स्व. वीना नागपाल के लिखे चुनिंदा आलेखों के संकलन ‘शब्द सुरों की वीना’ का केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य अतिथियों ने किया लोकार्पण।
इंदौर : स्व. वीना नागपाल मूल्यों और सिद्धांतों के प्रति समाज को जागरूक करती थीं। उनके आलेख रोजमर्रा के अनुभव, महिलाओं से जुड़े मुद्दे और सामाजिक सरोकारों पर आधारित होते थे। उनके कॉलम का पाठक इंतजार करते थे। ये बात केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने व्यक्त किए। वे डॉ. ओम नागपाल शोध संस्थान इंदौर के बैनर तले आयोजित स्व. श्रीमती वीना नागपाल के आलेखों के संकलन ‘शब्द सुरों की वीना’ के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा ताई महाजन, मप्र के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और सांसद शंकर लालवानी भी विशेष अतिथि के बतौर मौजूद रहे।
किताबें विचारों की विरासत होती हैं।
रवींद्र नाट्यगृह में आयोजित इस समारोह में अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने आगे कहा कि किताबें विचारों की विरासत होती हैं, जो समाज को सोचने के लिए प्रेरित करती हैं। अपने आलेखों के जरिए श्रीमती वीना नागपाल आज भी जिंदा हैं। ‘शब्द सुरों की वीना” में संकलित आलेख वीना जी की लेखकीय क्षमता को अभिव्यक्त करते हैं।
श्रीमती नागपाल की कलम बेहद असरदार थी।
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए कहा कि डॉ. ओम नागपाल का उनपर बेहद स्नेह था। श्रीमती वीना नागपाल ने विभिन्न विषयों और मुद्दों पर बेबाकी के साथ अपनी कलम चलाई। उनके आलेखों से सजी यह पुस्तक जनमानस में उनकी स्मृति को बनाएं रखेगी।
सांसद शंकर लालवानी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उन्होंने श्रीमती वीना नागपाल के लिखे कई आलेख पढ़ें हैं। उनके आलेखों का संकलन पुस्तक के रूप में प्रकाशित होना खुशी की बात है।
‘शब्द सुरों की वीना’ का लोकार्पण ।
इसके पूर्व ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित सभी अतिथियों ने श्रीमती वीना नागपाल के लिखे चुनिंदा आलेखों से संकलित पुस्तक ‘शब्द सुरों की वीना’ का विधिवत लोकार्पण किया। पुस्तक के प्रकाशक देवी अहिल्या प्रकाशन के यशभूषण जैन भी इस दौरान मौजूद रहे।
डॉ. दिव्या गुप्ता ने साझा किए अपनी मां से जुड़े संस्मरण।
स्व. वीना नागपाल की बेटी ख्यात समाजसेविका डॉ. दिव्या गुप्ता ने कार्यक्रम में अपनी मां से जुड़े संस्मरण साझा किए। इस दौरान वे भावुक भी हो गई। उन्होंने कहा कि मां वीना नागपाल ने उनकी अलग ढंग से परवरिश की। उन्होंने अन्याय का प्रतिकार करना सिखाया। डॉ. दिव्या गुप्ता ने कहा कि उनकी मां रोज कॉलम लिखती थीं। उनके लगभग 07 हजार आलेखों में से चुनिंदा आलेख लोकार्पित की गई पुस्तक ‘शब्द सुरों की वीना’ में संकलित किए गए हैं। डॉ. दिव्या गुप्ता ने बताया कि मां की ही प्रेरणा से उन्होंने संस्था ज्वाला की स्थापना की, जिसके जरिए अबतक 05 लाख युवतियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी भी मन की बात कार्यक्रम में इसका जिक्र कर चुके हैं।
स्व. वीना नागपाल के आलेखों को संकलित कर पुस्तक का स्वरूप देने में अहम भूमिका प्रो.अशोक कुमट ने निभाई।उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि स्व. वीना जी के हजारों आलेखों में से चुनिंदा आलेख पुस्तक के लिए चयनित करना बेहद मुश्किल था। आखिर ये संभव हुआ और ‘शब्द सुरों की वीना’ अस्तित्व में आ गई। इसमें स्व. वीना जी के करीब 50 आलेख संकलित हैं, जो विभिन्न विषयों और मुद्दों पर लिखे गए हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना, दीप प्रज्वलन और एक प्रेरक गीत के साथ हुआ। अतिथि स्वागत डॉ. दिव्या गुप्ता, सुनील गुप्ता, यशभूषण जैन ने किया। कार्यक्रम में नागपाल और गुप्ता परिवार से जुड़े स्नेहीजन, शहर के प्रबुद्धजन, लेखक, पत्रकार, शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधियों ने उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम का संचालन और आभार प्रदर्शन संजय पटेल ने किया।