इंदौर : मासूम बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह के मुख्य मास्टर माइंड बबलू उर्फ तेजकरण और शिल्पा ने पुलिस की पूछताछ में कई बड़े राज उगले हैं। आरोपियों ने बच्चों की खरीद- फरोख्त में दो डॉक्टरों के नाम भी सामने आए हैं।वहीं पुलिस ने इस पूरे मामले में गिरोह के अन्य 2 सदस्य सहित बच्चा खरीदने वाली प्रोफेसर की पत्नी को भी अपनी गिरफ्त में लिया है। उनके पास से 2 माह और 2 साल के बच्चे को बरामद किया है। दो बच्चों को बाल कल्याण समिति को सौंपा गया है. इन बच्चों की खरीद-फरोख्त का सौदा एक से लेकर तीन लाख रुपए तक गिरोह द्वारा किया जाता था।
बच्चे के लालच में गैरकानूनी मार्ग अपनाया।
प्रोफेसर की पत्नी ने पूछताछ में बताया कि शादी हुए काफी साल हो जाने के बाद जब बच्चे नहीं हुए तो बच्चों के लालच में उन्होंने गैरकानूनी रूप से बच्चों को खरीदा था. वहीं पुलिस की सख्ती से पूछताछ में मामले के परत दर परत खुलासे हो रहे हैं. पूछताछ में गिरोह ने करुणा मेटरनिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर पवन राय और रमाकांत शर्मा के नाम भी लिए हैं, जो गिरोह को बच्चे उपलब्ध कराने का काम करते थे. वहीं आस्पताल के रिसेप्शनिस्ट अमित की भी भूमिका सामने आई है.
बहरहाल, जिन दो डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं, उनकी गिरफ्तारी के बाद गिरोह के बच्चों की खरीद फरोख्त के गोरखधंधे में कितने बड़े नामों के खुलासे होंगे, यह तो पुलिस की पूछताछ में ही सामने आएगा लेकिन पुलिस सकुशल हिफाजत में लिए तीनों ही बच्चों के माता-पिता की जानकारी नहीं लग पाई है. पुलिस को अंदेशा है कि जो युवतियां अनजाने में की गई गलतियों के कारण गर्भवती होकर अबॉर्शन कराने पहुंचती हैं, उन युवतियों से गिरोह संपर्क कर इन बच्चों को लेकर निसंतान माता-पिता से संपर्क कर उन्हें लाखों रुपए में बेच देते थे. बहरहाल, पुलिस गिरोह द्वारा गैरकानूनी रूप से अब तक कितने बच्चों को बेचा गया है और इसके पीछे कौन-कौन है, उसका पता लगाया जा रहा है.