कोरोना की रोकथाम में कारगर हो सकती है हवन पद्धति..?

  
Last Updated:  May 20, 2020 " 11:21 am"

इंदौर :(सुनील) गोवा के दो वैज्ञानिक अशोक कुमार मरवाह और पदम मरवाह का कोरोना को लेकर रिसर्च पेपर ‘जर्नल ऑफ एप्लाइड एंड नेचरल साइंस’ नामक वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ है । रिसर्च पेपर के हवाले से बताया गया है कि कोरोना वायरस के प्रभाव से किस तरीके से बचा जा सकता है । विस्तृत अध्ययन पर आधारित इस रिसर्च में कोरोना से बचाव हेतु अधिकांश वही बातें बताई गई है जिसे फिलहाल देश और दुनिया के तमाम लोग अपना रहे हैं । प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए योग, प्राणायाम और ध्यान करने की बात कही गई है लेकिन जो नई बात इस रिसर्च पेपर में कही गई है वह है भारतीय हवन पद्धति से कोरोना का नाश ।

हवन पद्धति से हो सकती है कोरोना की रोकथाम।

इस रिसर्च पेपर के अंतिम पेरेग्राफ में कहा गया है कि प्राचीन काल से भारत में जो हवन पद्धति चली आ रही है, उसके माध्यम से भी कोरोना को रोकने में सफलता मिल सकती है । इस पेपर में कहा गया है कि हवन करते समय तांबे का जो पात्र इस्तेमाल होता है उसके प्रयोग से तथा हवन में उपयोग में लाई जाने वाली औषधि युक्त जडी बुटियां , गाय का घी, समिधा ( औषधीय गुणों वाले वृक्षों की सूखी लकडियां ) इत्यादि की मंत्रोच्चार के साथ आहुति दी जाती है, उस समय जो अग्नि और उसका धुंआ उत्पन्न होता है उससे वातावारण में मौजूद तमाम तरह के जीवाणु , कीटाणु इत्यादि नष्ट हो जाते हैं ।
भारतीय हवन पद्धति को ले कर पूर्व में भी कई तरह के शोध कार्य हो चुके हैं जिसमें यह दृढता से कहा गया है कि हवन के कारण वातावरण शुद्ध होता है इतना ही नहीं यह भी माना जाता है कि हवन के दौरान जो औषधि युक्त धुआं शरीर में प्रवेश करता है वह भी शरीर के कई रोगों को दूर करने में सक्षम होता है ।
शरीर की रक्त वाहिनियों को शुद्ध करने में और शरीर को स्वस्थ रखने में भारतीय योग पद्धति सर्वश्रेष्ठ है इसे मानने में दुनिया ने हजारों वर्ष लगा दिए लेकिन आज इसे सबने अपना लिया है और दुनिया अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी मना रही है ।
आज अवसर है जब कोरोना वायरस से सारी मानव जाति भयभीत है तब हम अपनी हवन पद्धति को भी लोकप्रिय बनाएं और इससे होने वाले लाभ को सभी के सामने लाएं । इसके लिए यह कतई आवश्यक नहीं है कि लाखों रुपए खर्च कर यज्ञ के बडे बडे आयोजन किए जाए बल्कि हवन तो अपने घरों में भी बहुत कम खर्च कर भी किया जा सकता है । इसके लिए वैदिक विद्वानों को आगे आना होगा जो हवन करने की उचित और सरल पद्धति जानते हो । इन विद्वानों को चाहिए कि वे आम लोगों को जाति , धर्म का भेद किए बगैर हवन करने हेतु प्रेरित करें उन्हें वेदोक्त मंत्र पद्धति से हवन करना सिखाएं और उसके लाभ के बारे में भी बताएं । इसके बदले में आम जन इन विद्वानों को उचित सम्मान और यथायोग्य सम्मान राशि भी दे । इसका परिणाम यह होगा कि लम्बे समय से उपेक्षित ब्राह्मण वर्ग भी रोजगार और सम्मान दोनों ही हासिल कर सकेगा ।
वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर आर्य समाज , गायत्री परिवार एवं स्थानीय स्तर पर वैदिकाश्रम , सदगुरु अण्णा महाराज संस्थान , अन्नपूर्णा मंदिर , आध्यात्मिक साधन मंडल जैसी अनेक छोटी बडी संस्थाएं हैं जो यज्ञ कार्य को सम्पन्न करवाती है । ऐसी संस्थाओं को भी प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है ।
सरकार से भी आग्रह है कि उपरोक्त रिसर्च को दृष्टिगत रखते हुए जब तक लॉक डाउन पूर्ण रुप से खुल नहीं जाता तब तक मंदिर और धार्मिक स्थलों पर सीमीत व्यक्तियों की उपस्थिति में हवन कार्य करने की अनुमति प्रदान करें ताकि इसका सार्वजनिक लाभ भी हो सकें ।

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