इंदौर में छत्रीबाग स्थित वैंकटेश देवस्थान से निकली देश की तीसरी बड़ी रथयात्रा।
गोविंदा गोविंदा के जयघोष के साथ हजारों श्रद्धालुओं ने हाथों से खींचा प्रभु वेंकटेश का रजत रथ।
भगवान पहुचे भक्त के द्वार।
नासिक से आये 80 कलाकारों के बैंड ने दी विशेष प्रस्तुति।
संदेशपरक झांकियां रहीं आकर्षण का केंद्र।
इंदौर : पावनसिद्ध धाम श्री लक्ष्मी – वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग से देश की तीसरी सबसे बड़ी पारंपरिक रथयात्रा भक्तिमय उल्लास के बीच निकली। हर भक्त की निगाह ठाकुरजी की एक झलक पाने को आतुर थीं।
भगवन वेंकटेश अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए पूरे लाव लश्कर के साथ रजत रथ में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलें। नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज, यात्रा में पैदल भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते चल रहे थे।
नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज के साथ नितीन – दिव्या रोचलानी शरद पसारी परिवार, वेंकटेश मंदिर ट्रस्ट कमेटी के रवींद्र धुत एवं ब्रम्होत्सव रथयात्रा महोत्सव समिति के महेंद्र नीमा, दिनेश गुप्ता, सुमित मंत्री, दिलीप परवाल,प्रेम माहेश्वरी, गोपाल नागोरी,पंकज तोतला, भरत तोतला, श्याम सारड़ा, कैलाश मुंगड़,पवन व्यास, रजत बेड़िया ने रथ का पूजन कर रथयात्रा को रवाना किया।
वेंकटरमणा गोविन्दा के उदघोष के साथ शुरू हुई ये रथयात्रा छत्रीबाग से प नरसिंह बाज़ार , सीतलामाता बाज़ार , गोराकुण्ड चौराहा , शक्कर बाज़ार , बड़ा सराफा , पीपली बाज़ार , बर्तन बाजार, बजाजखाना , साठा बाजार से होते हुए पुनः मदिर में पहुंची मार्ग में करीब 200 स्थानों पर लगे मंचों से इस यात्रा का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। जगह – जगह श्रद्धालुओं और व्यापारिक संगठनों द्वारा प्रसाद की व्यवस्था भी की गई थी। समूचे मार्ग पर स्वागत द्वार,ध्वज पताकाएं लगाने के साथ विद्युत सज्जा भी की गई थी।
संदेशपरक झांकिया रहीं आकर्षण का केंद्र।
रथ यात्रा में देश की प्रगति, उन्नति का संदेश प्रमुखता से दिया गया। गौ माता की रक्षा करने और हर दिन के चूल्हे की पहली रोटी गाय तक पहुचने की अपील को मार्मिकता के साथ पेश किया गया।शेषावतार श्री रामानुज स्वामी को कमल के पुष्प पर विराजमान किया गया था। केवट प्रसंग भी अदभुत नजर आया।
रथयात्रा में सबसे आगे राजकमल बैंड सुमधुर भजनों व धुनों के साथ श्रद्धालुओं को थिरकने पर मजबूर कर रहा था।
21 घोड़ो पर धार्मिक पताका लिए कमांडो की विशेष पोशाख में श्रद्धालु संवार थे। देश भर से पधारे 21 संत – महात्मा भी बग्गियों में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दे रहे थे।
इसके पीछे चांदी के ठाकुरजी की सवारी के वाहन के रूप में गरुड़ वाहन , हनुमान वाहन , अश्व वाहन , गज वाहन , मंगलगिरी वाहनों पर ठाकुरजी के चित्र विराजित थे।
देवास से पधारे द्वारका दास मंत्री, भजन मंडली के साथ भजनों की रस गंगा प्रवाहित कर रहे थे, जिनपर महिलाएं व युवतियां नृत्य करते चल रहे थे।
हरिकिशन साबू भोपू जी द्वारा भी विशाल जनसमुदाय के साथ भजनों की बारिश की जा रही थी। प्रभु वेंकटेश की भक्ति में भक्त झूमकर नाच रहे थे।
नासिक के बैंड ने दी सुंदर प्रस्तुति।
नासिक से आए 80 कलाकारों के ढोल – ताशा पथक की प्रस्तुतियां रथयात्रा में सब का मन मोह रहीं थीं। पुष्पों से सजे – धजे रजत रथ में प्रभु वेंकटेश श्री देवी, भू देवी के साथ विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दे रहे थे। हजारों श्रद्धालु प्रभु के इस दिव्य रजत रथ को अपने हाथों से खींच रहे थे।रास्ते में जगह जगह थाली सजाकर प्रभु की आरती व गुरुदेव का चरण पूजन किया जा रहा था।
रथयात्रा में 250 कार्यकर्ताओं ने पूरे मार्ग पर व्यवस्था संभाल रखी थी। रथयात्रा निर्धारित मार्ग से होते हुए देर रात करीब ढाई बजे पुनः देवस्थान पहुंची।
28 जून को सुबह 9 बजे रजत कलशों से प्रभु को माखन लगाकर शांति अभिषेक किया गया इसी के साथ महोत्सव का समापन हुआ।