स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेेश के ‘रूबरू’ कार्यक्रम में बोले देश के मसाला किंग राजीव गुलाटी।
इंदौर। आमतौर पर पंसारी की दुकान से फुटकर खरीदे जाने वाले भारतीय मसाले आज विश्व के अनेक महाद्वीपों में भारतीय स्वाद की खुशबु बिखेर रहे हैं। इसके पीछे देश में ब्रांडेड मसालों की शुरुआत करने वाले, फिर विज्ञापनों का महत्व समझकर क्वालिटी कंट्रोल पर जोर, दूरंदेशी एवं व्यवसाय के प्रति ईमानदारी भरा समर्पण निहित है।
ये बात देश के प्रमुख उद्योग समूह एमडीएच के अध्यक्ष सहप्रबंध निदेशक राजीव गुलाटी ने स्टेट प्रेस क्लब, मध्यप्रदेश द्वारा कार्यक्रम ‘रूबरू’ में कहीं। वे इंदौर में एमडीएच मसालों के वृहद वेयर हाउस का शुभारंभ करने के लिए संक्षिप्त प्रवास आए थे। इस वेयर हाउस से देश के पश्चिमी हिस्से में एमडीएच के उत्पाद सुगमता से वितरित किए जा सकेंगे। उन्होंने ऐलान किया कि दो वर्ष के भीतर इंदौर में एमडीएच उद्योग समूह की विश्वस्तरीय फैक्ट्री भी लगाई जाएगी।
इंदौर में व्यवसाय का विस्तार फायदेमंद।
उन्होंने कहा कि इंदौर देश का दिल है। यहां से देश के विभिन्न हिस्सों में सप्लाय करना बेहद फायदेमंद एवं आसान है। उन्होंने इंदौर में अपने उद्योग के विस्तार को भगवान महाकाल की प्रेरणा बताया।
कमाई का बड़ा हिस्सा समाज हित में खर्च करता है एमडीएच समूह।
‘मसाला किंग’ के नाम से विख्यात राजीव गुलाटी ने कहा कि धर्मपाल गुलाटी को देश में सबसे पहले पैकबंद मसालों की शुरुआत करने का श्रेय जाता है। उन्होंने समय के साथ कदमताल करते हुए सबसे पहले अखबारों में विज्ञापन, फिर रेडियो में कार्यक्रम का प्रायोजन और टीवी चैनलों के उदय के साथ इस माध्यम में भी सबसे पहले विज्ञापन की शुरुआत की। उन्होंने ने देश में कार्पोरेट जगत के लिए सीएसआर (कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) की अनिवार्यता से पहले ही स्वप्रेरणा से कंपनी की कमार्ई का बड़ा हिस्सा समाज के हित में लगाने की शुरुआत कर दी थी। आज भी एमडीएच उद्योग समूह सीएसआर की प्रतिबद्धता से कई गुना अधिक धनराशि शिक्षा, स्वास्थ, गौशाला, आर्य समाज एवं भारतीय संस्कृति के उन्नयन एवं संरक्षण के लिए खर्च करता है। उन्होंने कहा कि एमडीएच उद्योग समूह आज भी अपने पितृपुरुष धर्मपाल गुलाटी के आदर्शों एवं उनके दिए सफलता के सूत्रों- ईमानदारी से मेहनत करो, मृदुभाषी बनो एवं परमात्मा व माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सदकार्य करो, के अनुसार कार्य कर रहा है।
गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं।
राजीव गुलाटी ने एमडीएच मसालों को दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाने की अपनी यात्रा भी सुनाई। उन्होंने कहा कि नए-नए मसालों का स्वाद विकसित करने के लिए पाककला में दिलचस्पी जरूरी है। नए मसालों का स्वाद विकसित करने में कई बार महीनो और वर्षों का समय भी लग जाता है। एमडीएच उद्योग समूह इस नीति पर कार्य करता है कि भले ही बाजार में सर्वश्रेष्ठ क्वालिटी के कच्चे माल की कीमत कितनी भी क्यों न बढ़ जाए, एमडीएच न तो हल्के गुणवत्ता के मसाले की खरीद करता है और न अपने उत्पादों में उनकी मात्रा घटाता है।
एमडीएच को बेचने की खबर बेबुनियाद।
राजीव गुलाटी ने हिन्दुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड द्वारा एमडीएच उद्योग समूह का 15 हजार करोड़ रुपए में अधिग्रहण किए जाने की खबर को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि एमडीएच जैसी लाभ की कंपनी और कैशरिच कंपनी को कोई क्यों बेचना चाहेगा? एमडीएच हमारे लिए परम्परा का निर्वहन है और इसे बेचने का ख्याल भी उनके दिल में कभी नहीं आ सकता। उन्होंने अपनी कंपनियां विदेशी कंपनियों को बेचने के ट्रैंड को भी गलत बताया और कहा कि कुछ सौ करोड़ रुपए के लिए अपनी पहचान छिन जाने से नुकसान ही होता है। श्री गुलाटी ने एमडीएच के विज्ञापनों में पहले उनके पिताजी और अब उनके नजर आने के पीछे यह राज बताया कि इस तरह न केवल वे लोगों से जुड़ते हैं बल्कि किसी व्यावसायिक अभिनेता को दी जाने वाली धनराशि को बचाकर कुछ और सेवा कार्य भी किए जा सकते हैं। उन्होंने कंपनी की जरूरत के अनुरूप अपने लुक को बदलकर मैच्योर एवं अनुभवी दिखने के लिए दाढ़ी बढ़ाने की रोचक यात्रा को भी सुनाया।
रूबरू कार्यक्रम से पूर्व राजीव गुलाटी, एमडीएच की सेल्स डायरेक्टर श्रीमती ज्योति गुलाटी, प्रेम अरोड़ा का स्वागत स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश की ओर से प्रवीण कुमार खारीवाल, नवनीत शुक्ला,आलोक ठक्कर,सोनाली यादव एवं विवेक बर्वे ने किया। रूबरू कार्यक्रम में राजीव गुलाटी से संवाद कर रहे पत्रकार एवं संस्कृतिकर्मी आलोक बाजपेयी ने अपने रोचक एवं गंभीर दोनों ही प्रकार के सवालों से खूब प्रभावित किया। स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश की ओर से अतिथियों को स्मृति चिह्न रवि चावला एवं सुदेश गुप्ता ने प्रदान किए। अंत में आभार प्रदर्शन विवानसिंह राजपूत ने किया। इस अवसर पर एमडीएच समूह के सुशील मनसोत्रा, नितिन देशकर, आतिश जाधव एवं सौरभ सिंह भी उपस्थित थे।