कानूनविद, शिक्षाविद, सफल उद्यमी और सशक्त महिला के बतौर बनाई पहचान।
ओरिएंटल यूनिवर्सिटी के लॉ डिपार्टमेंट का कर रहीं संचालन।
इंदौर : जब किसी के पास सारी सुख – सुविधाएं हों, भरापुरा परिवार हो, हर चीज आसानी से उपलब्ध हो तो कौन चाहेगा की अपने कंफर्ट जोन से बाहर आकर अकेले रहें, सारे काम अपने हाथों से करें और वो मुकाम हासिल करने का प्रयास करें जो उसकी ख्वाहिश है। आज हम आपको ऐसी ही एक युवा महिला से मिलवाना चाहते हैं जो सुखी व समृद्ध संयुक्त परिवार की बेटी थी, सारी सुविधाएं उन्हें सहज सुलभ थी, किसी बात की कमी नहीं थी पर उनकी ख्वाहिश थी कि वो अपनी अलग पहचान बनाएं। आज वह इंदौर में एक निजी यूनिवर्सिटी की निदेशक होने के साथ लॉ डिपार्टमेंट की हेड भी हैं। हम बात कर रहे हैं, सोनिया ठकराल की। कानूनविद, शिक्षाविद, सफल उद्यमी और सशक्त महिला के बतौर पहचान बनाने वाली सोनिया ठकराल से उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि, शिक्षा, रुचियां, जीवन में आगे बढ़ने के लिए किए गए प्रयास, समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव और आनेवाले समय में तय किए लक्ष्य को लेकर अवर लाइव इंडिया.कॉम ने चर्चा की।
भोपाल में संयुक्त परिवार में रहते हुई स्कूली शिक्षा।
सोनिया ठकराल बताती हैं कि वे भोपाल में पली बढ़ी, वहीं स्कूली शिक्षा ग्रहण की। संयुक्त परिवार था और किसी चीज की कमी नहीं थी। पापा का भोपाल में रियल इस्टेट और हॉस्पिटेलिटी का बिजनेस है। हम चार भाई – बहन हैं। मां बचपन में ही गुजर गई थीं पर संयुक्त परिवार होने से कभी मां की कमी महसूस नहीं हुई। मन में हमेशा खुद की एक पहचान बनाने की इच्छा थी। खासकर कानून के क्षेत्र में जाना उनकी चाहत थी।
खुद कुछ करने की चाहत में पुणे में लिया एडमिशन।
सोनिया बताती हैं कि वे पिता को बिजनेस से जुड़े लीगल मामलों में अक्सर विधिक सलाह लेते हुए देखती थीं, तभी 12 वी के बाद लॉ करने का निर्णय लिया और क्लैट की एग्जाम दी। एग्जाम पास होने पर दो कॉलेजों के विकल्प मिले थे, भोपाल और पुणे। खुद के दम पर कुछ करना चाहती थी, अपने व्यक्तित्व को गढ़ना चाहती थी, इसलिए पुणे के लॉ कॉलेज में पांच वर्षीय डिग्री कोर्स में एडमिशन ले लिया। वहां हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की। भोपाल में संयुक्त परिवार होने से हर चीज सहज सुलभ थीं पर पुणे में छोटी से छोटी बात को खुद मैनेज करना पड़ता था। इससे मुझमें एक आत्मविश्वास पैदा हुआ कि हर काम कर सकती हूं।
लॉ करते हुए ही हो गई सगाई।
सोनिया बताती हैं कि लॉ का पांच वर्षीय डिग्री कोर्स करते हुए ही जिंदगी में नया मोड़ आ गया। और 2014 में मेरी सगाई हो गई। एलएलबी के बाद मैं एमबीए करना चाहती थीं ये बात पिताजी को भी बताई। हालांकि होनेवाले पति गौरव ठकराल के दादाजी के एल ठकराल, जो भोपाल में कई शिक्षण संस्थान चलाते थे, से मुलाकात हुई तो वे मेरी शैक्षणिक योग्यता से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने इंदौर में उज्जैन रोड पर 2011 में ओरिएंटल यूनिवर्सिटी भी स्थापित कर दी थी। यह इंदौर की पहली निजी यूनिवर्सिटी है। उन्होंने यूनिवर्सिटी के लॉ डिपार्टमेंट से जुड़कर अपने सपने पूरे करने के लिए मुझे प्रेरित किया। उनसे मिलने के बाद मैंने शादी के लिए हां कर दी और 2014 में ही एलएलबी करते ही शादी भी हो गई। सोनिया बताती हैं कि शादी के बाद उन्होंने एलएलएम किया और अब पीएचडी भी कर रहीं हैं।
ओरिएंटल यूनिवर्सिटी से जुड़कर बढ़ी लोगों तक पहुंच।
यह पूछने पर कि लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद वे अच्छी वकील बन सकती थीं या जज भी बन सकती थीं, फिर अकादमिक क्षेत्र ही क्यों चुना..? इसपर श्रीमती सोनिया बताती हैं कि इंदौर आकर ससुराल पक्ष की ओरिएंटल यूनिवर्सिटी से जुड़ने का फैसला इसलिए लिया कि इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों से जुड़ने और विद्यार्थियों को अपने ज्ञान व अनुभव से लाभान्वित करने का मौका मिलेगा। खुशी है कि मेरा यह फैसला सही साबित हुआ। पति के साथ यूनिवर्सिटी के संचालन में भागीदारी निभाते हुए वे लॉ डिपार्टमेंट की निदेशक के बतौर कामकाज देखती हैं और विद्यार्थियों को कानूनी पहलुओं से अवगत कराती हैं।
लोगों को कानूनी अधिकारों की देती हैं जानकारी।
कानूनविद सोनिया ठकराल बताती हैं कि ओरिएंटल यूनिवर्सिटी के लॉ डिपार्टमेंट के जरिए विद्यार्थियों को कानूनी ज्ञान उपलब्ध कराने के साथ वे ग्रामीण इलाकों में शिविर लगाकर लोगों को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी देती हैं। केंद्र सरकार के विधि मंत्रालय का भी इसमें सहयोग मिलता है। जिन गरीब लोगों को विधिक सहायता की जरूरत होती है, उन्हें नि:शुल्क कानूनी मदद भी उपलब्ध कराई जाती है।
कई क्षेत्रों में डिग्री कोर्सेस चलाती है ओरिएंटल यूनिवर्सिटी।
सोनिया ठकराल ने बताया कि वर्तमान में उनके पति गौरव ठकराल ओरिएंटल यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर हैं। यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर, मैनेजमेंट, लॉ और फार्मेसी विभागों में यूजी व पीजी पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इसके अलावा डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों के लिए ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट इंस्टीट्यूट भी चलाया जाता है, जहां प्रशिक्षित होकर विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में प्लेसमेंट पाने के अनेक अवसर मिलते हैं। कई कंपनियों के साथ यूनिवर्सिटी का टायअप भी है जिनमें विद्यार्थियों को नौकरी के मौके उपलब्ध कराए जाते हैं।
पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट प्रारंभ करने का प्रयास।
फ्यूचर प्लान्स के बारे में पूछने पर श्रीमती सोनिया बताती हैं कि ओरिएंटल यूनिवर्सिटी के माध्यम से एक पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट प्रारंभ करने का वे विचार कर रहीं हैं। इस दिशा में प्रयास चल रहे हैं।
हर विद्यार्थी को स्पोर्ट्समैन होना चाहिए।
सोनिया बताती हैं कि पुणे में लॉ की डिग्री हासिल करने के दौरान बिताए पांच साल उनके व्यक्तित्व के विकास में अहम रहे। उस दौरान उन्होंने कई रचनात्मक और खेल गतिविधियों में हिस्सा लिया। वे अच्छी टेबल टेनिस प्लेयर भी रहीं हैं। राष्ट्रीय स्तर पर अपने कॉलेज का उन्होंने प्रतिनिधित्व किया है। युवाओं से उनका कहना है कि अपने व्यक्तित्व को मजबूत बनाने के लिए वे किसी न किसी खेल से अवश्य जुड़े। खेल आपको लोगों से जुड़ने, चुनौतियों से जूझने और फेलियर का सामना करते हुए लक्ष्य को हासिल करने की प्रेरणा देता है।
अब तक मिली उपलब्धियों से संतुष्ट।
सोनिया ठकराल ओरिएंटल यूनिवर्सिटी के लगातार बढ़ते कदमों, 5 हजार विद्यार्थियों और 400 से अधिक फैकल्टीज़ व स्टॉफ सदस्यों के साथ काम करते हुए संतुष्टि का भाव प्रकट करती हैं। वे कहती हैं कि वे संयुक्त परिवार से आई हैं और यूनिवर्सिटी में इतने बड़े परिवार के साथ रहकर काम करते हुए, विद्यार्थियों के भविष्य को गढ़ने में जो खुशी मिलती है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। अब तक मिली उपलब्धियों पर वे गर्व करती हैं। लोगों में कानून के प्रति जागरूकता आए इसके लिए वे सतत प्रयासरत रहती हैं।