स्वर प्रवाह में अर्चना कान्हेरे की दमदार गायकी

  
Last Updated:  June 9, 2019 " 07:52 pm"

इंदौर: रवि के आग उगलते तेवर शहर के बाशिंदों को झुलसाने पर आमादा हैं। ऊपर से आज {रविवार } तो दिन भी उसका था। ऐसे में सुबह से ही उसने दादागिरी दिखाना शुरू कर दी थी। पंचम निषाद ने इंदौर प्रेस क्लब के सभागार में शास्त्रीय संगीत की महफ़िल तो सजा ली थी पर डर यही था कि सुननेवाले जुटेंगे या नहीं। हालांकि उनका ये डर जल्दी ही दूर हो गया। सूरज की तमाम तल्खी के बावजूद संगीत के रसिक नियत समय पर महफ़िल की शोभा बढ़ाने पहुंच ही गए।
बहरहाल, पंचम निषाद की मासिक श्रृंखला के तहत सजाई गई इस महफ़िल की मुख्य कलाकार थी श्रीमती अर्चना कान्हेरे। माणिक वर्मा, पण्डित जितेंद्र अभिषेकी और पण्डित शंकर अभ्यंकर जैसे सिद्धहस्त कलाकारों से गायकी की बारीकियां सिखानेवाली अर्चना कान्हेरे कई बड़े मंचों पर अपने गायन का लोहा मनवा चुकी है। पंचम निषाद के मंच पर अपनी गायकी का आगाज उन्होंने राग नाटभैरव की विलंबित एकताल में निबद्ध बन्दिश कैसे रिझाऊं से की। बाद में द्रुत एकताल की एक बन्दिश करिये गुण की चर्चा। भी पेश की।
अब बारी थी राग देशकार की। रूपक ताल में चला जा रे करे बदरा गाकर अर्चनाजी ने अपनी गायकी के ऊंचे स्तर का अहसास सुनकारों को करवाया। इसी राग में दृत एकताल में भी उन्होंने एक बन्दिश पेश की। ये रचनाएं पंडित शंकर अभ्यंकर की हैं।
कार्यक्रम को आगे बढाते हुए अर्चना जी ने अपने वर्सेटाइल गायिका होने का सबूत दिया। उन्होंने दादरा और भजन के बाद नाट्य गीत पेश करते हुए गायन को अंजाम तक पहुंचाया। उनके साथ तबले पर उल्हास राजहंस और हारमोनियम पर विवेक बंसोड़ ने संगत की। तानपूरे पर अनारता भास्कर और कोमल चव्हाण ने साथ निभाया। कार्यक्रम का संचालन संजय पटेल ने किया और आभार शोभा चौधरी ने माना।

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