत्य की प्रस्तुतियां।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि 45 बाई 100 फीट के मंच को जनजातीय अंचल, ग्रामीण परिवेश का रूप दिया गया है। घास फूस और मांडनो से सजे मंच पर तेलंगाना का सुप्रसिद्ध नृत्य लंबार्डी जो बंजारा जनजाति द्वारा फसल कटने के बाद खुशी में किया जाता है इसमें 15 लड़के और लड़कियों द्वारा फसल कटाई का सुंदर दृश्य प्रस्तुत किया गया। लड़कियों ने नीली हरी पीली ड्रेस के साथ भारी भरकम ज्वेलरी पहन रखी थी। लड़कों ने ढप्पू वाद्य बजाते हुए नृत्य किया। गुजरात के डांग जिले से आए आदिवासी समुदाय के 8 लड़कों एवं 8 लड़कियों ने डांगी नृत्य प्रस्तुत किया, जो होली दिवाली शादी के समय एवं शुभ प्रसंगों के समय किया जाता है। इसमें पुरुष वर्ग ने पीला कुर्ता एवं सफेद धोती वहीं महिलाओं ने साड़ी एवं खंडवा पहनकर नृत्य प्रस्तुत किया। झाबुआ अंचल से आए आदिवासी जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य भगोरिया भी यहां प्रस्तुत किया गया। गुजरात की वसावा जनजाति का नृत्य सगाई चांदला भी प्रस्तुत किया गया। यह नृत्य लड़के एवं लड़की की सगाई के समय गुजरात में किया जाने वाला नृत्य है।इसके अलावा स्थानीय कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुतियां इस मंच के माध्यम से दी।

स्वास्थ्य शिविर का भी आयोजन।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि इस वर्ष एक स्वास्थ्य शिविर का भी आयोजन लालबाग परिसर में किया जा रहा है जिसमें दोपहर 3:00 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा । साथ ही खेल प्रतियोगिताओं, जिसमें सितोलिया, कबड्डी, खो खो आदि का आयोजन किया जाएगा। इन स्पर्धाओं में जिले की टीमें भाग लेंगी। इसके अलावा तंदुरुस्त बालक प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा

कार्यक्रम की शुरुआत मंच पर लोक कलाकारों के माध्यम से सांसद शंकर लालवानी द्वारा दीप प्रज्वलन एवं अतिथि स्वागत के साथ हुई।

प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से प्रारंभ होगा शिल्प बाजार।

विशाल गिदवानी एवं पवन शर्मा ने बताया कि शिल्प बाजार प्रतिदिन दोपहर 12:00 बजे प्रारंभ होगा। इस वर्ष मुख्य आकर्षण लद्दाख एवं कश्मीर का शिल्प होगा जिसमें कश्मीर की मशहूर पश्मीना शॉल एवं कश्मीर के उन से निर्मित विभिन्न प्रकार की वस्तुएं उपलब्ध होंगी। आसाम का आकर्षण बांस का फर्नीचर होता है जिसमें टेबल कुर्सियां, आराम कुर्सियां आदि होती हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के कालीन एवं गलीचे शिल्प मेले का आकर्षण होंगे। छत्तीसगढ़ का लोहा एवं पीतल शिल्प भी यहां पर मिल रहा है। व्यंजनों में मालवीय व्यंजन के साथ देश भर के व्यंजनों का लुत्फ भी यहां पर उठाया जा सकता है। मनोरंजन जोन में बच्चे झूलो का आनंद ले सकते हैं।

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