सोयाबीन क्षेत्र पर हो रहा जलवायु परिवर्तन का नकारात्मक प्रभाव : डॉ. डेविश जैन।
तीन-दिवसीय पद्मश्री डॉ. एन एन जैन नेशनल मूट कोर्ट कंपीटिशन का हुआ शुभारम्भ।
इंदौर : पर्यावरण संकट आज के समय की बड़ी चुनौती है, हालाँकि जलवायु परिवर्तन अपरिहार्य है लेकिन बढ़ते उपभोक्तावाद के साथ हमने इस प्रक्रिया को तेज कर दिया है। अब हालत यह हो गई है की इससे मनुष्यता के लिए संकट खड़ा हो गया है। यह बात मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के जस्टिस अनिल वर्मा ने शुक्रवार को पद्मश्री डॉ. एन एन जैन नेशनल मूट कोर्ट कंपीटिशन के शुभारम्भ समारोह में कही।
जलवायु संकट पर तत्काल ध्यान देना जरूरी।
जस्टिस वर्मा ने कहा की जलवायु संकट एक ऐसा विषय है जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरुरत है। यदि समय रहते इस मामले में कदम नहीं उठाए गए तो पृथ्वी निर्जन हो जाएगी। भारत के धर्मग्रंथो, संस्कृति के जोर देने के बाद भी मनुष्य ने प्रकृति का दोहन करना शुरू कर दिया। आज़ादी के बाद न्यायालयों ने अपने स्तर पर पर्यावरण सरक्षण के लिए काफी प्रयास किए। कई अहम् निर्णय दिए।जैसे जंगल, और नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए आवश्यक न्यायिक निर्देश जारी करना। लेकिन अभी और प्रयास करना जरुरी है।
सोयाबीन के क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का नकारात्मक प्रभाव : डेविश जैन।
प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ डेविश जैन ने कहा की हालाँकि वे एक उद्योगपति है, विधिवेत्ता नहीं, लेकिन कानून के साथ उनका जुड़ाव पिछले चार दशकों से है। इस बार की जो मूट प्रॉब्लम है, वह भी उनके लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योकि सोयाबीन इंडस्ट्री से जुड़ा होने के कारण सोयाबीन उत्पादन उनके लिए काफी ,मायने रखता है। जलवायु परिवर्तन का काफी नकारात्मक प्रभाव इस क्षेत्र में हो रहा है।आज उद्योगपति,आम नागरिक, सरकार, न्यायपालिका आदि सभी को इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
छात्र पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करें: डॉ. वी विजयकुमार।
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी भोपाल के वाईस चांसलर डॉ. वी विजयकुमार ने इस अवसर पर कहा कि विधि के छात्रों की यह विशेष जिम्मेदारी है की वे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करें। पीआईएमआर डिपार्टमेंट ऑफ़ लॉ के डायरेक्टर डॉ. निशांत जोशी ने कहा कि प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट के डिपार्टमेंट ऑफ़ लॉ द्वारा तीन दिवसीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता हर वर्ष की तरह इस बार भी आयोजित की गई है, जिसमें देश भर से 45 से अधिक संस्थानों के छात्र भाग ले रहे हैं।