अध्यात्म, संस्कृति, दया और मूल्यों की जन्मभूमि है भारत – गोखले

  
Last Updated:  January 9, 2023 " 02:59 pm"

इंदौर : अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद के तत्वावधान में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में पधारे अतिथियों के साथ शहर के विशेष आमंत्रित प्रबुद्ध नागरिकों को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन एसजीएसआयटीएस के गोल्डन जुबली ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता अमेरिका से पधारे हिन्दू स्वयंसेवक संघ के विश्व समन्वयक सौमित्र गोखले थे। उन्होंने भारत एवं भारतीय संस्कृति के विराट स्वरूप के दर्शन अपने उद्बोधन में उपस्थित श्रोताओं को करवाए।

अध्यात्म, संस्कृति, दया और मूल्यों की जन्मभूमि है भारत।

सौमित्र गोखले ने अपने संबोधन में कहा इन्दौर आए सभी प्रवासी अतिथियों  ने एक बात समान रूप अनुभव की है कि इंदौर वास्तव में  एक अद्भुत शहर है। उन्होंने विभिन्न महापुरुषों जैसे विवेकानंद,  योगानंद , शंकराचार्य, प्रभुपाद स्वामी के उदाहरण देकर बताया कि समाज में जीवन मूल्यों को वही  स्थापित कर पाता है, जो ना केवल भौतिक उन्नयन बल्कि आध्यात्मिक उन्नयन की शिक्षा भी देता है। उन्होंने इन महापुरुषों के भारत के बारे में दृष्टिकोण बताते हुए कहा कि इन महापुरुषों की दृष्टि में भारत अध्यात्म, संस्कृति, दया एवं मूल्यों की जन्मभूमि है। उनके अनुसार ना केवल प्रवासी भारतीय बल्कि अन्य विदेशी नागरिक भी जाने अनजाने भारत कि इस सांस्कृतिक परंपरा का लाभ ले रहे हैं। उन्होंने बताया की वर्तमान समय में हमें ना केवल अपनों की सहायता करनी है बल्कि औरों की सहायता भी करनी है। यह बात सबको पता भी चले। उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी तैयार करने के लिए स्वयं भी तैयार होना होगा। हम जागेंगे तो दूसरों को भी जगा पाएंगे। भारत जागेगा तो विश्व जगेगा।

कार्यक्रम में विश्व के विभिन्न देशों से आए प्रवासी भारतीयों ने अपने अनुभव रोचक तरीके से सुनाए।

जर्मनी में चल रही हिंदू स्वयंसेवक संघ की शाखाएं।

47 वर्षों से जर्मनी में रह रहे राकेश मेहरा द्वारा बताया गया कि जर्मनी में पिछले 8 सालों से 15 शहरों में हिंदू स्वयंसेवक संघ की शाखाएं चल रही हैं। बाल गोकुलम संकुल का संचालन भी संघ द्वारा किया जा रहा है, जिसमें बच्चों को भारत की संस्कृति एवं संस्कार से संबंधित जानकारी एवं शिक्षा प्रदान की जाती है।
म्यांमार से आई रोली जैन द्वारा म्यांमार के खान पान, रहन- सहन, संस्कृति इत्यादि के अध्ययन के आधार पर यह बताया गया कि वहां भी भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता मौजूद है ।म्यांमार में संघ द्वारा शिक्षा, चिकित्सा, व्यवसाय इत्यादि के क्षेत्र में भारत सरकार की सहायता से विभिन्न योगदान दिए जा रहे हैं।

विद्याभारती के स्कूलों को डिजिटलाइज करेंगे।

बोस्टन से पधारे प्रमित माकोड़े ने बताया कि चिकित्सा, शिक्षा, एवं तकनीक के क्षेत्र में किस प्रकार से संघ, मध्य प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार के समन्वय से परिवर्तन लाए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि विद्या भारती द्वारा संचालित 17000 स्कूलों की शिक्षा के डिजिटलाइजेशन में एक वृहद योजना के तहत लगभग 15 हजार स्कूल्स को डिजिटल स्कूल में परिवर्तित करने का लक्ष्य है।

जापान से भारत के 5 हजार साल पुराने रिश्ते।

17 वर्षों से जापान में रह रहे रोहन अग्रवाल द्वारा जापान एवं भारत के सांस्कृतिक व ऐतिहासिक संबंधों पर अद्भुत जानकारियां प्रदान की गई। उनके अनुसार जापान से भारत के लगभग 5 हजार साल पुराने संबंध हैं। वर्तमान जापान की सांस्कृतिक नीव में सनातन धर्म ही निहित है। वर्तमान में भी लगभग 12 हिंदू मंदिर जापान में स्थापित हैं।

यूक्रेन से पधारे विपुल ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक  संघ के माध्यम से यूक्रेन – रूस युद्ध एवं कोरोना काल में किस प्रकार वहां रह रहे लगभग 22 हजार विद्यार्थियों की सहायता की गई। उन्होंने बताया कि प्रवासी भारतीय अपनी संस्कृति के बीज विदेशों में बिखेर रहे हैं।

कार्यक्रम की प्रस्तावना डाॅ. मुकेश मोड ने रखी । अतिथि स्वागत रमेश गुप्ता ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रियंका मोक्षमार ने किया। आभार प्रोफेसर डाॅ. सुब्रतो गुहा ने व्यक्त किया ।

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