इंदौर : ये बात सही है कि इंदौर में सैम्पलिंग की तादाद बढ़ी है और टेस्टिंग में संक्रमित मरीजों की संख्या भी बहुत कम हो गई है पर ऐसे सैम्पल्स की संख्या भी कम नहीं है जिनकी अभी तक जांच ही नहीं हो पाई है।
तीन हजार के करीब पहुंची पेंडिंग सैम्पल्स की संख्या..!
सीएमएचओ कार्यालय से प्रतिदिन जारी होनेवाले आंकड़ों पर ही ध्यान दें तो स्पष्ट हो जाएगा कि पेंडिंग केसेस (सैम्पल) की संख्या लगातार बढ़ रही है। शनिवार 6 जून के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2462 सैम्पल जांच के लिए भेजे गए थे लेकिन टेस्टिंग रिपोर्ट 1619 की आई। इसका मतलब ये हुआ कि 843 सैम्पलों की जांच होना शेष है। यह तो केवल एक दिन अर्थात शनिवार की पेंडेंसी है। 2 जून से अब तक (6 जून) की पेंडेंसी देखी जाए तो ये आंकड़ा तीन हजार के करीब बैठता है। इतनी अधिक संख्या में सैम्पल्स का पेंडिंग रहना सीधे- सीधे मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना है।अगर प्रशासन के पास क्षमता नहीं है तो बाहरी लैब में सैम्पल भेजकर उनकी जांच करवानी चाहिए। ऐसा कदम शुरुआती दौर में उठाया गया था। अब बढ़ती पेंडेंसी को देखते हुए दुबारा क्यों नही किया जा रहा, समझ से परे है।
कई सैम्पलों के बारे में खुलासा नहीं किया जा रहा।
सीएमएचओ कार्यालय से जारी किए जाने वाले आंकड़ों में एक और गौर करने वाली बात है, वो ये कि टेस्ट किये गए सैम्पलों में से निगेटिव और पॉजिटिव सैम्पलों की संख्या तो दर्शाई जाती है पर जो शेष रह जाते हैं, उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती । शनिवार 6 जून के ही आंकड़ों की बात करें तो 1619 सैम्पल्स की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई। इनमें से 1547 निगेटिव और 27 पॉजिटिव बताए गए हैं। दोनों का योग 1574 होता है। कुल टेस्टिंग 1619 सैम्पल्स की हुई है तो जो 45 सैम्पल शेष हैं, उनका स्टेटस क्या है..? इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती। ऐसा प्रतिदिन होता है। जिन मरीजों के ये सैम्पल होते हैं, उन्हें क्या बताया जाता है, वे पॉजिटिव हैं या निगेटिव..! इससे क्या उनके ट्रीटमेंट पर असर नहीं पड़ता है। ये भी एक गंभीर मुद्दा है, जिसपर ध्यान देने की जरूरत है।