मीटर को धीमा कर की जा रही बिजली चोरी।
कुछ क्षेत्रों में सामने आए ऐसे मामले।
सॉफ्टवेयर को उन्नत करने में जुटी बिजली कंपनी।
इंदौर : शहर में बिजली चोरी के लिए अब आधुनिक रिमोट कंट्रोल का उपयोग किया जा रहा है। इसी के साथ यह दावा भी फेल हो गया है कि आधुनिक स्मार्ट मीटर बिजली चोरी के विरुद्ध फुल प्रूफ है। बिजली कंपनी ने ही ऐसे मामले पकड़े हैं, जहां रिमोट कंट्रोल की मदद से मीटर में खपत को दर्ज होने से रोका जा रहा था। कंपनी अब तक रिमोट बनाने वालों की पहचान नहीं कर सकी है। कंपनी अब मीटर के साफ्टवेयर को अपडेट करने में जुटी है ताकि रिमोट की तकनीक से पार पाया जा सके।
कुछ क्षेत्रों में सामने आए ऐसे मामले।
बताया जाता है कि बिजली कंपनी ने अरण्य नगर, एयरपोर्ट जोन पर रिमोट कंट्रोल से बिजली चोरी करने के मामले पकड़े हैं। बिजली कंपनी आधिकारिक रूप से यह बात स्वीकार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक शहर के कुछ बिजली मिस्त्री कार की चाबी की तरह का रिमोट बनाकर दे रहे हैं। रिमोट कंट्रोल के बटन से स्मार्ट मीटर में ब्लिंक होने वाले लाल एलईडी बल्ब को भी बंद कर दिया जाता है।इसके बाद मीटर में खपत दर्ज नहीं होती और बिजली के बिल कम हो जाते हैं। कंपनी यह भी मान रही है कि साल-डेढ़ साल से ये लोग चोरी कर रहे थे।
बता दें कि शहर में करीब तीन लाख मिलाकर पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के क्षेत्र में सात लाख स्मार्ट मीटर लग चुके हैं।
बिजली कंपनी के सूत्रों के अनुसार कुछ जोन पर रिमोट कंट्रोल से मीटर धीमा करने के मामले पकड़े गए हैं। अभी इन रिमोट को बनाने वाले पकड़ में नहीं आए, क्योंकि साल-डेढ़ साल पहले इन उपभोक्ताओं ने ऐसे रिमोट बनवाए थे। इसकी तकनीक को हम ब्रेक करने में लगे हैं। बिजली कंपनी के इंजीनियर भी मान रहे हैं कि स्मार्ट मीटर के सॉफ्टवेयर को हैक किया जा सकता है। इंजीनियरों ने बताया कि स्मार्ट मीटर असल में इलेक्ट्रानिक डिवाइस है। इसे प्री-प्रोग्राम किया जाता है। दूर बिजली कंपनी के कंट्रोल रूम को सिग्नल भेजता है।यानी यह खुद भी रिमोट तकनीक पर चलता है। ऐसे में इसके सिग्नल और प्रोग्राम को बीच में हैक करना संभव है। इसके सॉफ्टवेयर और प्रोग्रामिंग को बदला जा रहा है ताकि इसे हैक न किया जा सके।