इंदौर : अनलॉक-2 में सभी शासकीय- अशासकीय कार्यालय खुल गए हैं। उनमें सामान्य कामकाज शुरू हो गया है पर अदालतों को अभी भी नहीं खोला जा रहा है। बीते 100 दिनों से न्यायिक प्रक्रिया ठप है। इससे लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा है वहीं अभिभाषकों के समक्ष भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, ऐसे में जरूरी हो गया है कि हाइकोर्ट और जिला कोर्ट व अन्य अधीनस्थ अदालतों में जल्द से जल्द सामान्य कामकाज बहाल किया जाए।
ये बात उच्च न्यायालय व जिला अभिभाषक संघ के पदाधिकारियों ने मंगलवार को इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के जरिए कही। उच्च न्यायालय अभिभाषक संघ के अध्यक्ष लोकेश भटनागर, उपाध्यक्ष अमरसिंह राठौर, जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा और सचिव कपिल बिरथरे ने कहा कि दोनों अभिभाषक संघों की संयुक्त बैठक में प्रस्ताव पारित कर मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजा गया है। इस प्रस्ताव के जरिए 13 जुलाई से अदालतों को खोलकर सामान्य न्यायिक कामकाज बहाल करने की मांग की गई है।
वकीलों और पक्षकारों को हो रही असुविधा..
हाईकोर्ट व जिला कोर्ट अभिभाषक संघ के पदाधिकारियों का कहना था तीन माह से अधिक समय से अदालतों के दरवाजे बंद हैं। इससे पक्षकारों को न्याय पाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है। अभिभाषकों की माली हालत भी खराब हो गई है। उनके समक्ष घर- परिवार चलाने का संकट खड़ा हो गया है। सरकार ने आर्थिक मदद देने का महज दिखावा किया। 10 फीसदी वकीलों को भी मदद नहीं मिल पाई है।
नियम- शर्तों का पालन करने के लिए तैयार..
दोनों अभिभाषक संघों के पदाधिकारियों के अनुसार वे अदालतों में सोशल डिस्टेंसिंग, सेनिटाइजेशन और मास्क पहनने सम्बन्धी दिशा- निर्देशों का पालन करवाने की जिम्मेदारी वहन करने को तैयार हैं। उनका चीफ जस्टिस से आग्रह है कि वे अदालतों को खोलने के बारे में जल्द से जल्द निर्णय लें।