गरुड़ वाहन पर निकली प्रभु वेंकटेश की सवारी।
इंदौर : श्री वेंकटेश देवस्थान छ्त्रीबाग में स्तोत्र पाठ, नादस्वरम की मधुर धुन और आरती के स्वरों के बीच ब्रह्मोत्सव के चौथे दिन प्रभु वेंकटेश के विशेष उत्सव तिरुप्पवाड़ा के दर्शन का हजारों भक्तो ने कतारबद्ध होकर पुण्य लाभ लिया। श्री वानमामलै रामानुज जीयर स्वामीजी ने भी इस मौके पर भक्तों को श्रीपाद तीर्थ वितरित किया और रामानुज सम्प्रदाय में आचार्य का महत्व बताया।
श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज के मंगला शासन में चल रहे ब्रह्मोत्सव में दक्षिण भारत से आये भट्टर स्वामी, इंदौर के पुजारी व सहियोगियों द्वारा तिरुप्पवाड़ा उत्सव में प्रभु के श्री स्वरूप का निर्माण किया गया।
केले के पत्तो पर अपरस में निर्मित इमली के चावल से प्रभु वेंकटेश के श्रीविग्रह का निर्माण किया गया जिसमें प्रभु के अलौकिक स्वरूप के दर्शन हो रहे थे। विभिन्न प्रकार की मिठाइयों मालपुआ,चकली,जलेबी, लडु, डॉयफ्रूट से श्रृंगार कर प्रभु को शंख चक्र तिलक और वनमाला के साथ ही अदभुत सुंदर नेत्र व तिलक धारण कराय गया।देश भर से पधारे संत व यजमान परिवार रंगेश बियाणी, दिनेश प्रदीप राठी,ने भी प्रभु के दिव्य स्वरूप का पूजन और आरती की।
विशेष उत्सव में वसंतोत्सव का भी आयोजन ।
इसके पूर्व सुबह के सत्र में तिरुपति बालाजी की ही तर्ज पर दक्षिण भारतीय पद्धति से वसंतोत्सव मनाया गया । प्रभु वेंकटेश, श्रीदेवी व भुदेवी का केशर जल, चंदन के चूरे, शहद आदि से विशेष मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक किया गया। इस अवसर प्रभु वेंकटेश की स्वर्ण पुष्प से अर्चना भी की गई ।सभी बाहर से पधारे संतो ने भी रजत कलशों से अभिषेक किया।यजमान ने कलशों का पूजन किया।
गुरु के मार्गदर्शन से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है।
संत सभा को संबोधित करते हुए श्री वानमामलै रामानुज जीयर स्वामी महाराज ने कहा कि
रामानुज सम्प्रदाय की धर्म ध्वज पताका को हम सभी को लहराना है गुरु के मार्गदर्षन से भगवान की प्राप्ति होती है।
स्वमी श्री रामकृष्णाचार्य महाराज इटारसी वाले ने बताया कि जो आचार्य आपको धर्म शास्त्र की शिक्षा दे रहे, वे स्वयं उसका पालन करते हैं इसीलिए वे आचार्य हैं।जो भी आचार्य कहे उसे सबसे पहले अपने ऊपर लागू करे यह न सोचे कि दूसरा तो कोई कर नही रहा। यही रामनुजदास का स्वरूप ओर भाव है जो भी उपदेश हो अपने ऊपर लागू करे।
इस मौके पर
वेंकटेशप्रपन्नचार्य गया,धुता बावड़ी महाराज डीडवाना,
वेदांती पुण्डरीक महाराज,
दिव्यांश वेदांती हरिद्वार आदि ने भी प्रवचन दिए।
हरियाली बचाओ, पेड़ लगाओ।
तिरुप्पवाडा उत्सव के जरिए विशेष रूप से हरियाली ओर जल संरक्षण का संदेश दिया गया। प्रभु के श्रृंगार में पेड़ पत्तियों का इस्तेमाल किया गया। हरियाली में झूले में झूलते हुए प्रभु वेंकटेश ने भक्तों को दर्शन दिए।
गरुड़ पर विराजमान होकर दर्शन देने निकले प्रभु वेंकटेश।
ब्रह्मोत्सव के चौथे दिन रात्रि में भगवान वेंकटेश की सवारी गरुड़ वाहन पर आरूढ़ होकर गोविदा गोविंदा के जयघोष के साथ मंदिर परिसर में निकली। जैसे ही सवारी के दर्शन पट खुले, भक्तों की नजर भगवान की मोहिनी सूरत पर टिक गई ,यात्रा में वेणुगोपाल संस्कृत पाठशाला के विद्याथीं श्रीसूक्त , पुरुष सूक्त , वेंकटेश स्तोत्र व वैदिक मंत्रोचार करते चल रहे थे। भजन गायक द्वराकदास मंत्री ने सुरीले भजन पेश कर श्रद्धालुओं में आध्यात्मिक उल्लास से भर दिया। भक्तों को खूब आनंद दिलाया।
ब्रह्मोत्सव के मीडिया प्रभारी पंकज तोतला ने बताया कि 07 जुलाई दूज को निकलने वाली रथयात्रा की तैयारियां जारी हैं। प्रतिदिन इस यात्रा को जन जन तक पहुचाने की कोशिश की जा रही है।