इंदौर : पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा ने गुरुवार को पटेल नगर मंदिर में हो रहे धार्मिक अनुष्ठान में हुई दुर्घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहां की घटना क्यों और कैसे हुई यह अलग जांच का विषय है लेकिन जिन परिवारों ने अपना प्रिय जन खोया है, उसकी पूर्ति असंभव है। कोई मुआवजा, कोई सांत्वना उन्हें वापस नहीं ला सकती पर भविष्य में इस तरह घटना की पुनरावृत्ति ना हो इस पर शासन और प्रशासन अवश्य कदम उठा सकता है।
नेमा ने कहा कि इंदौर शहर में प्राचीन काल से बावड़ी बनाने का चलन रहा है, जिससे लोग अपनी आवश्यकताओं का पानी लेकर उपयोग करते थे समय के साथ इनका उपयोग बंद जैसा हो गया। एरन के पत्थरों से बनी हुई बावड़ियां वर्षों पुरानी होकर कमजोर हो चुकी है। चूहे एवं अन्य जीव उसके नीचे अपना रहवास बना चुके हैं, जिससे उनकी मजबूती समाप्त होकर वह पोली हो गई है जो ऊपर से देखने में पत्थरों की मजबूत दिखाई देती है।इन पर कहीं धार्मिक स्थान या अन्य गतिविधियां संचालित हो रही हैं। इस प्रकार की कुछ बावड़ियां राधा गोविंद का बगीचा जूनी इंदौर, चंद्रेश्वर महादेव मंदिर कटकटपुरा जूनी इंदौर, भूतेश्वर मंदिर मार्ग पंचकुइया, मल्हारगंज थाने के सामने, पुराने आरटीओ भवन लालबाग के पास,केशर बाग रोड पर भोलेनाथ का मंदिर, नेमा नगर कॉलोनी सहित शहर में कई स्थानों पर प्राचीन समय से बावड़ियां बनी हुई हैं। जिन पर वर्तमान में आवागमन एवं गतिविधियां हो रही हैं।
पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा ने मुख्यमंत्री जी को mail कर मांग की है कि शहर की ऐसी तमाम बावड़ियों का फिजिकल टेस्ट इंजीनियरों की टीम से करवाएं। असुरक्षित होने पर वहां सूचना बोर्ड लगाने के साथ गतिविधियां भी प्रतिबंधित करें। अनुपयोगी होने पर उन्हें बंद करवाने की कार्रवाई करें।
शासन और प्रशासन के इस प्रकार के प्रयास से भविष्य में इस तरह की दुर्घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी और निर्दोष लोगों को काल के गाल में जाने से हम बचा पाएंगे।