इंदौर : कमलनाथ सरकार ‘मेग्नीफिसेन्ट एमपी’ के जरिये देशभर के उद्योगपतियों, कारोबारियों और निवेशकों को लुभाने की कवायद कर रही है। उनके लिए लाल कालीन बिछाए जा रहे हैं। खूब आवभगत की जा रही है। सुख सुविधाएं जुटाई जा रहीं हैं। जिन रास्तों से उद्योगपति, कारोबारी गुजरेंगे उन्हें सजाने- संवारने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। एयरपोर्ट से सुपर कॉरिडोर, एमआर 10 होते हुए आयोजन स्थल ब्रिलियंट कन्वेंशन तक पूरे मार्ग की काया ही पलट दी गई है। समूचे रास्ते को रोशनाई से जगमग कर दिया गया है। अखबारों और टीवी चैंनलों में बड़े- बड़े विज्ञापन दिए जा रहे हैं। सीएम कमलनाथ ने सारे सूत्र अपने हाथ में ले रखे हैं।दो दिनों तक वे इंदौर में ही डेरा जमाए रहेंगे। सरकार का कोई मंत्री हो या कांग्रेस का कोई बड़ा नेता सभी को इस मेगा इवेंट से दूर रखा जा रहा है। दरअसल, सीएम कमलनाथ ‘मेग्नीफिसेन्ट एमपी’ के जरिये अपनी विकास पुरुष की छवि बनाना चाहते हैं। वे यह दिखाना चाहते हैं कि प्रदेश में निवेश लाने की कूवत उनमें है और अगले 5 साल में प्रदेश को वे नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।
निवेशकों को दिखाए जा रहे सब्जबाग..!
‘मेग्नीफिसेन्ट एमपी’ में आ रहे निवेशकों, कारोबारियों को वीवीआईपी ट्रीटमेंट दिए जाने के साथ उन्हें तमाम सब्जबाग भी दिखाए जा रहे हैं ताकि वे प्रदेश में निवेश के लिए आगे आएं।
लाखों करोड़ के निवेश का दावा।
मेगीफिसेन्ट एमपी समिट के जरिये कमलनाथ सरकार लाखों करोड़ रुपए का निवेश प्रदेश में होने का दावा भी कर रही है। प्रदेश के मुख्य सचिव मोहंती की माने तो ढाई सौ से अधिक निवेशकों ने प्रदेश में कामकाज की शुरुआत भी कर दी है।
शिवराज पर निशाना।
इस बात का भी ढिंढोरा पीटा जा रहा है कि पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने लाखों करोड़ के एमओयू किये पर नतीजा सिफर रहा। कमलनाथ सरकार बिना एमओयू के बड़ा निवेश लाने में कामयाब हो रही है।
क्या सच होंगे दावे…?
‘मेग्नीफिसेन्ट एमपी’ जैसा बड़ा इवेंट करके भले ही निवेश को लेकर बड़े- बड़े दावे किए जाए पर ये दावे खोखले तो सिद्ध नहीं होंगे ये बड़ा सवाल है। मप्र में नौकरशाही का जो रवैया रहा है और बीते 9 माह में जिसतरह भ्रष्टाचार चरम पर पहुंचा है, उसे देखते हुए निवेशकों को विभिन्न विभागों से क्लीयरेंस पाने में कितनी जद्दोजहद करनी पड़ेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
आधारभूत संरचना की कमीं।
‘मेग्नीफिसेन्ट एमपी’ के लिए शहर के एक हिस्से को सजाने- संवारने में करोड़ों रुपए फूंक दिए गए पर शेष शहर की हालत किसी से छुपी नहीं है। जगह- जगह सड़कें उखड़ी हुई हैं जिनपर पैबंद तक नहीं लग पाए हैं। समूचे प्रदेश में यही हालात हैं। जबकि उद्योगों के लिए सड़क, बिजली और पानी की बुनियादी जरूरत होती है। उधार के पैसों (कर्ज ) पर चल रही कमलनाथ सरकार आधारभूत संरचना को ठीक करने के लिए पैसा कहां से लाएगी ये भी सोचने वाली बात है।
महंगा पेट्रोल- डीजल ।
देश में सबसे महंगा पेट्रोल- डीजल मप्र में बिक रहा है क्योंकि प्रदेश सरकार उनपर भारी भरकम टैक्स वसूलती है। हाल ही में उसने पेट्रोल- डीजल पर वैट भी बढ़ा दिया है। ऐसे में कोई उद्योगपति अगर यहां अपनी यूनिट डालना भी चाहे तो महंगा ईंधन उसे सोचने पर मजबूर कर देगा क्योंकि इससे उसके उत्पाद की लागत बढ़ जाएगी। इसके अलावा करों का भार पड़ेगा वो अलग।
मंदी के दौर में क्या निवेश आएगा..?
दुनिया के उन देशों में भारत भी शामिल बताया जाता है जहां मंदी का असर पड़ा है। विकास दर घटी है। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व मंदी को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अपनाए हुए है। ऐसे में क्या निवेशक वाकई इस स्थिति में हैं कि अपने कारोबार का विस्तार कर मप्र में निवेश कर सकें..! अगर नहीं हैं तो इस बड़े तामझाम के औचित्य पर ही सवाल खड़े होते हैं।
राहुल के निशाने पर रहे हैं बड़े उद्योगपति।
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के निशाने पर अडानी, अम्बानी सहित तमाम उद्योगपति रहे हैं। मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव हों या लोकसभा के, राहुल गांधी ने इन उद्योगपतियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप पीएम मोदी पर लगाया है। महाराष्ट्र और हरियाणा में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भी राहुल गांधी यही आरोप दोहरा रहे हैं। इधर सीएम कमलनाथ उन्हीं उद्योगपतियों के लिए पलक पावड़े बिछा रहे हैं। राहुल गांधी के शब्दबाणों से आहत निवेशक क्या कांग्रेस के ही एक सीएम (कमलनाथ) की बातों पर भरोसा कर पाएंगे..? जो जानकारी मिली है उसके अनुसार अम्बानी और अडानी समिट में नहीं आ रहे हैं।
पुराने औद्योगिक क्षेत्र व उद्योगपतियों की अनदेखी।
मप्र के औद्योगिक क्षेत्र आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। इंदौर का पोलोग्राउंड, समीप स्थित पीथमपुर, घाटाबिल्लौद, देवास का इंडस्ट्रियल एरिया, भोपाल के पास मंडीदीप सहित तमाम पुराने औद्योगिक क्षेत्रों की हालत किसी से छुपी हुई नहीं है। जो उद्योगपति यहां पहले से कारोबार कर रहे हैं उनका कहना है कि सरकार नए निवेशकों के लिए तो लाल कालीन बिछा रही है पर उनकी परेशानियों पर ध्यान नहीं दे रही है। सरकार का ये रवैया ठीक नहीं है।
बहरहाल, ‘मेग्नीफिसेन्ट एमपी’ के जरिये प्रदेश में निवेश लाने के साथ हजारों युवाओं को रोजगार देने की बड़ी- बड़ी बातें क्या यथार्थ के धरातल पर फलीभूत होंगीं.. आनेवाला समय इसका जवाब देगा।