बालक का अपहरण कर हत्या के मामले में आरोपियों को मृत्युदंड

  
Last Updated:  June 11, 2024 " 08:23 pm"

फिरौती के लिए किया था 07 वर्षीय बालक का अपहरण।

फिरौती की रकम न मिलने पर कर दी थी बालक की हत्या।

महू के किशनगंज थाने का था मामला।

इंदौर : 7 वर्षीय बालक का अपहरण कर हत्‍या करने वाले दो आरोपी रिश्‍तेदारों को अदालत ने मृत्‍युदंड की सजा सुनाई है।आरोपियों ने बालक का अपहरण कर 4 करोड़ रुपये फिरौती की माँग की थी। पैसे न मिलने पर उन्होंने बालक की हत्‍या कर दी थी।

जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्‍तव ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि न्‍यायालय विशेष न्‍यायाधीश (एससी/एसटी एक्‍ट) श्रीमान् देवेन्‍द्र प्रसाद मिश्र इंदौर ने थाना किशनगंज जिला इंदौर के अपराध क्रमांक 113/2023 सत्र प्रकरण क्रमांक 368/2024 में निर्णय पारित करते हुए अभियुक्‍तगण 1. विक्रांत पिता अशोक ठाकुर, उम्र 24 वर्ष, निवासी ग्राम चौकी मुरादाबाद जिला शाजापुर और 2. ऋतिक पिता सुभाष ठाकुर उम्र 22 वर्ष निवासी ग्राम पिगडम्‍बर तहसील महू जिला इंदौर को धारा 302/120बी, 364ए भा.दं.सं. में मृत्‍युदंड, धारा 201 भा.दं.सं. में 7-7 वर्ष का सश्रम कारावास और कुल 6000/- रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। अभियोजन की ओर से पैरवी अतिरिक्‍त जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती आरती भदौरिया व अभियोजन अधिकारी आनंद नेमा द्वारा की गयी।

अभियोजन की ओर से अपने समर्थन में 30 सा‍क्षी न्‍यायालय के समक्ष प्रस्‍तुत किये गए। अभियोजन ने अपनी बहस के दौरान पुरजोर ढंग से यह तथ्य न्यायालय के सामने रखा कि आरोपीगण द्वारा की गई घटना जघन्‍य श्रेणी की है । ऐसे कृत्‍य के लिये आजीवन कारावास पर्याप्‍त न होकर मृत्‍युदंड से दंडित किया जाना चाहिए।

ये था पूरा मामला :-

फरियादी यशवंतसिंह ने दिनांक 05.02.2023 को रात्रि 10:32 बजे थाना किशनपुरा/गंज में इस आशय की रिपोर्ट दर्ज करायी थी कि उसका पोता हर्ष पिता जितेन्द्र 05.02.2023 की शाम लगभग 6:00 बजे घर के बाहर पिगडम्बर में खेलने गया था, घर वापस न आने पर आसपास रिश्तेदारी में तलाश की गई, पता नहीं चला। उसे शंका है कि हर्ष उम्र 7 वर्ष को कोई अज्ञात बदमाश बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया है। हर्ष की लम्बाई 3 फीट, रंग गोरा, बदन सामान्य, चेहरा अंडाकर है, नीले कलर की टी-शर्ट व ब्लैक लोअर पहना है, सामने ऊपर का दांत टूटा हुआ है। थाने में पदस्थ ए.एस.आई. बालू सिंह ने अज्ञात आरोपी के विरुद्ध अपराध क्रमांक 113/23 पर धारा 363 भा.द. सं. के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर प्रथम सूचना प्रतिवेदन लेखबद्ध की।

विवेचना दौरान मेमोरेण्डम में आरोपी विक्रांत ने बताया कि उसने ऋतिक ठाकुर के साथ मिलकर हर्ष का अपहरण किया था। विक्रांत कार क्रमांक एम.पी. 42-सी.3907 में हर्ष को बैठाकर सिमरोल रोड़ स्थित मेमदी गांव के पास ले गया था। दिनांक 05.02.2023 के रात्रि 09:40 बजे ऋतिक ने फोन पर बताया कि पिगडम्बर में पुलिस गई है। हर्ष को ढूंढ रही है,तब विक्रांत ने हर्ष का गला दबाकर उसकी हत्या कर दी।

दिनांक 06.02.2023 को प्रातः 08:15 बजे बाईग्राम सेंडल मेंडल रोड पर ही आरोपी विक्रांत के मोबाइल फोन में वाट्सअप तथा टेक्स्ट मैसेज जो आरोपी ऋतिक द्वारा उसे किए गए थे, उसके स्कीन शाट एस.आई. गुलाबसिंह द्वारा अपने मोबाइल पर लिये गये। विकांत द्वारा स्वयं के मोबाइल से जो टेक्स्ट और वाट्सअप मैसेज ऋतिक को किए गए थे, उसके भी स्कीन शॉट लिये गये। पूछताछ के दौरान आरोपी विकांत ने बताया कि दिनांक 05.02.2023 के 12:00 बजे गौरव हार्डवेयर दुकान पर जाकर ओरेंज रंग की नायलोन की रस्सी तथा एक अल्ट्राटेक कम्पनी की टेप खरीदी थी और पिट्टू बैग में रख लिया था। हर्ष का शव फेंकने के लिए शाइन शूज सेंटर से ऋतिक ने प्लास्टिक का बोरा 10 रूपये में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से खरीदा था।

उभयपक्ष द्वारा प्रस्‍तुत तर्क पर विचार किया गया। न्‍यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि प्रत्येक हत्या, एक सभ्य समाज का गंभीर अपराध है। उक्त अपराध में दोषसिद्धि की दशा में अधिरोपित किये जाने वाला न्यूनतम दण्डादेश आजीवन कारावास है, जो नियम के रूप में है, जबकि मृत्यु का दण्डादेश अपवाद के रूप में है। मृत्यु दंडादेश देने के पूर्व अपराध की सभी सुसंगत परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह विचार करना होता है कि क्या आजीवन कारावास का दण्डादेश दोषसिद्ध ठहराये गये अपराध के लिये पर्याप्त नहीं है? और यदि अपराध की रीति, कारित किये जाने का तरीका, उसकी भयावता तथा आरोपी का दुस्साहस ऐसा है जो समाज की समग्र आत्मा को आघात पहुंचाता है और मानवता पर कुठाराघात करता है, वहां आजीवन कारावास का दण्डादेश अपर्याप्त महसूस होता है। हत्या के अपराध के संबंध मे उचित दण्डादेश के बिन्दु पर विचार करते हुए वचनसिंह विरूद्ध पंजाब राज्य 1980 ए0आई0आर0-898 और माछीसिंह विरूद्ध पंजाब राज्य 1983 ए०आई०आर० 957 के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित मार्गदर्शक सिद्धान्त के आधार पर आरोपीगण को मृत्‍युदंड से दंडित किया गया।

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