इंदौर प्रेस क्लब के मीडिया कॉन्क्लेव का शानदार आगाज।
पत्रकारिता का इंदौर घराना पर केंद्रित रहा कॉन्क्लेव का पहला सत्र।
इंदौर : शहर हित में इंदौर प्रेस क्लब हमेशा आवाज उठाता रहा है।इसका अपना गौरवशाली इतिहास है। शहर के विकास से जुड़े मुद्दों को लेकर प्रेस क्लब ने हमेशा सकारात्मक भूमिका निभाई है। ये बात सांसद शंकर लालवानी ने कही। वे इंदौर प्रेस क्लब के 63 वे स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय मीडिया कॉन्क्लेव के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के बतौर बोल रहे थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. राकेश सिंघई ने की। कस्तूरबाग्राम ट्रस्ट के करुणाकर त्रिवेदी, सेवा सुरभि के ओम नरेडा, अभ्यास मंडल के रामेश्वर गुप्ता, सानंद न्यास के जयंत भिसे और प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष सतीश जोशी विशेष अतिथि के बतौर मौजूद थे। समारोह में बड़ी संख्या में प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार, सोशल इन्फ्लूएंसर, विभिन्न सामाजिक एवं शैक्षणिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. राकेश सिंघई ने कार्यक्रम में कहा कि इंदौर की हिंदी पत्रकारिता की देश और दुनिया में विशिष्ट पहचान है। यहां के पत्रकारों की लेखनी की चर्चा हर जगह होती है, क्योंकि वे अपनी बात बेबाकी से लिखते हैं। पत्रकारिता के इस तीन दिवसीय अनुष्ठान के मंथन से जो अमृत निकलेगा, उसका लाभ पत्रकारिता के छात्रों को भी मिलेगा।
इंदौर ने देश को कई मूर्धन्य पत्रकार दिए।
इंदौर मीडिया कॉन्क्लेव का पहला सत्र पत्रकारिता के इंदौर घराना के नाम रहा। वरिष्ठ पत्रकार व राज्यसभा टीवी के कार्यकारी संपादक राजेश बादल ने कहा कि करीब चार दशक पहले देश में इंदौर की पहचान मिनी मुंबई या कारोबारी शहर के नाम पर होती थी, लेकिन आज इंदौर पत्रकारिता का घराना बन चुका है, जिसने देश को कई ख्यात पत्रकार दिए हैं। इंदौर पत्रकारिता का एक ऐसा शिल्पी है जो पत्रकारों को गढ़ता है। यहां के लोगों में सेंस ऑफ ह्यूमर गजब है।
अमर उजाला डिजिटल नई दिल्ली के संपादक जयदीप कर्णिक ने अपने उद्बोधन में कहा कि इंदौर की पत्रकारिता ने जो भाषा के संस्कार दिए हैं, वह बेमिसाल हैं। उन्होंने नईदुनिया का जिक्र करते हुए कहा कि यह केवल एक अखबार ही नहीं पत्रकारिता की सबसे बड़ी पाठशाला रहा है, जिसका लोहा आज भी देश और दुनिया में माना जाता है।
अमर उजाला के समूह सलाहकार संपादक यशवंत व्यास ने कहा कि नईदुनिया एक ऐसा अखबार रहा है, जहां पत्रकारों को नए-नए प्रयोग करने की पूरी स्वतंत्रता थी। उन्होंने मालवी और निमाड़ी बोली की भी चर्चा की, जिसकी पत्रकारिता में अच्छी खासी भूमिका रही है।
आजतक नई दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार सईद अंसारी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी बात रखते हुए कहा कि इंदौर ने पत्रकारिता को एक नई दिशा दी। पत्रकारिता की आत्मा है इंदौर।राहुल बारपुते, राजेद्र माथुर, प्रभाष जोशी, आलोक मेहता, जैसे मूर्धन्य पत्रकारों ने इंदौर का नाम देश भर में पहुंचाया। अंसारी ने कहा कि लेखनी पत्रकारों का चरित्र है और संपादक उसका मार्गदर्शक।
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि इंदौर से प्रकाशित नईदुनिया का देश में वही स्थान रहा है, जो किसी समय शिक्षा के क्षेत्र में नालंदा और तक्षशिला का था। पत्रकारिता को घराना बनाने में नईदुनिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, क्योंकि उसने देश को ऋषितुल्य संपादक और मूर्धन्य पत्रकार दिए हैं। नईदुनिया एक ऐसा अखबार है, जिसको पढ़कर कई लोगों ने भाषा की शुद्धता सीखी।
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी ने कार्यक्रम का संचालन किया। उनका कहना था कि इंदौर की पहचान पोहे और जलेबी तक ही सीमित नहीं है। सही मायने में इंदौर एक ऐसा शहर है, जहां आईआईटी और आईआईएम दोनों हैं। बनारस, ग्वालियर और जयपुर के संगीत घराने की तरह इंदौर पत्रकारिता का घराना है। इंदौर से निकले राजेंद्र माथुर, प्रभाष जोशी जी, शरद जोशी ऐसे मूर्धन्य पत्रकार और संपादक रहे, जिन्होंने दूसरे शहरों में जाकर केवल पत्रकारिता ही नहीं की बल्कि पत्रकारिता में एक बड़ा परिवर्तन भी किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत प्रेस क्लब महासचिव हेमंत शर्मा, उपाध्यक्ष दीपक कर्दम, प्रदीप जोशी, कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी, विपिन नीमा, मुकेश तिवारी, सुनील जोशी, श्रुति अग्रवाल, अभिषेक चेंडके, जमना मिश्रा ने किया। स्मृति चिह्न पद्मश्री भालू मोढे, प्रेस क्लब सचिव अभिषेक मिश्रा, अनिल त्यागी, किरण वाईकर, हरेराम वाजपेयी ने प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालन संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने किया। इस अवसर पर राजेश बादल ने मूर्धन्य पत्रकार स्व. राजेंध्र माथुर और पत्रकारिता पर लिखी पुस्तकें एवं श्री माथुर का चित्र इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी को भेंट किया।